फेसबुक पर जितनी तरह से ज्ञान बंटता है, उनमें से एक मेमे भी है. और मेमे के जितने प्रकार हैं, उनमें से एक है वो मेमे है जिनमें सनसनीखेज़ जानकारी होती है. ऐसे ही एक मेमे में दावा किया जा रहा है किआइसलैंड नाम के देश में मर्दों की भारी कमी है. इसलिए वहां की सरकार दूसरे देशों केमर्दों से अपील कर रही है कि आइसलैंड की लड़कियों से शादी कर लें और इसके लिएबाकायदा स्टाइपेंड का भी इंतज़ाम है. वो भी पूरे 5000 डॉलर हर महीने. माने अपनेयहां के 3 लाख 19 हज़ार रुपए.न सिर्फ मेमे, बल्कि कई 'खबरों' में भी दावा किया गया है कि आइसलैंड में दुल्हनें वेदी पर बैठीइंतज़ार कर रही हैं, बस एक स्वस्थ नर का इंतज़ार है. इन खबरों में दावा किया गया हैकि इस स्कीम के पीछे आइसलैंड का जेंडर इम्बैलेंस है. जेंडर इम्बैलेंस माने आबादीमें किसी एक जेंडर के लोगों का ज़्यादा होना. जेंडर इम्बैलेंस अपने यहां भी है,औरतें कम हैं, मर्द ज़्यादा हैं. तो क्या आपको बोरिया बिस्तर बांधकर आइसलैंड निकलजाना चाहिए? कितने ही लोग इस पोस्ट को देखकर पासपोर्ट बनवाने निकल गए होंगेये स्कीम यकीनन इतनी बढ़िया है कि सच होती तो मैं खुद निकल लेता. लेकिन दिल परपत्थर रखकर कहना पड़ रहा है कि नहीं, दोस्त ये हो नहीं सकता.तो बात निकली कहां से?फैक्ट चेकिंग साइट स्नोप्स के मुताबिक ये अफवाह सबसे पहले 2016 में स्पिरिटविस्पर्स नाम की वेबसाइट ने चलाई. कुछ टूटी-फूटी अंग्रेज़ी में लिखे इस आर्टिकल मेंदावा किया गया था कि इस स्कीम में उत्तरी अफ्रीका के लोगों को तरज़ीह दी जाएगी.इसके बाद कई अफ्रीकी वेबसाइट्स ने भी इस 'ऑफर' पर खबरें कीं. स्पिरिट विसपर्स की इस 'खबर' के बाद कई अफ्रीकी वेबसाइट्स ने ऐसे आर्टिकल लगाए थे. लोगों को इस अफवाह पर भरोसा इसलिए भी हो गया क्योंकि कुछ देश ऐसे हैं जो सच मेंअपनी सिकुड़ती जनसंख्या से परेशान हैं. तो वो अपने देश के जोड़ों से अपील कर रहेहैं कि ज़्यादा से ज़्यादा बच्चे पैदा करें. डेनमार्क जैसे कुछ देशों की सरकारें तोइसके लिए जोड़ों से रोमैंटिक छुट्टी पर जाने को कह चुकी हैं. ऐसी किसी छुट्टी केबाद अगर बच्चा होता है तो डेनमार्क की सरकार तीन साल तक बच्चे का खर्च उठाती थी.ऐसे कैंपेन्स के बारे में हमने आपको बताया भी थाःये सरकार देश की खातिर बच्चे पैदा करवाना चाहती हैइस सब का नतीजा ये हुआ कि आइसलैंड की लड़कियों को अनजान मर्दों से सोशल मीडिया परसैकड़ों फ्रेंड रिक्वेस्ट्स मिलने लगीं. दुनियाभर में लोग आइसलैंड के दूतावासों मेंजा-जाकर इंक्वायरी करने लगे. मिस्र (इजिप्ट) में डेनमार्क का दूतावास आइसलैंड सेजुड़े मामले भी देखता है. यहां का स्टाफ इस तरह की इंक्वायरी से इतना तंग आ गया किउन्होंने दूतावास के फेसबुक पेज पर अपील की. कहा कि आइसलैंड की सरकार ने ऐसा कोईऑफर नहीं निकाला है. कृप्या हमारी जान बख्श दें. मिस्र में डेनमार्क की एम्बेसी के अधिकारी इस ऑफर की पूछताछ के लिए आने वाले लोगोंसे तंग आ गए थेआइसलैंड के लोग शादी का लोड ही नहीं लेतेपब्लिक एक मेमे के आधार पर आइसलैंड जाकर घर बसाने का सपना देख रही है. सच ये है कि आइसलैंड मेंलोग शादी के चक्कर में इतना पड़ते ही नहीं कि वहां की सरकार शादी के लिए स्टाइपेंडबांटने लग जाए. यहां 67% बच्चे बिनब्याहे मां-बाप के है. ऐसा नहीं है कि मां-बाप केअलग होने पर यहां के समाज में तनाव हो. 2017 की शुरुआत में जारी हुए हैप्पीनेसइंडेक्स में आइसलैंड को 10 में 7.5 नंबर मिले थे.दोस्तों, मन का मीत चाहते हैं तो इंडिया में ट्राय कीजिए. शायद लक काम कर जाए.लगे हाथ एक और बात बता दे. जिस स्पिरिट विस्पर्स ने आइसलैंड वाली 'खबर' चलाई थी,उसी ने एक और 'खबर' चलाई थी कि यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) में औरतों की भारी कमी होगई है. तो वहां की सरकार 1 लाख 91 हज़ार हर महीने का स्टाइपेंड दे रही है, उनविदेशी औरतों को जो वहां के मर्दों से शादी करेंगे. इस पर हम मिथबस्टर नहींबनाएंगे. आप अपनी समझ से काम लें.स्पिरिट विस्पर्स ने आइसलैंड की ही तरह यूएई के लिए भी एक शादी का इश्तेहार निकालाहै.-------------------------------------------------------------------------------- और पढ़ेंःदुनिया के इस देश में कोई हराम-ज़ादा नहीं होताये सरकार देश की खातिर बच्चे पैदा करवाना चाहती हैरामराज्य से भी अच्छा एक राज्य जहां साल में एक भी मर्डर नहीं होताकैसे बन रहा है पत्थर कार्बन डाई ऑक्साइड से?वो प्रधानमंत्री जिसकी कुर्सी चंद कागज खा गए