मणिपुर में देर रात CRPF की बटालियन पर हमला, 2 जवान शहीद, किसका हाथ निकला?
Manipur में शहीद हुए दो CRPF Jawan, CRPF की 128वीं बटालियन के साथ तैनात थे. हमला Bishnupur जिले के नारनसेना इलाके में हुआ. अब तक क्या-क्या पता लगा?
मणिपुर में फिर से हिंसा की खबरें सामने आ रही हैं. अब जानकारी मिली है कि उग्रवादियों के एक हमले में CRPF के दो जवान शहीद हो गए हैं (Manipur Violence). वो दोनों बिष्णुपुर जिले के नारनसेना इलाके में CRPF की 128वीं बटालियन के साथ तैनात थे (CRPF Personnel Died). न्यूज एजेंसी ANI ने मणिपुर पुलिस के हवाले से मामले की जानकारी दी है. रिपोर्ट के मुताबिक, 26 अप्रैल की आधी रात को उग्रवादियों ने CRPF पर हमला किया. झड़प देर रात करीब सवा दो बजे तक चली.
हमला करने वाले उग्रवादी किस समुदाय से थे, इस बात की जानकारी अब तक सामने नहीं आई है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने PTI को बताया,
उग्रवादियों ने CRPF कैंप को निशाना बनाते हुए पहाड़ी की चोटियों से अंधाधुंध गोलीबारी की. ये रात साढ़े 12 बजे के आसपास शुरू हुई और लगभग 2.15 बजे तक जारी रही. उन्होंने बम भी फेंके जिनमें से एक CRPF की 128 बटालियन की चौकी में फटा.
मृतकों की पहचान CRPF के सब-इंस्पेक्टर एन सरकार और हेड कांस्टेबल अरूप सैनी के तौर पर हुई है. घायल कर्मियों में इंस्पेक्टर जादव दास और कांस्टेबल आफताब हुसैन हैं. उन दोनों को छर्रे लगे हैं. पुलिस ने बताया कि हमले के साजिशकर्ताओं को पकड़ने के लिए बड़े पैमाने पर तलाश की जा रही है.
इससे पहले कुछ उपद्रवियों ने कांगपोकपी, उखरूल और इंफाल पूर्व के ट्राइजंक्शन जिले में एक दूसरे पर फायरिंग की थी. इस घटना में दो कुकी लोगों की मौत हो गई.
26 अप्रैल को ही लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में मणिपुर में भी वोटिंग हुई थी. इस पर मणिपुर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी, प्रदीप कुमार झा ने बाहरी मणिपुर में ज्यादा मतदान और हिंसा की न्यूनतम घटनाओं के बारे में बात की थी. उन्होंने बताया कि वहां कोई बड़ी गड़बड़ी की सूचना नहीं मिली है. हालांकि, मणिपुर के उखरुल जिले में दो मतदान केंद्रों पर उपद्रवियों ने EVM और VVPAT मशीनों में तोड़फोड़ की.
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इस बीच मणिपुर में मैतेई रिसर्जेंस फोरम (MReF) ने भारत सरकार से आतंकी हमलों के संबंध में तुरंत कार्रवाई करने की मांग की है. MReF ने एक प्रेस स्टेटमेंट में आरोप लगाया कि कुकी उग्रवादियों ने 16 अप्रैल को तेल और LPG गैस टैंकरों पर घात लगाकर हमला किया था और 24 अप्रैल को एक महत्वपूर्ण पुल पर विस्फोट किया जिससे 150 से ज्यादा ट्रक फंस गए. इससे पहले कुकी इनपी मणिपुर (KIM) ने भी कुकी-जो प्रभुत्व वाले क्षेत्रों पर कथित हमले की निष्पक्ष जांच के लिए भारत सरकार से अपील की थी.
बता दें कि पिछले साल 3 मई को मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में एक 'आदिवासी एकजुटता मार्च' निकाला गया था. इस दौरान भड़की जातीय हिंसा में अब तक 180 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.
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