CBI चीफ को हटाने में मोदी का साथ देने वाले जज पर जस्टिस काटजू ने क्या बताया?
जस्टिस काटजू मोदी सरकार की नीतियों की अक्सर आलोचना करते रहते हैं.
पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सेलेक्ट कमिटी ने सीबीआई के डायरेक्टर अलोक वर्मा को उनके पद से हटा दिया. उन्हें डीजी फायर सर्विस बना दिया गया है. सेलेक्ट कमिटी में पीएम मोदी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एके सीकरी थे. पीएम और जस्टिस सीकरी ने अलोक वर्मा को पद से हटाने की सिफारिश की जबकि खड़गे इसके खिलाफ थे. ऐसे में 2-1 से ये फैसला हो गया. इसके बाद सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों पर कई सारे लोग जज सीकरी पर सवाल उठाने लगे. इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष रहे मार्कंडेय काटजू का बयान आया है.काटजू ने अपने फेसबुक पेज पर दो एके सीकरी के बारे में दो फेसबुक पोस्ट लिखे हैं. पहला फेसबुक पोस्ट 10 जनवरी की शाम को लिखा गया है.
Justice A.K.Sikri Alok Verma has been removed from the post of CBI Director by a committee consisting of the Prime... Posted by Markandey Katju on Thursday, January 10, 2019
इसमें लिखा है-
अलोक वर्मा को पीएम मोदी, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और जस्टिस सीकरी की कमिटी ने पद से हटा दिया है. पीएम और जस्टिस सीकरी ने वर्मा को हटाने के पक्ष में वोट किया जबकि खड़गे ने इसका विरोध किया. जस्टिस सीकरी के बारे में जानने के लिए मेरे पास बहुस से रिश्तेदारों और जानकारों के कॉल आए हैं. क्योंकि ये उनका ही फैसला था जो निर्णायक था. मैंने उन सबको कहा है कि मैं जस्टिस सीकरी को बहुत अच्छे से जानता हूं क्योंकि मैं दिल्ली हाइकोर्ट में उनका चीफ जस्टिस था. मैं उनकी ईमानदारी की तस्दीक कर सकता हूं. उन्होंने बिना किसी पक्के सबूत के अलोक वर्मा के खिलाफ निर्णय नहीं लिया होगा. मुझे नहीं पता कि वो क्या सबूत हैं. पर मैं जस्टिस सीकरी को जानता हूं और अपनी जानकारी से कह सकता हूं कि वो किसी से प्रभावित नहीं हो सकते हैं. उनके ऊपर किसी भी तरह के आरोप लगाना गलत है.
इसके बाद में 11 जनवरी को भी जस्टिस सीकरी से फोन पर हुई बातचीत का ब्यौरा दिया.
Once again about Justice A.K.Sikri Yesterday I had put up a fb post about Justice A.K.Sikri, Judge, Supreme Court, who... Posted by Markandey Katju on Thursday, January 10, 2019
उन्होंने लिखा-
कल मैंने जस्टिस सीकरी के बारे में एक फेसबुक पोस्ट लिखा. कई सारे लोगों ने कॉमेंट किया कि इस कमिटी ने फैसला लेने से पहले अलोक वर्मा को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया. इसलिए मैंने आज जस्टिस सीकरी को इस बारे में बात करने के लिए कॉल किया. और उनसे इस बातचीत को फेसबुक पर पोस्ट करने की परमिशन भी ली. उन्होंने जो कहा वो इस तरह है-
1. सीवीसी को वर्मा के खिलाफ गंभीर आरोपों की जांच में प्रथम दृष्टया कुछ साक्ष्य और निष्कर्ष मिले थे.
2. सीवीसी ने वर्मा को अपने प्रथम दृष्टया निष्कर्षों को दर्ज करने से पहले सुनवाई का मौका दिया था.
3. इन साक्ष्यों और उन पर आधारित निष्कर्षों के बाद जस्टिस सीकरी का मत था कि जब तक अलोक वर्मा पर लगे आरोपों की जांच पूरी नहीं हो जाती है तब तक उन्हें सीबीआई के डायरेक्टर के पद से हटा दिया जाए. उनका तबादला उनकी रैंक के समान की ही किसी दूसरी रैंक पर कर दिया जाए.
4. वर्मा को बर्खास्त नहीं किया गया है जैसा कई लोगों को लग रहा है. उनतो निलंबित भी नहीं किया गया है. बस समान तनख्वाह और सुविधाओं वाले पद पर. उनका तबादला किया गया है.
5. और जहां तक वर्मा को सुनवाई का मौका न दिए जाने का सवाल है. ये एक स्थापित सिद्धांत है कि किसी आरोपी को सुनवाई का मौका दिए बिना निलंबित किया जा सकता है. और निलंबित होने के बाद भी जांच होते रहना बहुत सामान्य सी बात है. बिना सुनवाई का मौका दिए गए बर्खास्तगी नहीं की जा सकती.
6. वर्मा को न निलंबित किया गया है और न बर्खास्त किया गया है.बस उनका समान रैंक की पोस्ट का ट्रांसफर किया गया है.
जस्टिस काटजू अपने बयानों को लेकर चर्चा में बने रहते हैं. वो सरकारी की नीतियों और कामकाज के तरीकों की खुले तौर पर आलोचना करते रहते हैं. मार्कंडेय काटजू के इस बयान के बाद जस्टिस सीकरी को लेकर चल रही बातों पर लगाम लगने की उम्मीद है.
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