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मनीष सिसोदिया को मिली जमानत, सुप्रीम कोर्ट ने ED-CBI की कौन-कौन सी दलीलों को खारिज कर दिया?

Manish Sisodia Bail: AAP नेता और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को Supreme Court ने जमानत दे दी है.

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Manish Sisodia Bail
मनीष सिसोदिया को जमानत मिल गई है. (तस्वीर: इंडिया टुडे)
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रवि सुमन
9 अगस्त 2024 (Updated: 9 अगस्त 2024, 11:58 IST)
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दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia Bail) को दिल्ली शराब नीति मामले में जमानत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने 9 अगस्त को उन्हें राहत दी है. 17 महीने बाद AAP नेता मनीष अब तिहाड़ जेल से बाहर आ सकते हैं. अदालत ने शराब नीति मामले (Delhi Liquor Policy Case) में मुकदमा शुरू होने में हुई देरी को देखते हुए CBI और ED, दोनों मामलों में सिसोदिया की जमानत याचिकाओं को स्वीकार कर लिया है.

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि मुकदमा शुरू करने में हुई देरी के कारण अपीलकर्ता को स्पीडी ट्रायल के अधिकार से वंचित किया जाता है. उन्होंने हाल के कुछ उदाहरणों का हवाला दिया और कहा,

"अगर जांच एजेंसियां स्पीडी ट्रायल सुनिश्चित नहीं कर सकती हैं तो वो अपराध की गंभीरता का हवाला देते हुए जमानत का विरोध भी नहीं कर सकती हैं."

ये भी पढ़ें: अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत बढ़ी, मनीष सिसोदिया और के कविता भी जेल में ही रहेंगे, कब तक?

जमानत की शर्तें
  • मनीष सिसोदिया को 10 लाख का बेल बॉन्ड भरना होगा.
  • दो जमानतदार पेश करने होंगे.
  • हर सोमवार को थाने में जाकर हाजिरी लगानी होगी.
  • मनीष को अपना पासपोर्ट जमा करना होगा.
400 से अधिक गवाह

न्यायालय ने कहा कि इस मामले में 400 से अधिक गवाह हैं. ऐसे में, निकट भविष्य में मुकदमा पूरा होने की कोई संभावना नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने मुकदमे में देरी के इस पहलू पर विचार नहीं किया. हालांकि, न्यायालय ने ये माना कि इस केस के मेरिट के संबंध में ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट की ओर से कोई गलती नहीं हुई. लेकिन मुकदमे में देरी के पहलू पर विचार न करके गलती की गई.

न्यायालय ने कहा कि ट्रायल कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के अक्टूबर 2023 के फैसले में की गई टिप्पणियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए था. कहा गया था कि लंबे समय तक कारावास और मुकदमे में देरी को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 45 से जोड़ा जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें: 8 घंटे की पूछताछ के बाद मनीष सिसोदिया को ED ने अरेस्ट किया था

PMLA का सेक्शन 45 क्या कहता है?

PMLA की धारा 45 में कहा गया है कि अगर कोई आरोपी इन दो शर्तों को पूरा करता है तो उसे जमानत दी जा सकती है-

  1. प्रथम दृष्टया इस बात के सबूत हों कि आरोपी ने अपराध नहीं किया है और अदालत प्रथम दृष्टया इस बात से संतुष्ट हो.
  2. अदालत इस बात से संतुष्ट हो कि जमानत पर रहते हुए आरोपी द्वारा कोई अपराध करने की संभावना नहीं है.

इससे पहले, जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने 6 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट के इस निष्कर्ष से असहमति जताई थी कि मुकदमे में देरी सिसोदिया के कारण हुई. जस्टिस गवई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सिसोदिया को दस्तावेजों के निरीक्षण के लिए आवेदन देने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. 

ये भी पढ़ें: दिल्ली शराब नीति केस- ED ने CM केजरीवाल पर ऐसा आरोप लगाया था कि कोर्ट ने तुरंत वारंट जारी कर दिया

'Manish Sisodia के साथ सांप-सीढ़ी का खेल नहीं'

ED और CBI ने कोर्ट में ये दलील दी थी कि सिसोदिया को जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसियों की इस दलील को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि अगर सिसोदिया को जमानत के लिए फिर से ट्रायल कोर्ट और फिर हाईकोर्ट भेजा जाता है, तो ये उनके लिए 'सांप-सीढ़ी' का खेल खेलने जैसा होगा. बेंच ने कहा कि किसी नागरिक को व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए इधर-उधर भटकने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. 

वीडियो: दिल्ली शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया की दिक्कतें और बढ़ने वाली हैं?

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