Newsclick मामले में दिल्ली पुलिस CPM के सीताराम येचुरी के घर भी पहुंची, फिर क्या हुआ?
Newsclick मामले में दिल्ली पुलिस CPI(M) के महासचिव सीताराम येचुरी के घर पहुंच गई. वहीं, इस मामले में विपक्षी पार्टियों के नेताओं के बयान सामने आना शुरू हो गए हैं. किसी ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण तो किसी ने तानाशाही की शुरुआत बताया है.
दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद में न्यूज़क्लिक (Newsclick) वेबसाइट से जुड़े कुछ पत्रकारों के घरों पर दिल्ली पुलिस ने छापेमारी की है. इस मामले में दिल्ली पुलिस CPI(M) के महासचिव सीताराम येचुरी के घर भी पहुंची. इस बारे में येचुरी ने खुद मीडिया को जानकारी दी है.
न्यूज़ एजेंसी ANI से बात करते हुए उन्होंने बताया,
रेड पर किसने क्या कहा?"पुलिस मेरे घर पर आई क्योंकि मेरे एक साथी का बेटा न्यूज़क्लिक के लिए काम करता है. वो मेरे साथ ही रहते हैं. पुलिस ने उससे पूछताछ की. उन्होंने उसका लैपटॉप और फोन जब्त कर लिया. वे क्या जांच कर रहे हैं, कोई नहीं जानता. अगर ये पत्रकारिता का गला घोंटने की कोशिश है तो देश को इसके पीछे का कारण जानना चाहिए."
इस मामले में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इसे ध्यान भटकाने की साजिश बताया है. उन्होंने इसे लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट किया. उन्होंने लिखा,
"न्यूज़क्लिक के पत्रकारों के घर सुबह-सुबह छापेमारी. बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़ों और पूरे देश में बढ़ती इसकी मांग से ध्यान भटकाने के लिए ये किया गया है. जब उनके सामने पाठ्यक्रम से बाहर का सवाल आता है तो वो एक ही काउंटर का सहारा लेते हैं - ध्यान भटकाने के."
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कांग्रेस पार्टी ने इस बारे में लिखते हुए प्रधानमंत्री मोदी को डरा हुआ बताया. उन्होंने अपने X अकाउंट पर लिखा,
"PM मोदी डरे हुए हैं, घबराए हुए हैं. खासतौर से उन लोगों से जो उनकी विफलताओं पर, उनकी नाकामियों पर उनसे सवाल पूछते हैं. वो विपक्ष के नेता हों या फिर पत्रकार, सच बोलने वालों को परेशान किया जाएगा. आज फिर से पत्रकारों पर छापेमारी इसी बात का सबूत है."
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने इस बारे में कहा,
'गृहमंत्री की मर्जी से हो रही छापेमारी'“दिल्ली में 30 पत्रकारों पर छापे और उनमें से कई की गिरफ्तारी की खबर सुनकर हैरान हूं. ये 'लोकतंत्र की जननी' वाले देश का काम नहीं हो सकता. बल्कि एक असुरक्षित और निरंकुश राज्य की हरकतें हैं. इतनी मजबूत और सत्तावदी सरकार को एक समाचार वेबसाइट से इतना खतरा क्यों महसूस हो रहा है? वो भी उस वेबसाइट से जिसकी पहुंच या पाठकों की संख्या बहुत ज़्यादा नहीं है... सरकार ने आज अपना और हमारे लोकतंत्र का अपमान किया है.”
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने रेड को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. न्यूज़ एजेंसी ANI से बात करते हुए उन्होंने कहा,
"गांधी जयंती के ठीक बाद इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण और दूर्भावनापूर्ण कार्रवाई नहीं हो सकती. आप उन्हें दिल्ली पुलिस क्यों कह रहे हैं? वे गृहमंत्री अमित शाह के अधीन हैं. उनकी मर्जी के बिना कुछ नहीं होता. जो आप से सवाल पूछे, आपकी भजन मंडली में शामिल न हो, वे उनके खिलाफ ऐसा ही करते हैं. वे ऐसा कर के क्या दिखाना चाहते हैं? ये सब इतिहास में दर्ज़ होगा. सरकार को इसकी कीमत चुकानी होगी."
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समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इस पर विरोध जताया है. उन्होंने लिखा,
"छापे हारती हुई BJP की निशानी हैं. ये कोई नयी बात नहीं है. ईमानदार पत्रकारों पर भाजपाई हुक्मरानों ने हमेशा छापे डाले हैं. लेकिन सरकारी प्रचार-प्रसार के नाम पर कितने करोड़ हर महीने 'मित्र चैनलों' को दिये जा रहे हैं ये भी तो कोई छापे!"
कांग्रेस के सांसद प्रमोद तिवारी ने दिल्ली पुलिस की रेड को तानाशाही बताया है. उन्होंने कहा,
BJP ने किया कार्रवाई का बचाव"मैं समझता हूं तानाशाही आ गई है. ये BJP का सभी पत्रकारों को साफ संदेश है. हम आज़ाद पत्रकारिता का समर्थन करते हैं. हम इन रेड्स की कड़ी निंदा करते हैं."
दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने न्यूज़क्लिक पर हुई कार्रवाई का बचाव किया है. उन्होंने कहा,
"मुझे इस पर सफाई देने की ज़रूरत नहीं है. अगर किसी ने कुछ गलत किया है तो जांच एजेंसियां अपने दिशानिर्देशों के तहत उनके खिलाफ जांच करने के लिए आज़ाद हैं."
वहीं BJP नेता आर. पी. सिंह भी दिल्ली पुलिस की कार्रवाई का बचाव करते नज़र आए. उन्होंने कहा,
"अगर कोई एजेंसी अपने पैसे का इस्तेमाल चीन का एजेंडा चलाने के लिए करती है तो इसकी इजाज़त नहीं दी जानी चाहिए. उनके खिलाफ पहले से ही जांच चल रही थी. वे चीन के पैसे का इस्तेमाल कर चीन को बढ़ावा देते हैं और भारत को बदनाम करते हैं. जो विदेशों से पैसा लेकर भारत के खिलाफ काम कर रहे हैं, उन सभी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी."
बता दें न्यूज़क्लिक से जुड़े रहे जिन पत्रकारों के घर छापेमारी हुई है, उनमें भाषा सिंह, उर्मिलेश, प्रबीर पुरकायस्थ, अभिसार शर्मा, औनिंद्यो चक्रवर्ती और सोहेल हाशमी शामिल हैं.