'70 घंटे काम' के बाद परिवार को वक्त कब दें? नारायण और सुधा मूर्ति ने जवाब दिया!
नारायण मूर्ति से पूछा गया कि क्या उन्हें परिवार के साथ ज्यादा वक्त न बिता पाने का कोई पछतावा होता है.
देश के विकास के लिए युवाओं को हफ़्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए – कुछ दिन पहले इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) इस बयान की वजह से विवादों में रहे. उनकी ये सलाह ज्यादातर लोगों को पसंद नहीं आई. सवाल उठे कि अगर हफ्ते में इतने घंटे काम करेंगे, तो परिवार और खुद के लिए कब समय निकालेंगे? इंडिया टुडे के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) ने इसी मामले पर खुलकर बात की है. बोले कि वो अपनी बात पर कायम हैं.
कुछ दिन पहले ही सुधा मूर्ति ने बताया था कि नारायण मूर्ति खुद हर हफ्ते 80-90 घंटे काम करते थे. सो राजदीप सरदेसाई ने नारायण मूर्ति से पूछ लिया कि क्या उन्हें परिवार के साथ ज्यादा वक्त न बिता पाने को लेकर कोई पछतावा होता है. उन्होंने जवाब दिया,
बिल्कुल नहीं. मेरा मानना है कि क्वांटिटी से ज्यादा जरूरी क्वालिटी होता है. मैं छह बजे ऑफिस के लिए निकलता था और रात 9 बजे लौटता था. जब मैं घर जाता, तो मेरे बच्चे दरवाजे पर मेरा इंतजार करते मिलते. सुधा, बच्चे और मेरे ससुर कार में बैठ जाते थे और फिर हम पसंदीदा खाना खाने जाते थे. तब हम बहुत मस्ती करते थे. वो डेढ़-दो घंटे मेरे बच्चों के लिए सबसे आरामदायक होते थे.
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कोई मुश्किल में फंसा, तो भी मूर्ति बताते हैं कि वो उनके लिए समय निकालते थे. बोले,
मैंने अपने परिवार को कहा है कि जब सब कुछ ठीक चल रहा हो तो तुम्हें मेरी जरूरत नहीं है और अगर कभी भी आपको कोई कठिनाई होगी तो मैं हमेशा आपके लिए मौजूद रहूंगा, अगर आपकी तबीयत ठीक नहीं है तो मैं आपको अस्पताल ले जाने के लिए मैं मौजूद रहूंगा.
पूरा इंटरव्यू यहां देखें-
सुधा मूर्ति ने उनकी बात को सपोर्ट किया. और, कहा कि कड़ी मेहनत के दम पर ही सामान्य बैकग्राउंड से आने वाले नारायण मूर्ति ने 30-40 सालों में इंफोसिस जैसे कंपनी खड़ी कर दी. महिलाओं को नसीहत भी दी कि जब कोई पति अच्छा काम करता है, तो उन्हें बच्चों को बताना चाहिए कि पिता एक वजह से इतनी कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
नारायण मूर्ति ने साफ किया कि 70 घंटे वाला नंबर महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि कड़ी मेहनत को लेकर फोकस्ड होना है.