मेहरौली में मस्जिद के बाद हटाई गई मजार, ASI ने बुलडोजर एक्शन पर अब क्या कहा...
Mehrauli के संजय वन में अखूंदजी की मस्जिद के बाद बारहवीं सदी की एक मजार पर DDA का बुलडोजर चला है. बाबा हाजी रोज़बीह को दिल्ली के शुरुआती सूफी संतों में गिना जाता है.
मेहरौली (Mehrauli Mosque) के संजय वन (Sanjay Van, Delhi) में डीडीए का बुलडोजर (DDA bulldozer) विवादों के बाद भी नहीं थम रहा. अबकी बार एक्शन हुआ है बाबा हाजी रोज़बीह (Baba Haji Rozbih) की मजार पर. इससे पहले अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत अखूंदजी की मस्जिद (akhoondji masjid) को भी गिरा दिया गया था. बाद में खबर आई की साल 1922 में ASI ने अपने रिकॉर्ड में इस मस्जिद का ज़िक्र किया था. जिसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बाबा हाजी रोज़बीह की जिस मजार पर DDA का एक्शन हुआ है, वो बारहवीं शताब्दी की है. डीडीए ने संजय वन के दक्षिणी रिज से अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया है. जिसकी रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) यानि NGT को सौंपी गई है. अखबार के मुताबिक इस रिपोर्ट में DDA ने कई मल्टी स्टोरेज बिल्डिंग समेत काफी सारे अतिक्रमण हटाने की बात कही है.
दरअसल 1922 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के तत्कालिन सहायक अधीक्षक मौलवी जफर हसन ने "मुहम्मडन और हिंदू स्मारकों की सूची, खंड III- मेहरौली जिला" में उन तमाम स्मारकों का ज़िक्र किया है. जिन्हें इस बुलडोजर एक्शन में गिराया गया है. फिर चाहे वो अखूंदजी की मस्जिद हो या बाबा हाजी रोज़बीह की मजार. ASI के उसी दस्तावेज के मुताबिक-
“बाबा हाजी रोज़बीह को दिल्ली के सबसे पुराने संतों में से एक माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि वह राय पिथुरा के समय में आये थे और किले की खाई के पास एक गुफा में अपना निवास स्थान बनाया था."
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक ASI की 1922 की रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि-
"बाबा हाजी रोज़बीह की सलाह पर कई हिंदुओं ने इस्लाम अपना लिया. ज्योतिषियों ने इसे एक अपशकुन माना और राजा को बताया कि बाबा हाजी का आगमन दिल्ली में मुस्लिम शासन के आगमन का पूर्वाभास देता है."
स्थानीय परंपरा में यह भी आरोप लगाया गया है कि राय पिथुरा की एक बेटी ने भी उनके माध्यम से इस्लाम अपनाया था और बाड़े में पड़ी दूसरी प्लास्टर कब्र उसे सौंपी गई है."
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ऐसे में ये सवाल उठाया जाने लगा है कि क्या अतिक्रमण हटाने के नाम पर पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व की इमारतों और स्मारकों को निशाना बनाया जा रहा है? इस बीच ASI का कहना है कि कब्र एएसआई के तहत संरक्षित स्मारकों की सूची का हिस्सा नहीं थी. ये बात और है कि ASI के मुताबिक बुलडोजर एक्शन से पहले डीडीए या किसी अन्य निकाय ने उनसे संपर्क नहीं किया था.
वीडियो: मेहरौली में DDA ने अवैध बताकर गिराई मस्जिद, ASI रिकॉर्ड में निकल आया एक सदी पुराना इतिहास!