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मणिपुर हिंसा: बीरेन सिंह सरकार की कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ने का खुला सबूत हैं ये घटनाएं

मणिपुर हिंसा के दौरान की वो घटनाएं जब भीड़ ने 'लॉ एंड ऑर्डर' की धज्जियां उड़ाईं, और सरकारी व्यवस्था को पंगु बना दिया

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Manipur violence main Incidents
मणिपुर में हिंसा को तीन महीने होने वाले हैं, लेकिन शांति होती नहीं दिखती | फाइल फोटो: इंडियाटुडे
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अभय शर्मा
20 जुलाई 2023 (Updated: 20 जुलाई 2023, 18:06 IST)
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कहीं पढ़ा था- आदमी का आदमी हर हाल में हमदर्द हो, इक तवज्जोह चाहिए इंसाँ को इंसाँ की तरफ़’

आज हमारे मणिपुर को बस यही चाहिए. हालात इतने खराब हैं कि वहां से आने वाली हर खबर पहली वाली से ज्यादा दुखती है. कुछ घंटे पहले एक बेहद भयानक वीडियो आया, जिसने उम्मीदों के उजले आसमान में हजारों छेद कर दिए. दरिंदगी की सीमा को दो फरलांग और बढ़ा दिया. नग्न अवस्था में दो महिलाओं की परेड कराई जा रही है. हैवानियत में इंसानों की भीड़ शामिल है. इन महिलाओं को खेतों में ले जाया गया. इस दौरान उन्हें ऐसी यातनाएं दी गईं, जिन्हें हम और आप देख तक नहीं सकते. महिलाएं रोए जा रही हैं, लेकिन किसी को तरस नहीं आ रहा. इस घटना ने माहौल को और गर्म कर दिया.

घटना 4 मई की बताई जा रही है, चुस्त-दुरुस्त मणिपुर पुलिस को भी घटना का पता 19 जुलाई को ही लगा, जब हमें और आपको लगा, वीडियो सोशल मीडिया पर जारी होने के बाद. यानी घटना के ढाई महीने बाद. चुस्त पुलिस को जैसे ही पता चला उसने तुरंत कार्रवाई की और घटना के मुख्य आरोपी को धर दबोचा.

मणिपुर में हिंसा शुरू हुए करीब तीन महीने होने वाले हैं, आज हम उन घटनाओं के बारे में बताएंगे, जब 'लॉ एंड ऑर्डर' की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गईं. और सरकारी व्यवस्था को भीड़ ने पंगु बना दिया.

पहले जानिए क्यों मारने पर उतारू हो गए लोग?

मणिपुर में पूरा बवाल 3 मई को मणिपुर हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद शुरू हुआ. कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का निर्देश दिया था. मैतेई समुदाय ये मांग लंबे समय से कर रहा था. राज्य के आदिवासी समूह जिसमें खासतौर पर नागा और कूकी जनजाति समेत 34 जनजाति के लोग शामिल हैं, इसके विरोध में उतर गए. 

राज्य में मैतई समुदाय बहुसंख्यक है. राज्य की आबादी का करीब 65 फीसदी. इस विरोध की सबसे बड़ी वजह बताई जाती है राज्य की आबादी और राजनीति - दोनों में मैतेई का प्रभुत्व है. मैतेई समुदाय को OBC और SC कैटेगरी में सब कैटेगराइज भी किया गया है और इसके तहत आने वाले लोगों को कैटेगरी के हिसाब से रिजर्वेशन भी मिलता है.

लेकिन, कोर्ट के फैसले के विरोध में 'ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर' ने 3 मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया था. इसी दौरान चुरचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई. इसके बाद हिंसा की आग बाकी जिलों में भी फैली.

अगले दिन BJP विधायक पर हमला

अगले ही दिन यानी 4 मई को भीड़ ने बीजेपी विधायक वुंगजागिन वाल्टे पर हमला कर दिया. वाल्टे, मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से मुलाकात कर राज्य सचिवालय से लौट रहे थे. तभी भीड़ ने उनकी गाड़ी को घेरा. विधायक और उनके ड्राइवर पर हमला कर आरोपी मौके से फरार हो गए. वाल्टे को अस्पताल में भर्ती करवाया गया. कई दिन इलाज के बाद भी जब उनकी तबियत नहीं ठीक हुई तो उन्हें दिल्ली लाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है. वाल्टे फिरजावल जिले के थानलॉन सीट से तीन बार के विधायक रह चुके हैं. वो कुकी समुदाय से हैं. पिछली बीजेपी सरकार में वाल्टे मणिपुर के हिल्स और जनजातीय मामलों के मंत्री थे.

Mob attacked BJP MLA Vungzagin Valte in Imphal critical condition manipur violence
बीजेपी विधायक वुंगजागिन वाल्टे (बाएं)
दो दिन में 54 लोग मार दिए गए

5 मई की रात तक मणिपुर की हिंसा में मरने वालों की संख्या 54 हो गई है. 5 मई की रात चुरचांदपुर जिले में गोलीबारी की एक घटना में तीन लोगों की मौत हो गई. यह गोलीबारी तब हुई, जब इलाके से मैतेई समुदाय के लोगों को निकाला जा रहा था. 5 मई को इम्फाल में एक टैक्स असिस्टेंट की हत्या कर दी गई. गोलीबारी की ये घटना तब हुई, जब सेना ने दावा किया था कि चुरचांदपुर में हालात पर नियंत्रण पा लिया गया है.

अमित शाह के दौरे के बाद भी हिंसा

राज्य में सेना को उतारे जाने के बाद हिंसा पर काफी हद तक काबू पा लिया गया. जिसके बाद 30 मई को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर पहुंचे. कुकी और मैतेई समुदायों से मुलाकत की. भरोसा दिलाया कि हिंसा की जांच होगी और अब शांति रहेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

amit shah manipur violence hit area visit
अमित शाह तीन दिन के मणिपुर दौरे पर गए थे

अमित शाह 1 जून को मणिपुर से वापस लौटे. इसके अगले ही दिन मणिपुर के कई इलाकों में उग्रवादियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई. ये मुठभेड़ हुई बिष्णुपुर जिले के चांदोलपोकपी, तांगजेंग, पोम्बिखोक और कामसन गांवों में. उग्रवादियों के हमले के बाद तांगजेंग गांव के लोग अपने घर छोड़कर चले गए. कुछ घरों में आग भी लगाई गई. हालांकि, इन घटनाओं में कोई हताहत नहीं हुआ.

एंबुलेंस में जिंदा जला डाला

4 जून को मणिपुर में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया. एक एंबुलेंस में तीन लोगों को जिंदा जला दिया गया. तीनों की मौत हो गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मरने वालों में एक सात साल का बच्चा, उसकी मां और उनका एक रिश्तेदार था. कहा जा रहा है कि मृतक महिला मैतेई थी और उसने कथित तौर पर एक कुकी शख्स से शादी की थी.

Three including seven year old his mother burnt alive in ambulance manipur violence Iroisemba
मणिपुर में एंबुलेंस में मां-बेटे समेत तीन लोगों को जिंदा जलाया
अटैक में BSF जवान की मौत

मणिपुर के सेरोऊ इलाके में 5-6 जून के दरमियानी रात को सुरक्षाबलों और विद्रोहियों के ग्रुप के बीच फायरिंग हुई. इस दौरान एक BSF जवान की मौत हो गई. असम राइफल्स के दो जवान घायल भी हुए. अधिकारियों ने बताया कि असम राइफल्स, BSF और पुलिस ने मणिपुर में सुगनू/सेरोऊ के क्षेत्रों में एरिया डोमिनेशन ऑपरेशन चलाया था. इसी दौरान 5-6 जून की रात सुरक्षाबलों और उग्रवादियों के समूह के बीच मुठभेड़ हो गई.

5 जून को ही ITLF (Indigenous Tribal Leader Forum) ने दावा किया कि 4 जून को मणिपुर में सुगनू के इलाकों में 15 गांवों, 15 चर्चों और 11 स्कूलों में उपद्रवियों ने आग लगा दी. दावा ये भी किया गया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मणिपुर यात्रा के बाद से राज्य में हिंसा और बढ़ गई है, जिसके चलते 10 लोग मारे गए.

सुरक्षाबलों की वर्दी में आए और जान ले ली

9 जून को तड़के 4 बजे की बात है. कांगपोकपी जिले और इंफाल वेस्ट जिले के बॉर्डर पर स्थित खोकेन गांव में कुछ लोग आए. गांव वालों को बाहर आने को कहा और फायरिंग शुरू कर दी. इस फायरिंग में एक बुजुर्ग महिला सहित तीन लोगों की मौत हो गई. ग्रामीणों ने बताया कि हमलावरों ने पुलिस और इंडिया रिजर्व बटालियन की वर्दी पहन रखी थी.

शांति समिति का तगड़ा विरोध

10 जून को गृह मंत्रालय ने मणिपुर के अलग-अलग समूहों के बीच शांति प्रक्रिया शुरू करने के लिए शांति समिति की घोषणा की. राज्य की गवर्नर अनुसुइया उइके के नेतृत्व वाली इस समिति में कुल 51 सदस्य रखे गए. लेकिन, समिति का ऐलान होते ही बवाल मच गया. बवाल हुआ इसमें शामिल लोगों को लेकर. कुकी समुदाय से जुड़े नेताओं ने कहा है कि वो इस समिति का बहिष्कार करेंगे, क्योंकि इसमें मैतेई समुदाय से आने वाले मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और उनके समर्थक शामिल हैं. कुकी समुदाय ने नाराजगी जताते हुए कहा कि केंद्र सरकार को मणिपुर के सीएम को समिति में शामिल करने से पहले उनसे सहमति लेनी चाहिए थी.

एक रात में 9 लोगों का मर्डर

13 जून की रात को इंफाल से सटे खमेनलोक इलाके के एक कुकी समुदाय वाले गांव में मैतेई लोगों की हथियारबंद भीड़ ने हमला कर दिया. करीब दो से चार हजार लोगों की इस भीड़ ने गांव में घुसकर लोगों के घर जला दिए. गांव वाले जब अपनी जान बचाने के लिए भागे तो हथियारबंद भीड़ ने उन पर गोलियां चलाईं. इसके जवाब में गांव के लोगों ने भी हथियार उठा लिए. इस हिंसा में 9 लोगों की मौत हुई. करीब 10 लोग गंभीर रूप से घायल हुए.

राज्य की मंत्री के घर पर हमला

14 जून की रात इंफाल पश्चिम जिले के लाम्फेल में राज्य की उद्योग मंत्री नेमचा किपजेन के सरकारी बंगले पर हमला हुआ. बंगले में आग लगा दी गई. किपजेन उस समय घर पर नहीं थीं. हालांकि फायर ब्रिगेड ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पा लिया. वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में सुरक्षा बल मौके पर तैनात हैं.

नेमचा किपजेन BJP के सात कुकी विधायकों में से एक हैं और राज्य की एकमात्र महिला मंत्री हैं. किपजेन उन 10 कुकी विधायकों में शामिल हैं जिन्होंने अपने समुदाय के लिए अलग प्रशासन की मांग की है.

Minister Nemcha Kipgen house fire manipur violence
नेमचा किपजेन BJP के सात कुकी विधायकों में से एक हैं
केंद्रीय मंत्री का घर जलाया

15 जून की रात केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन का घर जला दिया गया. घर राजधानी इंफाल के कोंगबा बाजार इलाके में है. बताया गया कि घटना के समय केंद्रीय मंत्री अपने घर पर नहीं थे. आरके रंजन ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि बदमाश पेट्रोल बम लेकर आए थे और उन्होंने घर पर फेंके. घर के ग्राउंड और फर्स्ट फ्लोर को काफी नुकसान हुआ है.

MLA का घर जलाने और थाना लूटने की कोशिश

16 जून को देर रात कुछ लोगों ने बीजेपी विधायक बिस्वजीत के घर को जलाने की कोशिश की गई, लेकिन ये कोशिश सफल नहीं हुई. रैपिड एक्शन फोर्स ने भीड़ को वहां से भगा दिया. भीड़ पर आंसू गैस और रबड़ बुलेट छोड़े गए. सीएक अलावा इंफाल वेस्ट में एक पुलिस स्टेशन को भी लूटने की कोशिश की गई. हालांकि कोई हथियार नहीं लूटे सके.

 
भीड़ ने 12 'अलगाववादी' छुड़वा लिए

मणिपुर के एक गांव में सर्च ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना को महिलाओं की भीड़ ने घेर लिया. सेना के मुताबिक इसके बाद उन्हें अपना तलाशी अभियान रोकना पड़ा. स्थानीय नेताओं और महिलाओं की भीड़ के विरोध को देखते हुए उन 12 ‘अलगाववादियों’ को भी छोड़ना पड़ा, जिन्हें सर्च ऑपरेशन के दौरान पकड़ा गया था. इन लोगों के पास से हथियार, गोला-बारूद और जंग में इस्तेमाल होने वाली कई चीजें बरामद की गई थीं. बता दें कि KYKL मणिपुर में एक मैतेई अलगाववादी ग्रुप है. इसे 1994 में बनाया गया था. इस ग्रुुप को भारत सरकार ने प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन के तौर पर लिस्ट किया है.

सेना का कहना है कि उसे मणिपुर में लोकल के लोगों का सपोर्ट नहीं मिल रहा है
IRB कैंप में घुसी भीड़, जमकर चलीं गोलियां

5 जुलाई को मणिपुर के थौबल जिले में संघर्ष देखने को मिला. भीड़ ने कथित तौर पर इंडियन रिजर्व फोर्स (IRB) के एक कैंप से हथियार और गोला-बारूद लूटने की कोशिश की. भीड़ को रोकने के लिए सुरक्षाकर्मियों ने हवाई फायरिंग की, जिसमें 27 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई. इस पूरी झड़प के दौरान असम राइफल्स के एक जवान के पैर में भी गोली लगी.

आज 20 जुलाई है, जैसा कि हमने पहले बताया हिंसा शुरू हुए तीन महीने होने वाले हैं, लेकिन हालात और खराब हो रहे हैं... पर उम्मीद पर सबकुछ टिका है और उम्मीद यही करते हैं कि फसाद के गुबार अब तक कितने भी उठे हों, लेकिन जल्द इंसानियत की लौ और तेज होगी. और मणिपुर शांत हो जाएगा. इस मसले पर आज हमारे प्रधानमंत्री भी पहली बार प्रेस में बोले हैं तो ये उम्मीद और जड़ हो जाती है.

वीडियो: मणिपुर वायरल वीडियो पर CJI चंद्रचूड़ ने सरकार को सुनाया

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