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'पापा, आपको मुझपर गर्व है ना', घर पर आखिरी बार कैप्टन सुनील ने यही बात की थी

27 जनवरी, 2008. सन्डे की दोपहर. एक दिन ही सुनील को सेना मेडल से सम्मानित किया गया था. घर पर इसी ख़ुशी में एक पार्टी चल रही थी.

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श्री श्री मौलश्री
18 फ़रवरी 2019 (Updated: 18 फ़रवरी 2019, 10:26 IST)
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जब सोनू छोटा सा था, अपने पापा को कहता था -
पापा, एक दिन आप मुझ पर बहुत प्राउड फील करोगे.
पापा मुस्कुरा देते थे. जैसे हम सबके पापा ऐसी बातों पर मुस्कुराते हैं. सोनू के पापा इंडियन आर्मी में थे. कर्नल पी एल चौधरी. परिवार जम्मू में रहता था. उनको देख कर सोनू का मन भी करता था आर्मी में जाने का. वो भी आर्मी में गया. 7/11 गोरखा बटैलियन. और सोनू बन गया कैप्टन सुनील कुमार चौधरी.
और अब बात करते हैं 22 जून, 2016 यानी उनके 36वां बर्थडे की, जबकि ये तस्वीरें हैं.
एक चौक है. कैप्टन सुनील कुमार चौधरी चौक. उनके हर बर्थडे पर उनकी मां वहां जाती हैं. चौक पर सुनील का एक पुतला खड़ा है. नीचे पत्थर पर कप्तान सुनील की जिंदगी से जुड़ी बातें लिखीं हैं.  इस बर्थडे से पहले भी मम्मी पूरी तैयारियों में लगी हुई थीं. उस चौक पर लगे पुतले और स्मारक की ऐसे सफाई कर रही थीं जैसे कभी सुनील के कमरे की करती रही होंगी.
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Credit: facebook

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जिसने भी सुनील की मम्मी को सुबह-सुबह चौक पर बने स्मारक की सफाई करते देखा होगा. बहुत इमोशनल हो गया होगा.

शहीद कैप्टन सुनील कुमार चौधरी

Credit: youtube
Credit: youtube

2008 में कैप्टन सुनील असम में पोस्टेड थे. 27 जनवरी, सन्डे की दोपहर थी. एक दिन पहले यानी 26 जनवरी को ही सुनील को सेना मेडल से सम्मानित किया गया था. उनके ऑफिसर के घर पर इसी ख़ुशी में एक पार्टी चल रही थी. मेडल मिलने के बाद सुनील ने अपने पापा से जब बात की तो पूछा था,
'पापा, मैंने आपको प्राउड फील करवाया ना? आपको मुझपर गर्व है ना?'
घर पर आखिरी बार उन्होंने यही बात की थी. अचानक खबर आई कि 7-8 आतंकवादी पास के जंगल में छुपे हुए हैं. कैप्टन सुनील अपने 5 जवानों को लेकर जंगल के लिए निकल गए.
वो आतंकवादी ULFA के थे. पता चला था कि आतंकवादी जंगल के बीचों-बीच एक मकान में छुपे बैठे है. जब आर्मी की टुकड़ी उस मकान तक पहुंची, आतंकवादियों ने खुली फायरिंग शुरू कर दी. एक आतंकवादी मारा गया. लेकिन गोली सुनील को भी लग गई थी. फिर भी वो जंगल में और भीतर घुसते गए. एक और आतंकवादी मारा. सुनील के सीने में, पैरों में और हाथ में भी गोली लगी थी. लेकिन तीसरे आतंकवादी का पीछा तब भी नहीं छोड़ा. पीछा करते-करते अचानक वो आतंकवादी एकदम सामने आ गया. सुनील ने उसको गोली मारी, उसने सुनील को. दोनों वहीँ गिर गए. आतंकवादी मारा गया. कैप्टन सुनील कुमार चौधरी शहीद हुए.
इस बहादुरी के लिए उनके शहीद होने के बाद उनको कीर्ति चक्र (मरणोपरांत) दिया गया.

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