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दिल्ली दंगा केस में हिंदू-मुस्लिम एकसाथ आरोपी, कोर्ट ने कहा- अलग-अलग सुनवाई करेंगे

गोधरा दंगों के मामले को नजीर मानकर जारी किया आदेश.

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दिल्ली दंगे के बाद की एक तस्वीर. (फाइल फोटो-PTI)
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डेविड
15 सितंबर 2021 (Updated: 15 सितंबर 2021, 10:24 IST)
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उत्तर-पूर्वी दिल्ली में पिछले साल हुए दंगे के एक मामले में अदालत ने धर्म के आधार पर अलग-अलग सुनवाई का फैसला किया है. कोर्ट ने इसके लिए गुजरात के गोधरा दंगों से जुड़े मामलों की नजीर दी. कहा कि आरोपियों की एक साथ सुनवाई से उनके बचाव पर पूर्वाग्रह का असर पड़ सकता है, क्योंकि वे हिंदू और मुस्लिम धर्म से संबंध रखते हैं. दंगे में हुई थी सलमान की मौत ये मामला दिल्ली दंगे के दौरान 24 साल के एक युवक की हत्या से जुड़ा है. 24 फरवरी 2020 को दिल्ली के शिव विहार में सलमान अपने चाचा के साथ घर से निकला था. लौटते समय दंगों में फंस गया. उसके सिर में गोली लगी. तीन दिन बाद उसकी मौत हो गई. इस मामले को लेकर FIR दर्ज हुई. इसी केस में तीन हिंदुओं और दो मुस्लिमों की सुनवाई एक साथ होनी थी. इन पर दंगे फैलाने, आगजनी और सलमान की हत्या का आरोप है. कोर्ट ने गोधरा केस का दिया हवाला लेकिन अदालत में सुनवाई के दौरान तब अजीब स्थिति पैदा हो गई जब ये सवाल उठा कि क्या अलग-अलग धर्मों के व्यक्तियों की एक साथ सुनवाई हो सकती है? इस पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने कहा कि आरोपियों का बचाव निश्चित तौर पर पूर्वाग्रह से प्रभावित होगा, क्योंकि वे अलग-अलग धर्मों से जुड़े हैं. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त (अपराध) शाखा जॉय एन तिर्की को निर्देश दिया कि वह दो सप्ताह के भीतर आरोप पत्र को बदलाव के साथ पेश करें. अपने इस फैसले के पीछे जज ने गोधरा दंगे के मामलों की हुई सुनवाई की नजीर दी. उन्होंने कहा,
इसी तरह की स्थिति गुजरात की अदालत के सामने गोधरा सांप्रदायिक दंगे के मामलों की सुनवाई के दौरान पैदा हुई थी. जहां कोर्ट ने दो अलग-अलग समुदायों के आरोपियों के मामलों को अलग-अलग सुनवाई की अनुमति दी थी. इसलिए ये अदालत अहलमद (अदालत अधिकारी) को निर्देश देती है कि वह इस FIR में अलग-अलग सत्र मामला क्रमांक डाले. और मौजूदा आरोप पत्र को तीन आरोपियों कुलदीप, दीपक ठाकुर और दीपक यादव से जुड़े मामले के तौर पर अलग समझा जाए. जबकि दूसरे को आरोपी मोहम्मद फुरकान और मोहम्मद इरशाद के मामले से जुड़ा समझा जाए.
आरोप पहले ही तय हो चुके हैं मामले की सुनवाई अलग-अलग करने का फैसला अदालत द्वारा आरोप तय करने के बाद आया है. अदालत ने माना था कि पांचों आरोपियों को संबंधित धाराओं में आरोपित करने के लिए पर्याप्त सामग्री है. कोर्ट आईपीसी की धारा- 147 (दंगा), 148 (सशस्त्र और जानलेवा हथियार से दंगा), 149 (समान मंशा से अपराध करने के लिए गैर कानूनी तरीके से जमा भीड़ का हिस्सा बनना), 153ए (धार्मिक आधार पर हमला या अपमान), 302 (हत्या), 436 (आग या विस्फोटक सामग्री से उपद्रव), 505 (भड़काना), 120 बी (साजिश), 34 (समान मंशा) के तहत आरोप तय कर चुका है. इंडियन एक्सप्रेस ने कोर्ट के डॉक्यूमेंट का हवाला देते हुए बताया है कि फुरकान और इरशाद घटना वाले दिन अपराध स्थल पर लगे CCTV में दिख रहे हैं. अन्य आरोपी भी CCTV फुटेज में कैद हैं. इन दोनो की उस जगह मौजूदगी साबित करने के लिए पुलिस ने गवाहों के बयान और उनके फोन रिकॉर्ड्स का भी हवाला दिया है. कुलदीप को हत्या के एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया था. बाद में उसे इस केस में आरोपी बनाया गया. इन तीनों के वकीलों ने कोर्ट में  आरोप लगाया कि उन्हें फंसाने के लिए गवाहों को प्लांट किया गया है.

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