संसद के विशेष सत्र में PM मोदी ने नेहरू-इंदिरा को ऐसे याद किया, पूरे सदन में शांति छा गई
संसद की पुरानी बिल्डिंग में आखिरी बार पीएम मोदी क्या-क्या बोले?
संसद के विशेष सत्र (Parliament special session) के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में संसद की 75 सालों की यात्रा पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि इन 75 सालों में संसद की सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि देश के सामान्य लोगों का इस संसद पर विश्वास बढ़ता गया है. प्रधानमंत्री के मुताबिक, लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत यही है कि इस महान 'संस्था' के प्रति लोगों का भरोसा बना रहे. उन्होंने ये भी कहा कि हम सबके लिए गर्व की बात है कि आज भारत 'विश्व मित्र' के रूप में अपनी जगह बना पाया है. आज पूरी दुनिया, भारत में अपना मित्र खोज रहा है, भारत की मित्रता का अनुभव कर रहा है.
संसद का विशेष सत्र 18 सितंबर से 22 सितंबर के बीच चलेगा. पहले दिन यानी 18 सितंबर को पुरानी संसद की 75 सालों की यात्रा और उपलब्धियों पर चर्चा शुरू हुई है.
नेहरू-इंदिरा को याद कियालोकसभा में प्रधानमंत्री ने उमंग और उत्साह के पल के बीच सदन के आंख से आंसू भी बहे हैं. प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्रियों को याद करते हुए कहा,
"ये सदन दर्द से भर गया जब देश को तीन अपने प्रधानमंत्री को उनके कार्यकाल में खोने की नौबत आई. नेहरू जी, इंदिरा जी, शास्त्री जी, तब ये सदन आंसू से भरे आंखों से उन्हें विदाई दे रहा था."
प्रधानमंत्री ने कहा कि नेहरू जी के योगदान का जिक्र जब इस संसद में होता है, तो ऐसा कौन सा सदस्य है जिसका मन ताली ना बजाने का होता हो. उन्होंने कहा,
“पंडित नेहरू को कई बातों के लिए याद किया जाएगा. लेकिन हम याद करेंगे...इसी सदन में पंडित नेहरू के 'एट द स्ट्रोक ऑफ द मिडनाइट' की गूंज हम सबको प्रेरित करती रहेगी. और इसी सदन में अटल जी ने कहा था, वो शब्द आज भी सदन में गूंज रहे हैं- 'सरकारें आएंगी जाएंगी, पार्टियां बनेगी-बिगड़ेंगी, लेकिन ये देश रहना चाहिए.'”
प्रधानमंत्री ने जवाहरलाल नेहरू के पहले कैबिनेट को भी याद किया. उन्होंने कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर एक मंत्री के रूप में दुनिया की सबसे अच्छी चीजों को भारत में लाने पर जोर दिया करते थे. फैक्ट्री कानून में अंतरराष्ट्रीय सुझावों को शामिल करने पर बाबासाहेब सबसे ज्यादा आग्रही रहे थे और उसका परिणाम है कि देश को लाभ मिल रहा है.
उन्होंने लालबहादुर शास्त्री से लेकर पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी, चरण सिंह, वीपी सिंह, चंद्रशेखर, नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह को भी याद किया.
इसके अलावा पीएम मोदी ने लोकसभा के अध्यक्षों और राज्यसभा के सभापतियों की भी तारीफ की. उन्होंने कहा कि अनेक चुनौतियों के बावजूद हर स्पीकर और हर सभापति ने बेहतरीन तरीके से दोनों सदनों को सुचारू तरीके से चलाया है. अपने कार्यकाल में जो निर्णय लिए, चाहे वो मावलंकर जी के कार्यकाल में हो या सुमित्रा जी या बिरला जी के कार्यकाल में, आज भी उन निर्णयों को रेफरेंस प्वाइंट माना जाता है.
प्रधानमंत्री ने बताया कि करीब साढ़े सात हजार से अधिक जनप्रतिनिधि अबतक दोनों सदनों में अपना योगदान दे चुके हैं. इस दौरान करीब 600 महिला सांसदों ने दोनों सदनों की गरिमा को बढ़ाया है.
पत्रकारों की तारीफ में क्या बोले?प्रधानमंत्री ने संसद कवर करने वाले पत्रकारों की तारीफ कर मुस्कुरा दिया और कहा कि पत्रकारों की क्षमता थी कि वे अंदर से अंदर की भी जानकारी पहुंचाते थे. इस पर पूरे सदन में ठहाके गूंज गए. उन्होंने पत्रकारों की चर्चा करते हुए कहा,
“आज जब हम इस सदन को छोड़ रहे हैं, तब मैं उन पत्रकार मित्रों को भी याद करना चाहता हूं, जिन्होंने पूरा जीवन संसद के काम को रिपोर्ट करने में लगा दिया. एक प्रकार से वे जीवंत साक्षी रहे हैं. उन्होंने पल-पल की जानकारी देश तक पहुंचाईं. ऐसे पत्रकार जिन्होंने संसद को कवर किया, शायद उनके नाम जाने नहीं जाते होंगे लेकिन उनको कोई भूल नहीं सकता है.”
पीएम ने आगे कहा कि पत्रकारों ने सिर्फ खबरों के लिए ही नहीं, भारत की इस विकास यात्रा को संसद भवन से समझने के लिए अपनी शक्ति खपा दी. एक प्रकार से जैसी ताकत यहां की दीवारों की रही है, वैसा ही दर्पण उनकी कलम में रहा है और उस कलम ने देश के अंदर संसद के प्रति, संसद के सदस्यों के प्रति एक अहोभाव जगाया है.