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पंक्चर लगाने वाला पहले ही प्रयास में बना जज, पुराने काम के बारे में अब क्या सोचते हैं अहद?

प्रयागराज के अहद अहमद कभी पिता के साथ पंक्चर बनाते तो कभी मां के साथ मिलकर महिलाओं के कपड़े सिला करते थे.

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पंक्चर बनाते अहद के पिता. (तस्वीर- आजतक)
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13 सितंबर 2023 (Updated: 13 सितंबर 2023, 20:56 IST)
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आजकल सोशल मीडिया पर एक जुमला अलग-अलग तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है. वही “कोई काम करो तो ऐसा करो कि 4 लोग बोलें…” वाला जुमला. सोशल मीडिया पर रील बनाने वाले ज्यादातर लोग तो इस जुमले को ऐंवई यूज करने में लगे हैं. जबरदस्ती का लगता है. लेकिन कुछ लोग ऐसा कारनामा कर जाते हैं जिसके बारे में सचमुच चार क्या हजारों लोग बोलते हैं. यूपी के एक निवासी अहद अहमद ऐसे ही एक शख्स हैं. ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर क्या ही लिखें. सीधा बताने में ही लोग हिल जाएंगे. अहद अहमद कभी साइकिल का पंक्चर ठीक करते थे, अब देश की व्यवस्था ठीक करने में अहम भूमिका निभाएंगे. वो जज बन गए हैं.

तस्वीर- पंकज श्रीवास्तव/इंडिया टुडे

अहद यूपी के प्रयागराज में रहते हैं. कुछ साल पहले की ही बात है. अहद अपने पिता के साथ मिलकर जैसे-तैसे परिवार चला रहे थे. आजतक के पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट के मुताबिक अहद कभी साइकिल का पंक्चर बनाया करते थे तो कभी मां के साथ मिलकर महिलाओं के कपड़े सिलते थे. लेकिन उन्होंने इसे संकट नहीं संघर्ष समझा और बेहतर जिंदगी के लिए कोशिशें करते रहे. कोशिशें कामयाब हुईं. अहद अहमद जज बन चुके हैं.

कुछ समय पहले यूपी में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की भर्ती के नतीजे सामने आए थे. उसकी लिस्ट में एक नाम अहद अहमद का भी है. ये अपनेआप में ही बहुत बड़ी कामयाबी है. लेकिन अहमद ने स्टेडियम के पार सिक्सर मारा है. वो अपने पहले प्रयास में ही परीक्षा पास कर जज बने हैं. उनकी कामयाबी से उनके परिवार ही नहीं प्रयागराज के लोगों में भी खुशी का माहौल है.

रिपोर्ट के मुताबिक अहमद को पढ़ा-लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का सपना उनकी मां अफसाना का था. परिवार ने बताया कि उन्होंने कई साल पहले एक फिल्म देखी थी "घर द्वार". बताया गया कि इस फिल्म को देखने के बाद ही उन्होंने ठान लिया कि पति की कमाई से घर चलेगा और वो कपड़े सिलकर बच्चों को अच्छी शिक्षा देंगी. यानी अहमद की इस कामयाबी में उनकी मां का बहुत बड़ा हाथ है.

अहद प्रयागराज से करीब 485 किलोमीटर दूर नवाबगंज में स्थित एक छोटे से गांव बरई हरख के रहने वाले हैं. यहां उनका छोटा सा घर है. इसी घर के बगल में उनके पिता शहजाद अहमद की छोटी सी दुकान है जहां वो आज भी पंक्चर बनाया करते हैं. दुकान में थोड़ा किराने का भी सामान है. बच्चों के लिए चिप्स और टॉफी भी बेचते हैं. यहीं से थोड़ा बहुत पैसा कमाकर उन्होंने बच्चों को पाला और पढ़ाया. अहद के अलावा शहजाद के तीन बच्चे और हैं. 

चार भाई-बहनों में अहद तीसरे हैं. उनके दोनों भाइयों में से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं तो वहीं दूसरा भाई प्राइवेट बैंक में ब्रांच मैनेजर है. सभी बच्चों को कामयाब होता देख परिवार में खुशी का माहौल है. जज बनने के बाद अहद पहले की तरह रोज पंक्चर दुकान पर नहीं बैठते. लेकिन कभी-कभी पिता के काम में मदद जरूर करते हैं.

(ये ख़बर हमारे यहां इंटर्नशिप कर रहे अमृत राज झा ने लिखी है.)

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