नवाब मलिक की गिरफ्तारी क्यों हुई? ईडी ने बताई पूरी कहानी
ईडी का आरोप- नवाब मलिक ने हसीना पारकर के साथ 55 लाख रुपए में किया था सौदा
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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 23 फरवरी को महाराष्ट्र के मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक को गिरफ्तार कर लिया. नवाब मलिक के खिलाफ कथित अंडरवर्ल्ड कनेक्शन और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप के कारण उनपर ये कार्रवाई की गई है. बुधवार 23 फरवरी को ईडी ने पहले सुबह छह बजे उनसे घर पर पूछताछ की थी. बाद में उन्हें ईडी ऑफिस लाया गया. वहां उनसे विस्तार से सवाल किए गए, फिर मलिक को गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद उन्हें पीएमएलए कोर्ट में पेश किया गया. सुनवाई के दौरान ईडी ने कोर्ट से मलिक को 14 दिन की रिमांड पर भेजने की मंजूरी मांगी. लेकिन कोर्ट ने केवल 8 दिन के लिए एनसीपी नेता को ईडी की रिमांड पर भेजा.
ईडी ने क्या बताया?
नवाब मलिक की गिरफ्तारी के बाद ईडी ने कहा कि मंत्री ने कथित रूप से मुनिरा प्लंबर से 300 करोड़ रुपए का प्लॉट कुछ लाख रुपए में एक कंपनी के जरिए खरीदा था. मुनिरा प्लंबर ने काफी समय तक दाऊद-गैंग की प्रताड़ना झेली है. जिस कंपनी के जरिए यह प्लॉट खरीदा गया, उसका नाम सॉलीडस इंवेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड है. ईडी के मुताबिक, इस कंपनी का मालिकाना हक़ नवाब मलिक के परिवार के पास है. और मलिक इस कंपनी को हसीना पारकर और डी-गैंग के अन्य सदस्यों के सहयोग से चलाते हैं.
मुनिरा प्लंबर ने ईडी को दिए अपने बयान में बताया कि खरीदा गया प्लॉट तीन एकड़ में फैला है. प्लॉट को गोवाला कम्पाउंड के नाम से जाना जाता है, जो मुंबई के कुर्ला इलाके में है. यह प्लॉट मुनिरा का ही था. उन्होंने बयान दिया कि दाऊद गैंग के एक सदस्य सलीम पटेल द्वारा इस प्रॉपर्टी को किसी थर्ड पार्टी को बेच दिए जाने के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं थी. उन्होंने यह भी कहा कि 18 जुलाई 2003 को प्रॉपर्टी के मालिकाना ट्रांसफर करने के समझौते पर उन्होंने कोई साइन नहीं किए थे. मुनिरा ने यह भी आरोप लगाया कि सलीम पटेल ने उनकी जमीन पर अवैध कब्जे को खाली कराने और सभी विवादों को हटाने के लिए 5 लाख रुपये भी लिए थे. मुनिरा ने कहा कि उन्होंने सलीम को कभी भी प्रॉपर्टी बेचने को नहीं कहा था. इंडिया टुडे को मिली जानकारी के मुताबिक, मुनिरा का कहना है कि सलीम पटेल ने प्रॉपर्टी को अवैध रूप से बेच दिया और इसे किसी थर्ड पार्टी को सौंप दिया.
मुनिरा ने मामले में FIR क्यों नहीं दर्ज कराईं
सवाल उठता है कि मुनिरा ने मामले में FIR क्यों नहीं दर्ज कराई? इस पर मुनिरा ने जांच अधिकारियों को बताया कि उसे पता चला था कि सलीम पटेल अंडरवर्ल्ड से जुड़ा हुआ था. मुनिरा ने कहा कि उन्होंने प्रॉपर्टी के अवैध कब्जे या बेचे जाने को लेकर कोई केस दर्ज नहीं करवाया, क्योंकि उन्हें परिवार की जान का खतरा था.
मुनिरा ने ईडी को ये भी बताया कि उसे इस प्रॉपर्टी के बिक जाने के बारे में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए 2021 में पता चला. दिलचस्प है कि मुनिरा को सरकारी अधिकारियों के पत्र भी मिल रहे थे. जिससे वह निश्चिंत थीं कि वह कानूनी रूप से उस प्रॉपर्टी की मालिक हैं.
सरदार शाहवली खान, जिसने बिक्री में अहम भूमिका निभाई
अब कहानी में एक और किरदार की एंट्री होती है. ईडी ने दावा किया कि कागजातों की जांच में सरदार शाहवली खान नाम के एक शख्स का पता चला, जिसने इस प्लॉट की बिक्री में अहम भूमिका निभाई थी. सरदार शाहवली खान 1993 मुंबई बम धमाकों के दोषियों में एक है. फिलहाल इस मामले में वो औरंगाबाद जेल में टाडा और मकोका के तहत आजावीन कैद की सजा काट रहा है. न्यायिक हिरासत के दौरान, ईडी के सामने अपने बयान में सरदार खान ने खुलासा किया कि वह जावेद चिकना के जरिए हसीना पारकर और टाइगर मेमन के संपर्क में था.
ईडी के अधिकारियों के मुताबिक,
"सरदार शाहवली खान ने बताया कि सलीम पटेल हसीना आपा का करीबी था और उनके ड्राइवर के साथ-साथ बॉडीगार्ड का भी काम करता था. बाद में उसे पता चला कि इस प्रॉपर्टी को लेकर सभी फैसले हसीना आपा के निर्देशों पर सलीम पटेल ही ले रहा था. असल में, इस प्रॉपर्टी की असली मालिक हसीना आपा ही थीं. इस प्रॉपर्टी पर कई विवाद थे, जैसे अवैध कब्जा और अनियमित रेंट पेमेंट. इसके अलावा इस संपत्ति पर दूसरे भू-माफियाओं की नजर भी टिकी हुई थी."ईडी के अधिकारियों ने ये भी बताया कि नवाब मलिक के खिलाफ 10 जनवरी 1995 को शाहवली खान के भाई रहमान ने एक शिकायत दर्ज कराई थी. यह शिकायत मुनिरा प्लंबर को मिल रही धमकियों को लेकर की गई थी. शाहवली खान ने ईडी को बताया कि उसका भाई रहमान मनिरा प्लंबर के लिए काम करता था और गोवाला कम्पाउंड का रेंट इकट्ठा करता था. ईडी का आरोप है कि नवाब मलिक गोवाला कम्पाउंड में स्थित 'कुर्ला जनरल स्टोर' को हासिल करना चाहते थे. ED के मुताबिक
"शाहवली खान के भाई रहमान ने इसे रोकने की कोशिश की और जिसके चलते उसे नवाब मलिक से धमकी मिलने लगी. इसके बाद, नवाब मलिक ने अपने भाई असलम मलिक के सहयोग से इस संपत्ति को हथिया लिया."ईडी के मुताबिक, सरदार शाहवली खान ने यह भी आरोप लगाया कि नवाब मलिक और हसीना पारकर इस प्रॉपर्टी का बड़ा हिस्सा हथियाने की कोशिश कर रहे थे. खान ने ईडी को बताया,
"मुनिरा को कुछ धमकियां मिलीं, जिससे प्रॉपर्टी में उसकी दिलचस्पी कम हो गई. मलिक और हसीना पारकर ने इस मौके का फायदा उठाया."जांच एजेंसी ने यह भी बताया कि नवाब मलिक ने इस प्रॉपर्टी को खरीदने के लिए सॉलीडस इंवेस्टमेंट्स नाम की कंपनी को आगे किया. इस कंपनी का नियंत्रण मलिक के पास ही है. ईडी के मुताबिक, इस मुद्दे के समाधान के लिए नवाब मलिक, असलम मलिक और हसीना पारकर के बीच कई बैठक हुईं. सरदार शाहवली खान ने दावा किया कि कुछ बैठकों में वह भी मौजूद था. बैठक के बाद सहमति बनी थी कि सॉलीडस इंवेस्टमेंट्स को लीज पर मिली इस प्रॉपर्टी को सलीम पटेल को मिली पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए कंपनी के मालिकाना हक में बदला जाएगा. और हसीना पारकर सलीम पटेल के जरिए बाकी बची संपत्ति की मालिक होंगी. ईडी का यह भी आरोप है कि नवाब मलिक ने हसीना पारकर को इसके लिए 55 लाख रुपए कैश का भुगतान भी किया था. देवेंद्र फडणवीस ने क्या कहा? वहीं नवाब मलिक को हिरासत में लिए जाने के बाद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने भी आरोप लगाया कि नवाब मलिक ने अंडरवर्ल्ड के लोगों के जरिए जमीन खरीदी थी. उन्होंने कहा कि जो जमीन की मालिक थीं, उसने बताया कि उसे कोई पैसे नहीं मिले. देवेंद्र फडणवीस ने सवाल उठाते हुए कहा,
"क्या कारण था कि महाराष्ट्र के मंत्री को मुंबई ब्लास्ट के आरोपियों के साथ डील करनी पड़ी. करोड़ों की डील के लिए हसीना पारकर को 55 लाख रुपए दिए गए. देश के दुश्मनों के साथ डील करने के पीछे क्या कारण हैं?"