मीमकाल के मिलेनियल्स महात्मा गांधी पर ऐसे-ऐसे मीम बना रहे हैं
कुछ लोगों को ये मीम्स फनी लगते हैं, तो कुछ लोग इन्हें देख बुरा मान जाते हैं. पर ये बन रहे हैं.
Advertisement
'संविधान लागू होने के बाद चमरही और शिवपालगंज के बाकी हिस्से के बीच एक अच्छा काम हुआ था. वहां एक चबूतरा बनवा दिया गया था, जिसे गांधी-चबूतरा कहते थे. गांधी, जैसे कि कुछ लोगों को आज भी याद होगा, भारतवर्ष में ही पैदा हुए थे और उनके अस्थि-कलश के साथ ही उनके सिद्धांन्तों को संगम में बहा देने के बाद यह तय किया गया कि गांधी की याद में अब सिर्फ़ पक्की इमारतें बनायी जायेंगी और उसी हल्ले में शिवपालगंज में यह चबूतरा बन गया था.ये कुछ लाइनें थी श्रीलाल शुक्ल ने अपने कालजयी उपन्यास 'रागदरबारी' में लिखी हुई हैं. जिस तरह किताब में गांधी चबूतरों का इस्तेमाल ताश खेलने, भांग पीसने के अलावा, उसकी दीवारों को मूतने के काम में लिया जाता था. उसी तरह गांधी के विचारों को भी भारतवासियों ने इसी तरह ही गीला किया है. गांधी जयंती पर सबसे ज्यादा एक ही बात कही जाती है 'गांधी एक व्यक्ति नहीं विचार थे'. 47 से लेकर अबतक हमने गांधी के विचारों को कितना अपनाया है वो तो पता नहीं लेकिन 'जियो और जीने दो' टाइप सिम के बाद सस्ते हुए इंटरनेट के कारण गांधी के अटपटे विचार फेसबुक पर मीम्स बनकर तैरते हुए खूब मिल जाएंगे.
चबूतरा जाड़ों में धूप खाने के लिए बड़ा उपयोगी था और ज्यादातर उस पर कुत्ते धूप खाया करते थे. और चूंकि उनके लिए कोई बाथरूम नहीं बनवाया जाता है इसलिए वे धूप खाते-खाते उसके कोने पर पेशाब भी कर देते थे और उनकी देखादेखी कभी-कभी आदमी भी चबूतरे की आड़ में वही काम करने लगते थे.'
वैसे गांधी जी अहिंसा के पूजक थे लेकिन अगर इन मीम्स को देख लेते तो कसम से अपनी प्रतिज्ञा तोड़कर इन मीम्स वालों की खोपड़ी पर अपनी लाठी चला देते. गांधी जी पर ज्ञान और उनके विचारों के भारी-भारी आर्टिकल तो आपको खूब मिल ही रहे हैं. इन मीम्स को यहां देख लीजिए. कुछ को ये फनी लगती हैं, कुछ को ट्रेंडी, कुछ इससे ऑफेंड होते हैं, कुछ अपमान मानते हैं. कई मीम्स में गालियों का इस्तेमाल भी होता है. जो हम नहीं दिखा सकते.
1. महात्मा गांधी की एक फेमस लाइन है 'आंख के बदले आंख विश्व को अंधा कर देगी', लेकिन हमारे नौजवानों ने इसका और ही मतलब निकाल लिया है.
फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया
2. इसे देखिए, दिल टूटे आशिकों की बातें महात्मा गांधी के हवाले से कहलाई जा रही है. साथ ही चश्मा भी पहना दिया गया. याद आता है कि कुछ साल पहले नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीरों से ऐसी ही छेड़खानी होती थी. उन्हें गॉगल फना दिए जाते थे, तब काफी विरोध भी हुआ था. मीमांतर में लोग शायद ऐसी चीजों से यूज्ड टू हो गए हैं.
फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया
3. लहर के हिसाब से गांधी जी को मुश्किल तो जरूर होती.
फोटो क्रेडिट- गांधी द बॉस
4. जेसीबी तो खैर प्यार है ही.
फोटो क्रेडिट- गांधी द बॉस
5. गांधी के टाइम पर तो मीम्स थे ही नहीं भाई साहब!
फोटो क्रेडिट- the desi stuff
6.गांधी जी ने ओरिजिनली ये कहा था 'खुद में वो बदलाव लाइए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं', लेकिन यहां लोगों ने इसका भी मीम बना दिया. हद्द है भाई!
फोटो क्रेडिट- Memetic Mantra
7. इस मीम को देखकर गांधी जी जरूर सर पकड़ लेते.
फोटो क्रेडिट- @gandhitheboss
8. ये तो सही बात है कि नोट की कीमत तो गांधी जी के फोटो से ही है.
फोटो क्रेडिट- Emenerer
9. इस मीम को देखकर गांधी जी मीम बनाने वाले को ढूंढ रहे होंगे
10. वैसे इस मीम में तो मर्म छिपा हुआ है
11. इस मीम को देखकर गांधी जी सोच रहे होंगे 'लाठी कहां है मेरी?'
फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया
12. गांधी जी की बॉडी शेमिंग चल रही है, यहां तो गांधी जी की हिम्मत जवाब दे ही जाती.
फोटो क्रेडिट- गांधी द बॉस
13. बात तो पते की कही है.
फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया
14. दो मिनट का मौन इस मीम पर.
फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया
15. इसे देखकर तो गांधी जी सोच रहे होंगे 'अच्छा इसीलिए आजादी दिलाई थी'
फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया
16. 'अच्छा अपुन चलता है इसे देखकर मुझे नहीं रहना इधरइच'
फोटो क्रेडिट - Social media
17. अच्छा ऐसा है क्या??
फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया
18. हां इस बात पर वैसे दिक्कत नहीं होनी चाहिए
फोटो क्रेडिट- गांधी द बॉस
19. इसे देखकर गांधी जी क्या करते ये तो गांधी जी ही बता सकते हैं.
फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया
20. ये बात गांधी जी ने नहीं कही लेकिन मीम बनाने वाले ने गांधी जी के मुंह की बात छीन ली है, गांधी होते तो इन तमाम अफवाहों से परेशान होकर यही कहते-
फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया
21. और अंत में आखिरी बात, अगर गांधी जी के पास फेसबुक अकाउंट होता तो जरूर इस मीम को शेयर करते.
फोटो क्रेडिट- सोशल मीडिया
बाकी सब बातें हास परिहास की हैं ही, लेकिन अंतिम तीन मीम्स ही वर्तमान परिदृश्य का सार हैं. लेफ्ट से लेकर राईट तक सबके पास अपने मतलब गांधी का है. इसलिए गांधी को किसी के भाषणों और फोटुओं से जानने की बजाय उनकी खुद की लिखी किताबों से जाने में ही बुद्धिमानी है, बस इतना जान लीजिए.
ये स्टोरी हमारे यहां इंटर्नशिप कर रहे श्याम ने की है.
वीडियो देखें: महात्मा गांधी की अंतरंग तस्वीरों का सच!