लद्दाख में मेजर शैतान सिंह का मेमोरियल ध्वस्त करने पर बवाल! सफाई में क्या बोली BJP?
चुशुल के पार्षद ने जानकारी दी- 'अफसोस की बात है कि डिसइंगेजमेंट प्रोसेस के दौरान मेमोरियल नष्ट करना पड़ा क्योंकि ये बफर जोन में आता है.'
1962 भारत-चीन वॉर के हीरो मेजर शैतान सिंह के मेमोरियल (Major Shaitan Singh Memorial) को ध्वस्त करने की जानकारी सामने आई है. ये मेमोरियल लद्दाख के चुशुल गांव में बनाया गया था. उसी जगह पर जहां से उनका पार्थिव शरीर मिला था. कहा जा रहा है कि जिस जगह पर मेमोरियल बना था वो बफर जोन में शामिल हो गई है, जिसके चलते उसे तोड़ना पड़ा. मामले को लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी है.
25 दिसंबर को लद्दाख ऑटोनोमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल के पूर्व सदस्य और चुशुल के पार्षद खोंचोक स्टानज़िन ने एक पोस्ट में लिखा,
रेजांग-ला का ये ऐतिहासिक स्थल "C" कॉय 13 कुमाऊं के साहसी सैनिकों के सम्मान में बेहद महत्व रखता है. अफसोस की बात है कि डिसइंगेजमेंट प्रोसेस (झड़प के बाद दोनों सेना के पीछे हटने) के दौरान नष्ट करना पड़ा क्योंकि ये बफर जोन में आता है. आइए उनकी बहादुरी को याद करें और उनका सम्मान करें!
खोंचोक ने BBC को बताया कि डिसइंगेजमेंट प्रोसेस के दौरान कई सारे इलाके हटे हैं. बफर जोन बनाने के चलते नागरिकों को भी नुकसान हुआ है और मवेशियों के चरने की जगह भी कम हो गई है. उन्होंने ये भी बताया कि स्थानीय लोगों ने मेमोरियल नष्ट करने को लेकर नाराजगी जताई है.
BJP तो कुछ और कह रही हैBBC के मुताबिक, मामले पर लद्दाख से BJP के लोकसभा सांसद जामयांग छेरिंग नामग्याल का कुछ और ही कहना है. उन्होंने दावा किया है कि मेमोरियल हटाने का बफर जोन से कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने कहा कि पुराना मेमोरियल छोटा था जिसे तोड़कर नया बनाया जाएगा. उन्होंने बफर जोन वाली बात को झूठ करार दिया है. पूछा- क्या भारत सरकार ने कहा है कि कोई बफर जोन बनाया गया है?
कौन हैं वॉर हीरो मेजर शैतान सिंह?1962 की जंग की बात है. 17,000 फीट की ऊंचाई और कड़कड़ाती ठंड. रेजांग ला में मेजर शैतान सिंह की अगुआई में 13 कुमाऊं रेजिमेंट की 120 सिपाहियों वाली टुकड़ी ने भारी संख्या में आए चीनी सैनिकों का मुकाबला किया. बाद में मेजर शैतान सिंह और उनकी टुकड़ी के 114 जवानों के शव मिले. बाकी लोगों को चीन ने बंदी बना लिया था. भारत युद्ध हार गया था लेकिन बाद में पता चला कि चीन की सेना को सबसे ज्यादा नुकसान रेजांग ला पर ही हुआ था. चीन के करीब 1800 सैनिक इस जगह मारे गए थे. ये एकमात्र जगह थी जहां भारतीय सेना ने चीनी सेना को घुसने नहीं दिया.
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बहादुरी के साथ दुश्मनों से लड़ने के लिए मेजर शैतान सिंह को देश का सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र मिला.
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