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G20 Summit से पहले मनमोहन सिंह ने जताया पीएम मोदी पर भरोसा, सरकार की तारीफ भी की

मनमोहन सिंह ने ये भी कहा, "मेरी उम्मीद इस बात पर टिकी है कि भारत मैत्रीपूर्ण समाज बने. इसकी विविधता को बचाया जाना जरूरी."

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manmohan singh interview before g20 summit
मनमोहन सिंह ने इस बात पर खुशी जताई कि वो अपने जीवन में कई बार G20 समिट होते देख रहे हैं (फोटो सोर्स- PTI)
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शिवेंद्र गौरव
8 सितंबर 2023 (Updated: 8 सितंबर 2023, 18:15 IST)
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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मौजूदा प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की तारीफ कर दी है. ये पढ़कर आपका हैरत में पड़ना बनता है. लेकिन ये सच है. मनमोहन सिंह ने एक मामले में मोदी सरकार की तारीफ की है. उसके काम को 'सही' करार दिया है.

दरअसल, G20 समिट शुरू होने से एक दिन पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का इंटरव्यू छपा है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में. इंटरव्यू में मनमोहन सिंह ने कहा है कि दुनिया की नई व्यवस्था को चलाने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है. उसने अपने आर्थिक हितों और संप्रभुता को पहले स्थान पर रखकर सही काम किया है. मनमोहन सिंह ने ये भी कहा कि वो भारत के भविष्य के बारे में चिंतित होने की बजाय, आशावादी ज्यादा हैं, लेकिन ये उम्मीद इस बात पर टिकी है कि देश कितना समरसतापूर्ण है. ये उम्मीद देश के ताने-बाने पर निर्भर है. पूर्व प्रधानमंत्री की एक चिंता भी है.

फोटो साभार: राज्यसभा टीवी

ये भी पढ़ें: संसद में मनमोहन सिंह की कुर्सी पीछे लगाई गई, जानिए क्या हुआ?

किस सवाल पर मनमोहन क्या बोले, बिंदुवार जानते हैं.

सवाल- 

आप एक दशक तक देश के प्रधानमंत्री रहे. इस दौरान आप कई जी20 शिखर सम्मेलनों का हिस्सा बने. देश की राजनीति में हमारी विदेश नीति की भूमिका को आप कैसे देखते हैं?

मनमोहन सिंह कहते हैं,

"मुझे बहुत खुशी है कि मेरे जीवनकाल में भारत को कई बार G20 समिट की अध्यक्षता करने का मौका मिला. मैं भारत की G20 की मेजबानी का गवाह हूं. विदेश नीति हमेशा से भारत के प्रशासनिक ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है. लेकिन ये कहना ठीक है कि आज देश की विदेश नीति, देश की घरेलू राजनीति के लिए और भी अधिक जरूरी और प्रासंगिक हो गई है. हालांकि दुनिया में भारत की स्थिति घरेलू राजनीति में एक मुद्दा होना चाहिए, लेकिन पार्टी या व्यक्तिगत राजनीति के लिए कूटनीति और विदेश नीति का इस्तेमाल करने में संयम बरतना भी उतना ही महत्वपूर्ण है."

सवाल-

हालिया वैश्विक व्यवस्था में भारत की भूमिका को कैसे देखते हैं?

मनमोहन सिंह इस सवाल पर कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था अब बहुत अलग है, खासकर रूस-यूक्रेन युद्ध, पश्चिमी देशों और चीन के बीच चल रही रस्साकशी के बाद. दुनिया की इस नई व्यवस्था को चलाने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है.

सवाल-

अब G20 देशों के सामने क्या चुनौतियां हैं, खासकर रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर? सरकार रूस और पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों को मैनेज करने में कितनी चतुराई से काम कर रही है?

इसी सवाल का जवाब देते हुए पूर्व पीएम ने मौजूदा सरकार की नीति का समर्थन किया है. मनमोहन सिंह कहते हैं,

“जब दो या दो से ज्यादा ताकतें संघर्ष में फंस जाती हैं तो देशों पर किसी एक पक्ष के साथ जाने का भारी दबाव होता है. मेरा मानना ​​है कि भारत ने शांति की अपील के साथ-साथ हमारी संप्रभुता और आर्थिक हितों को पहले रखकर सही काम किया है. G20 की कल्पना कभी सुरक्षा से जुड़े विवादों को निपटाने के मंच के रूप में नहीं की गई थी. G20 के लिए ये जरूरी है कि वो सुरक्षा से जुड़े मतभेदों को दूर रखे. और जलवायु, असमानता और वैश्विक व्यापार में श्वास की चुनौतियों से निपटने के लिए नीतियां बनाने पर अपना ध्यान केंद्रित रखे.”

सवाल-

भारत और चीन G20 के साथ-साथ BRICS के भी सदस्य हैं. LAC पर तनाव अभी तक सुलझ नहीं पाया है. एक पूर्व प्रधानमंत्री के बतौर आप भारत-चीन संबंधों को कैसे देखते हैं और सरकार को आपकी क्या सलाह है?

मनमोहन सिंह कहते हैं,

“मेरी राय में प्रधानमंत्री को पेचीदा डिप्लोमैटिक मामलों को संभालने के बारे में सुझाव देना सही नहीं है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने G20 समिट में हिस्सा न लेने का फैसला किया है. मुझे उम्मीद और भरोसा है कि प्रधानमंत्री (मोदी) भारत की क्षेत्रीय और संप्रभु अखंडता की रक्षा करने और द्विपक्षीय तनाव को कम करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे.”

सवाल-

PM नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उनके अगले कार्यकाल में भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा. आप इसे कैसे देखते हैं?

मनमोहन सिंह बताते हैं,

“बदलती वैश्विक व्यवस्था में भारत एक नए आर्थिक अवसर के मुहाने पर खड़ा है. भारत एक बड़ा बाजार है. पर्याप्त मानव और प्राकृतिक संसाधनों वाले एक शांतिपूर्ण लोकतंत्र के रूप में वो उत्पादन और सेवाओं पर जोर देकर दुनिया की एक आर्थिक महाशक्ति बन सकता है.”

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि वो भारत के भविष्य को लेकर चिंतित होने की बजाय आशावादी ज्यादा हैं. हालांकि ये आशा इस बात पर निर्भर है कि भारत एक मैत्रीपूर्ण समाज बने. यही सबकी प्रगति और विकास का आधार है. उन्होंने कहा कि विविधता का स्वागत करना, उसका उत्साह मनाना भारत की खूबी है. इस विविधता को बचाया जाना चाहिए.

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