फिलिस्तीन के पक्ष में सोशल मीडिया पोस्ट किया तो प्रिंसिपल से इस्तीफ़ा मांग लिया गया, प्रिंसिपल ने कहा- 'नहीं दूंगी, क्योंकि...'
मुंबई के (Mumbai) विद्याविहार इलाक़े में एक स्कूल है सौमैया स्कूल (Somaiya School) . यहीं की प्रिंसिपल से उनके हमास-इज़राइल संघर्ष (Hamas Israel Conflict) पर किए गए लाइक-कमेंट को लेकर इस्तीफ़ा मांगा गया है.
मुंबई के (Mumbai) सौमैया स्कूल (Somaiya School) की प्रिंसिपल को स्कूल मैनेजमेंट ने इस्तीफ़ा देने के लिए कहा है. प्रिंसिपल का नाम परवीन शेख़ (Parveen Shaikh) है. ये इस्तीफ़ा कथित तौर पर फ़िलिस्तीन और हमास-इज़रायल संघर्ष के मुद्दे पर उनके सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर उनके रिएक्शंस को लेकर मांगा गया है. इस पर परवीन ने इस्तीफ़ा देने से मना कर दिया है. उनका कहना है, 'मैंने संगठन को अपना सौ प्रतिशत दिया है'.
परवीन शेख़ सोमैया स्कूल के साथ 12 साल से जुड़ी हैं, जबकि पिछले 7 साल से वो स्कूल की प्रिंसिपल भी हैं. ये स्कूल मुंबई के विद्याविहार इलाक़े में मौजूद है. वेब पोर्टल ऑपइंडिया ने 25 अप्रैल को एक रिपोर्ट छापी. इसमें परवीन शेख़ के एक्स हैंडल से उन सोशल मीडिया पोस्ट पर लाइक कमेंट के बारे में बताया गया, जिनमें फ़िलिस्तीन का समर्थन किया गया और हमास से सहानुभूति जताई गई थी. इस पोस्ट की पुष्टि करने के बाद स्कूल मैनेजमेंट ने परवीन शेख को मीटिंग के लिए बुलाया था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, मामले में परवीन ने बताया,
"26 अप्रैल को एक मीटिंग हुई. इसमें स्कूल मैनेजमेंट ने मुझे बताया कि ये उनके लिए मुश्किल फ़ैसला है, लेकिन ये संबंध (स्कूल और परवीन का) अब मान्य नहीं है. इसके बाद उन्होंने मुझसे इस्तीफ़ा देने के लिए कहा. हालांकि मैंने कुछ दिनों तक काम करना जारी रखा, लेकिन मैनेजमेंट के प्रतिनिधियों की तरफ़ से मुझ पर इस्तीफ़ा देने के लिए दबाव डाला गया."
उन्होंने आगे बताया,
"मैं लोकतांत्रिक भारत में रहती हूं. मैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत का बहुत सम्मान करती हूं, क्योंकि ये लोकतंत्र की आधारशिला है. ये कल्पना के परे है कि मेरी अभिव्यक्ति पर ऐसी दुर्भावनापूर्ण प्रतिक्रिया दी जा रही है, जिससे उनका पक्षपाती एजेंडा आगे बढ़ रहा है. मैं इस्तीफ़ा नहीं दूंगी, क्योंकि मैंने संगठन को अपना पूरा दिया है."
उनका कहना है,
"इससे पहले स्कूल मैनेजमेंट हमेशा सहायक और सकारात्मक रहा है. वो स्कूल के विकास और सफलता में मेरी भूमिका को स्वीकार करते हैं और मेरे काम से भी ख़ुश हैं. वो कहते हैं कि ये उनके लिए मुश्किल फ़ैसला है. जब तक स्कूल मैनेजमेंट ने इसके बारे में मुझे कुछ नहीं बताया गया था, तब तक मैं इससे अनजान थी."
वेबपोर्टल ऑपइंडिया ने अपनी रिपोर्ट के आख़िर में लिखा है कि इस मामले में परवीन शेख को मेल भेजकर उनका पक्ष भी लेने की कोशिश की गई, लेकिन 24 घंटों से अधिक समय बीत जाने के बाद भी उनका कोई जवाब नहीं आया है. अगर उनका कोई जवाब आता है, तो वो अपनी स्टोरी को अपडेट करेंगे. 2 मई तक उस ख़बर में कोई ऐसा अपडेट नहीं है, जिसमें परवीन शेख़ का पक्ष हो. हालांकि परवीन शेख़ का इस मामले में कुछ और कहना है. उन्होंने कहा कि एक स्कूल प्रिंसिपल में वेबपोर्टल की रुचि को समझना हैरान करने वाला है. रिपोर्ट के प्रकाशन से पहले उनसे संपर्क नहीं किया गया.
परवीन ने आगे कहा कि सोमैया संस्था के कर्मचारियों को सार्वजनिक रूप से राजनीतिक कमेंट करने पर कोई औपचारिक प्रोटोकॉल या आधिकारिक नीति नहीं है. मार्च में एक बैठक में ये स्पष्ट किया गया था कि कर्मचारियों को अपने निजी सोशल मीडिया अकाउंट पर अपने व्यक्तिगत विचार व्यक्त करने की मंजूरी है, बशर्ते वो स्पष्ट रूप से बताएं कि ये व्यक्तिगत राय हैं.
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इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर में इसका भी ज़िक्र है कि सोमैया ट्रस्ट के एक प्रवक्ता ने शेख़ के बयान पर कमेंट करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट पहले से कही गई बातों से आगे कोई कमेंट नहीं करना चाहेगा. उन्होंने कहा, ‘हमारे संज्ञान में लाए जाने तक हम व्यक्त की गई भावनाओं से अनजान थे. हम ऐसी भावनाओं से सहमत नहीं हैं. ये निश्चित रूप से चिंताजनक है. मामले की जांच की जा रही है.’
इस बीच छात्रों के मां-पिता का एक वर्ग ट्रस्ट के पास पहुंचा. पैरेंट्स ने कहा कि शेख़ की ईमानदारी और स्कूल को विकास की दिशा में आगे बढ़ाने में उनकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. पैरेंट्स ने उनका समर्थन किया है. एक पैरेंट्स ने बताया कि कुछ विषयों पर अगर उनके विचार अलग हैं, तो इससे उन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़गा. बता दें कि अब जब हमने परवीन का अकाउंट खंगालने की कोशिश की, तो उन्होंने अपना अकाउंट प्राइवेट कर लिया है.
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