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यूपी: बजरंग दल ने हंगामा काटा तो पुलिस ने घर में हो रही नमाज रुकवा दी

बजरंग दल ने कहा कि इलाके में नई परंपरा नहीं शुरू होने देंगे.

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Moradabad Taraweeh namaj offering stopped
नमाज को लेकर विवाद के दौरान बजरंग दल के कार्यकर्ता (फोटो- ट्विटर)
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प्रशांत सिंह
27 मार्च 2023 (Updated: 27 मार्च 2023, 11:53 IST)
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उत्तर प्रदेश में नमाज़ पढ़ने को लेकर एक बार फिर से विवाद शुरू हो गया है. मुरादाबाद (Moradabad Namaz) में 25 मार्च को तरावीह की नमाज पढ़ने को लेकर बजरंग दल से जु़ड़े लोगों ने हंगामा किया, जिसके बाद पुलिस द्वारा नमाज पर रोक लगा दी गई. नमाज के लिए आए लोगों ने आरोप लगाए कि बजरंग दल से जुड़े लोग उन्हें नमाज पढ़ने से रोक रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि मुरादाबाद के कटघर थाना क्षेत्र की लाजपत नगर चौकी स्थित ज़ाकिर आयरन स्टोर में 25 मार्च के दिन तरावीह पढ़ने का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा था. स्टोर के मालिक ज़ाकिर हुसैन ने अपने गोदाम में 25 से 30 लोगों का कार्यक्रम आयोजित किया था. ये आयरन स्टोर ज़ाकिर हुसैन के घर के नीचे ही है. पुलिस ने बताया कि हिंदू बहुल इस क्षेत्र में स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया था. जिसके बाद सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, नमाज पढ़े जाने की जानकारी पर राष्ट्रीय बजरंग दल के प्रदेश अध्यक्ष रोहन सक्सेना 25 मार्च की रात कार्यकर्ताओं के साथ गोदाम के बाहर पहुंच गए. इन लोगों ने वहां पर नई परंपरा शुरू करने का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया. जिसके बाद गोदाम के बाहर पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तरावीह का कार्यक्रम पुलिस की मौजूदगी में पूरा कराया गया. जिसके बाद पुलिस ने तरावीह की नमाज को परंपरागत रीति रिवाजों के साथ पहले से तय धार्मिक स्थानों पर करने की बात कही.मामले को लेकर पुलिस ने आगे बताया कि गोदाम मालिक ज़ाकिर हुसैन ने इसको लेकर अपनी सहमति थाना हाजा को दी थी.

तरावीह क्या है?

अरबी भाषा से निकले इस शब्द का मतलब ‘ठहराव या आराम’ होता है. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, तरावीह की दुआ हर चार रकात के बाद जलसा की सूरत में बैठकर पढ़ी जाती है. ईशा की नमाज के बाद तरावीह पढ़ी जाती है और बीच में रुककर दुआ पढ़ी जाती है.

इसमें 20 रकात होती हैं और तरावीह की नमाज को दो-दो रकात में पढ़ा जाता है. चार रकात पूरी होने पर सलाम फेरकर उसी सूरत में बैठकर दुआ पढ़ी जाती है. तरावीह की दुआ के बिना रमजान अधूरा माना जाता है.

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