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कोरोमंडल एक्सप्रेस में सफर कर रहे शख्स ने बेटी की जिद पर सीट बदली, फिर ये चमत्कार हो गया...

ओडिशा ट्रेन हादसे में मौत को छूकर आने वाले MK देब की कहानी पर यकीन नहीं होगा!

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Odisha Train Accident Father Daughter Story
ओडिशा ट्रेन हादसे ने ना जाने कितने परिवारों को जिंदगी भर का गम दिया है.
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दीपेंद्र गांधी
5 जून 2023 (Updated: 5 जून 2023, 20:02 IST)
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ओडिशा रेल हादसे में 275 लोगों की मौत के बाद अनेक दर्दनाक कहानियां सामने आ रही हैं. किसी के बेटे, किसी की मां, किसी का भाई तो किसी के पिता की अर्थी देख लोगों के आंसू नहीं थम रहे हैं. लेकिन इन दुख से भरी कहानियों के बीच एक ऐसी कहानी सामने आई है जो थोड़ा सुकून देती है. कहानी उन सैकड़ों लोगों में से एक की है, जो इस भयावह हादसे से बच तो गए लेकिन हादसे की तस्वीरों ताउम्र उनकी आंखों में कैद रहेंगी. ये कहानी एक ऐसे शख्स की है, जिसने अपनी बेटी के कहने पर हादसे से ठीक पहले ट्रेन में सीट बदली और इसी के चलते उनकी जान बच गई.

Odisha train accident: How did three trains collide in Odisha? - BBC News
ओडिशा रेल हादसे में 275 लोगों ने अपनी जान गंवा दी. तस्वीर: आजतक


खड़गपुर स्टेशन. शुक्रवार का दिन था. 5 बजने ही वाले थे. दूसरे यात्रियों की तरह MK देब भी ट्रेन का इंतजार कर रहे थे. देब पेशे से एक सरकारी कर्मचारी हैं. खड़गपुर में ही परिवार के साथ रहते हैं. अपनी बेटी के साथ कटक जाने के लिए स्टेशन आए थे. बेटी के हाथ में फोड़ा है, जिसके इलाज के लिए कटक में एक डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लिया था. पिता संग बेटी रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर ट्रेन का इंतजार कर रही थी. ट्रेन थी कोरोमंडल एक्सप्रेस. ट्रेन आती है, दोनों ट्रेन में सवार भी हो जाते हैं.

ट्रेन खड़गपुर स्टेशन से निकलती है. देब और उनकी बेटी का टिकट थर्ड एसी कोच में था. लेकिन बेटी जिद करती है कि उसे विंडो सीट चाहिए. बेटी की जिद के आगे देब की एक ना चली. आसपास लोगों से पूछते हैं लेकिन सभी अपनी सीट देने से इंकार कर देते हैं. देब ट्रेन में मौजूद टीसी को अपनी समस्या बताते हैं. टीसी बेटी की तरफ देखते हैं, मासूम बच्ची को देख टीसी भी मदद के लिए तैयार हो जाते हैं. आसपास के कोच में जाकर देखते हैं. देब के कोच से तीन कोच बाद एक डिब्बे में दो लोग अपनी सीट देने को तैयार हो जाते हैं. दोनों ही लोग देब वाले कोच में आकर उनकी सीट पर बैठ जाते हैं. इस पूरे घटनाक्रम में एक घंटा गुजर जाता है. ट्रेन अपने पहले स्टॉप बालासोर को पार कर चुकी थी. सात बजने वाला था. पूरी तरह से शाम हो चुकी थी, हल्का अंधेरा हो गया था. अगला स्टेशन आने में आधे घंटे का समय बचा था. लोग रिलेक्स होकर अपनी यात्रा का आनंद ले रहे थे.

बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे में  अभी तक 275 लोगों की मौत हो चुकी है (Photo- PTI)
ओडिशा रेल हादसे में जिनकी जान बच गई है वो इसे चमत्कार से कम नहीं मान रहे. तस्वीर: आजतक

तभी बहनागा स्टेशन के करीब ट्रेन को अचानक एक जोरदार झटका लगता है. देब और अन्य यात्री समझ नहीं पाते कि हुआ क्या. बेटी को संभालने की कोशिश करते हैं लेकिन पूरी बोगी पलट जाती है. पीछे का डिब्बा होने के चलते उसमें मौजूद लोगों को ज्यादा चोट नहीं लगती है. बेटी को सही सलामत देखकर चैन की सांस लेते हैं. नीचे उतरने के बाद इस भयानक हादसे के बारे में पता चलता है. जिस बोगी में उनका टिकट था उसकी हालत देखकर हैरान हो जाते हैं. वो कोच पूरी तरह से छतिग्रस्त हो चुका था. उस इकलौती बोगी में ही कई लोगों की मौत की खबर मिलती है. हादसे के बाद खुद को संभालते हैं और इसे चमत्कार मानकर भगवान को शुक्रिया करते हैं.

देब बताते हैं,

'जो लोग उनकी सीट पर यात्रा कर रहे थे उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है. लेकिन हम उनकी सुरक्षा की कामना करते हैं. साथ ही इस चमत्कार के लिए ईश्वर के आभारी है. हमारे कोच में लगभग सभी यात्री सुरक्षित थे'

देब कहते हैं, अगर उनकी बेटी ने सीट बदलने की जिद ना की होती तो शायद वो आज जिंदा नहीं होते. पूरे हादसे में देब और उनकी बेटी को मामूली चोट लगी है. रातभर अस्पताल में गुजारने के बाद देब अपनी बेटी के साथ कटक पहुंच गए थे. 

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