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NewsClick के HR हेड सरकारी गवाह क्यों बनना चाहते है?

न्यूजक्लिक से जुड़े पदाधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने चीन का एजेंडा चलाने के लिए विदेशी फंड लिया. पोर्टल के खिलाफ इसी साल गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी UAPA के तहत मामला दर्ज किया गया था.

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NewsClick case accused HR head moves court to become government witness
अक्टूबर में दिल्ली पुलिस ने न्यूजक्लिक के फाउंडर प्रबीर चक्रवर्ती (बाएं) समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया था. (फोटो- ट्विटर)
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प्रशांत सिंह
25 दिसंबर 2023 (Updated: 25 दिसंबर 2023, 19:43 IST)
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'राष्ट्र विरोध में चीनी एजेंडा’ चलाने के लिए विदेशी फंड प्राप्त करने के आरोप का सामना कर रहे NewsClick के HR हेड अमित चक्रवर्ती कोर्ट पहुंचे हैं. उन्होंने खुद को सरकारी गवाह बनाने के लिए दिल्ली की एक अदालत में अपील की है. न्यूजक्लिक के खिलाफ इसी साल गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी UAPA के तहत मामला दर्ज किया गया था.

सरकारी गवाह बनना चाहते हैं NewsClick HR हेड

इंडिया टुडे से जुड़ीं संवाददाता अनीषा माथुर की रिपोर्ट के मुताबिक अमित चक्रवर्ती ने स्पेशल जज हरदीप कौर के सामने आवेदन दायर कर मामले में माफी मांगी. उन्होंने दावा किया था कि उनके पास कुछ जरूरी जानकारियां हैं जिनका वो दिल्ली पुलिस के सामने खुलासा करना चाहते हैं. इसके बाद जज हरदीप कौर ने चक्रवर्ती का बयान दर्ज करने के लिए मामले को मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष भेज दिया है.

पुलिस सूत्रों के मुताबिक एजेंसी उनके बयान को देखने के बाद इस बात पर फैसला लेगी कि कोर्ट के सामने चक्रवर्ती के बयान का समर्थन किया जाए या नहीं. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 3 अक्टूबर के दिन चक्रवर्ती और न्यूज़ पोर्टल के संस्थापक और प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को गिरफ्तार किया था. दोनों फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.

(ये भी पढ़ें: Newsclick वालों पर UAPA की जिन धाराओं में मुकदमा, उनमें कितनी सजा मिल सकती है?)

न्यूज़क्लिक पर UAPA की कौन सी धाराएं लगीं?

न्यूज़क्लिक पर UAPA की कई धाराएं लगाई गईं हैं. जैसे गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सेक्शन 13, आतंकी कृत्य के लिए सेक्शन 16, आतंकी कृत्यों के लिए पैसा जुटाने के लिए सेक्शन 17, साजिश के लिए सेक्शन 18, कंपनी या ट्रस्ट द्वारा अपराध किए जाने पर 22(C) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. साथ ही IPC की धारा 153A (पहचान के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 120B (आपराधिक साजिश) भी लगाई गई हैं.

UAPA क़ानून साल 1967 में बना. 2008 और 2012 में कांग्रेस सरकार के वक़्त इसे और मजबूत किया गया. UAPA सरकार और प्रशासन को भारतीय दंड संहिता (IPC) की तुलना में ज्यादा शक्तियां देता है. इसके तहत बनाए गए प्रावधान कई सामान्य आपराधिक क़ानूनों से ज्यादा सख्त हैं. UAPA के तहत सरकार को किसी आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए ज्यादा वक़्त मिल जाता है, जमानत की शर्तें और सख्त होती हैं.

वीडियो: न्यूजक्लिक केस में पत्रकारों को 7 दिन की पुलिस रिमांड, UAPA के तहत हुए थे गिरफ़्तार

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