बिहार में दूसरे राज्यों के लोग बनेंगे शिक्षक, छात्रों के साथ टीचर्स भी नीतीश सरकार पर भड़के
सड़कों पर उतर आए हैं अभ्यर्थी, नीतीश सरकार के फैसले को बता रहे नाइंसाफी.
बिहार के कई हिस्सों में शिक्षक भर्ती एग्जाम के उम्मीदवार सड़कों पर उतर आए हैं. नीतीश सरकार के एक फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है. प्रदर्शनकारी हाथों में तख्तियां लिए सड़कों पर बैठे हैं, जिन पर लिखा है- ‘डोमिसाइल लागू करो’. ये मामला बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षक भर्ती से जुड़ा है, जिसमें अब सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के कैंडिडेंट्स भी अप्लाई कर सकते है. इसकी वजह ये है बिहार सरकार ने शिक्षक भर्ती के नियमों में बदलाव किया है. इस बदलाव के तहत बिहार में सरकारी टीचर बनने के लिए बिहार का स्थाई निवासी होने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है.
शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में बदलावCM नीतीश कुमार की कैबिनेट ने 27 जून को बिहार स्टेट स्कूल टीचर रूल्स 2023 में ये बदलाव किया. मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (ACS) एस सिद्धार्थ ने कैबिनेट मीटिंग के बाद इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा,
क्यों हटाई गई डोमिसाइल नीति?"वर्तमान में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है. उसमें एक बदलाव किया गया है. पहले ये प्रावधान था कि केवल बिहार के निवासी ही इसमें अपना आवेदन दे सकेंगे. उस प्रावधान को संशोधित करते हुए अब भारत के नागरिक इसके अंतर्गत अपना आवेदन दे सकते हैं. इसका मतलब बिहार छोड़कर अन्य राज्यों के भी पात्र कैंडिडेट इस परीक्षा में भाग ले सकेंगे. इसका मतलब ये है कि अन्य राज्यों के कैंडिडेट भी बिहार में शिक्षक बन सकेंगे."
शिक्षक नियमावली में संशोधन पर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा है कि इस फैसले से देश के दूसरे राज्यों से टैलेंटेड छात्र बिहार में टीचर बन सकेंगे. इससे शिक्षा की गुणवक्ता बढ़ेगी. शिक्षा मंत्री ने कहा,
“हमारे लोगों के सामने समस्या थी कि साइंस, मैथ्स, केमिस्ट्री, फिजिक्स, अंग्रेजी में कंपिटेंट छात्र बहुत नहीं मिल पाते हैं. सीट खाली रह जाती थीं. खासकर साइंस और अंग्रेजी की समस्या थी.”
वहीं राज्य के अभ्यर्थी बिहार सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. वे मांग कर रहे हैं कि सरकार फिर से डोमिसाइल वाला नियम यानी बिहार का स्थाई निवासी होने का नियम लागू करे.
बिहार के कैंडिडेट्स ने दिया अल्टीमेटमआजतक के आदित्य वैभव की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के स्थानीय उम्मीदवारों ने कहा है कि अगर सरकार ने ये फैसला वापस नहीं लिया, तो बड़े स्तर पर आंदोलन होगा. उम्मीदवारों ने 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया है.
बिहार तक की रिपोर्ट में एक छात्र नेता दिलीप कुमार ने कहा कि बिहार सरकार का ये फैसला गलत है. उन्होंने कहा,
“बिहार के अभ्यर्थियों का हक मारा जा रहा है. ये बिहार के लाखों युवाओं के साथ नाइंसाफी है. ये बिहार के लोगों के लिए काला संशोधन है.”
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार सरकार के इस फैसले का टीचर्स एसोसिएशन ने भी विरोध किया है. एसोसिएशन का कहना है कि सरकार के इस फैसले से बिहार के युवाओं को संघर्ष करना पड़ेगा. बीते चार सालों से भर्ती का इंतजार कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार का ये फैसला मानसिक प्रताड़ना है.
बता दें कि बिहार में नई शिक्षक बहाली के तहत 1 लाख 70 हजार 461 पदों पर भर्ती होनी है. आवेदन करने की तारीख 12 जुलाई है. ये एग्जाम अगस्त के आखिर में होगा.
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