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ईरान की इस महिला को नोबेल शांति पुरस्कार मिला, जेल में क्यों बंद हैं नरगिस मोहम्मदी?

नरगिस मोहम्मदी के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा करते हुए नॉर्वे नोबेल समिति ने क्या कहा?

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Jailed activist Narges Mohammadi won Nobel Peace Prize 2023 for her fight against women oppression in Iran.
महिलाओं के समान अधिकारों की आवाज़ बुलंद करने के लिए नरगिस मोहम्मदी को ईरानी सरकार ने कैद कर रखा है. (फोटो क्रेडिट - X)
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प्रज्ञा
6 अक्तूबर 2023 (Published: 16:32 IST)
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ईरान की जेल में बंद एक्टिविस्ट नरगिस मोहम्मदी (Jailed activist Narges Mohammadi) को 2023 का नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize 2023) देने का फैसला किया गया है. ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई लड़ने (fight against women oppression in Iran) के लिए उन्हें ये सम्मान दिया गया है.

नॉर्वे की नोबेल समिति ने नरगिस मोहम्मदी का नाम घोषित करते हुए कहा,

"नॉर्वे नोबेल समिति ने ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए नरगिस मोहम्मदी को 2023 का नोबेल शांति पुरस्कार देने का फैसला किया है. उन्होंने महिलाओं समेत सभी लोगों के मानवाधिकारों और स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी."

नोबेल प्राइज़ समिति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट करते हुए नरगिस मोहम्मदी के बारे में बताया,

"नरगिस मोहम्मदी को अपने बहादुरी भरे संघर्ष की भारी कीमत चुकानी पड़ी. ईरानी शासन ने उन्हें 13 बार गिरफ्तार किया. 5 बार उन्हें दोषी ठहराया गया. उन्हें कुल 31 साल जेल और 154 कोड़ों की सज़ा सुनाई गई है. मोहम्मदी अभी भी जेल में हैं."

कौन हैं नरगिस मोहम्मदी?

नरगिस मोहम्मदी फिज़ीक्स की स्टूडेंट रही हैं. अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने इंजीनियर के तौर पर काम किया. साथ ही वो कई अखबारों के लिए आर्टिकल भी लिखती रहीं. 2003 में तेहरान के ‘हिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर’ से जुड़ीं. इस संगठन को नोबेल पुरस्कार विजेता शिरीन एबादी ने शुरू किया था.

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नरगिस मोहम्मदी ने हमेशा समानता और महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई लड़ी. उन्हें 2011 में पहली बार गिरफ्तार किया गया था. उन पर जेल में बंद कार्यकर्ताओं और उनके परिवारों की मदद करने का आरोप था. इसके लिए उन्होंने कई सालों तक जेल की सज़ा काटी.

मोहम्मदी 2 साल बाद जमानत पर रिहा हुईं. इसके बाद भी वो समानता की लड़ाई लड़ती रहीं. नरगिस मृत्युदंड के खिलाफ चलाए गए एक अभियान में शामिल हुईं. इसके लिए 2015 में उन्हें एक बार फिर गिरफ्तार किया गया और उनकी सज़ा को बढ़ा दिया गया. वो तब से जेल में बंद हैं. 

नरगिस मोहम्मदी राजनैतिक कैदियों पर सत्ता के उत्पीड़न के खिलाफ लगातार विरोध जताती रही हैं. उन्होंने खास तौर पर महिला कैदियों पर हो रहे उत्पीड़न और यौन हिंसा का विरोध किया.

अमिनी की हत्या के विरोध में शामिल

सितंबर 2022 में महसा जीना अमिनी ईरान की मोरेलिटी पुलिस की हिरासत में मारी गईं. इसके बाद देश भर में महिलाओं के अधिकारों के लिए विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. 'महिला-जीवन-आज़ादी' के नारे के तहत सैकड़ों हज़ारों ईरानियों ने सरकार के खिलाफ आवाज़ बुलंद की.

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ईरान की सरकार ने इस विरोध को दबाने के लिए कड़ी कार्रवाई की. इसमें 500 से भी ज़्यादा प्रदर्शनकारी मारे गए. हज़ारों लोग घायल हुए. कई लोग पुलिस की चलाई रबर की गोलियों से अंधे हो गए. इस दौरान कम से कम 20,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया. नरगिस मोहम्मदी ने जेल में बंद रहते हुए इस प्रदर्शन का समर्थन किया. उन्होंने जेल में ही अपने साथियों को इकट्ठा कर देश में हो रहे विरोध प्रदर्शन के साथ अपना समर्थन दर्ज कराया.

न्यूयॉर्क टाइम्स को जेल से भेजा लेख

इस पर जेल अधिकारियों ने नरगिस पर और भी कड़ी पाबंदियां लगा दीं. उन्हें किसी से फोन पर बात करने या किसी से मिलने से भी प्रतिबंधित कर दिया. लेकिन उन्होंने किसी तरह न्यूयॉर्क टाइम्स को एक लेख भेजा. अखबार ने इसे महसा अमिनी की हत्या के पहले साल पर छापा. मोहम्मदी ने इसमें कहा था,

"वे हममें से जितने ज़्यादा लोगों को गिरफ्तार करेंगे, हम उतना मजबूत होंगे."

अब नॉर्वे नोबेल समिति ने नरगिस को लेकर कहा है,

"नरगिस मोहम्मदी को इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार देकर नॉर्वे नोबेल समिति ईरान में मानवाधिकारों, आज़ादी और लोकतंत्र के लिए उनकी हिम्मती लड़ाई का सम्मान करना चाहती है."

समिति ने आगे कहा कि इस साल का शांति पुरस्कार उन लाखों लोगों को भी सम्मानित करता है, जो पिछले कुछ सालों में महिलाओं के खिलाफ भेदभाव और उत्पीड़न की धार्मिक नीतियों के खिलाफ विरोध करते रहे हैं. 

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वीडियो: नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाली संस्था 'वर्ल्ड फूड प्रोग्राम- WFP' करती क्या है?

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