महाराष्ट्र सरकार ने बढ़ाया मदरसा शिक्षकों का वेतन, बहुतों के निशाने पर आ गई BJP!
Maharashtra Madarsa Teachers Salary: विपक्ष ने Eknath Shinde सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाया है. BJP के एक वरिष्ठ नेता ने इस विवाद पर सफाई देते हुए कहा है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है.
महाराष्ट्र (Maharashtra) विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने मदरसों (Madarsa) में पढ़ाने वाले शिक्षकों का वेतन बढ़ाने का फैसला लिया है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 10 अक्टूबर को कैबिनेट की एक बैठक में कुल 16 बड़े फैसले लिए. इन्हीं में से एक फैसला मदरसों को लेकर भी था. महाराष्ट्र में भाजपा, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और NCP (अजित पवार) के गठबंधन की सरकार है.
Madarsa Teachers के कितने पैसे बढ़ेंगे?मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाराष्ट्र में D.Ed और B.Ed वाले शिक्षकों को दिए जाने वाले वेतन को बढ़ाया जाएगा. जाकिर हुसैन मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत राज्य के मदरसों में पारंपरिक, धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ गणित, विज्ञान, समाजशास्त्र, हिंदी, मराठी, अंग्रेजी और उर्दू की शिक्षा देने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है.
वर्तमान में D.Ed शिक्षकों को 6 हजार रुपये वेतन दिया जाता है, इसे बढ़ाकर 16 हजार रुपये किया जायेगा. B.Ed और BSc-B.Ed शिक्षकों का वेतन 8 हजार रुपये से बढ़कर 18 हजार रुपये हो जाएगा.
BJP की दोहरी नीति?शिवसेना (बालासाहेब ठाकरे) के प्रवक्ता आनंद दुबे ने इस फैसले को लेकर बयान जारी किया है. उन्होंने सवाल उठाया है कि एक तरफ उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में 'वोट जिहाद' था. वहीं दूसरी तरफ अजित पवार 10 प्रतिशत सीट मुसलमानों को दे रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि शिंदे सरकार मदरसा के शिक्षकों का वेतन बढ़ा रही है. उन्होंने सवाल किया है कि इस ‘हेट एंड लव’ रिलेशनशिप को क्या कहना चाहिए.
भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने इस मामले पर सफाई दी है. उन्होंने कहा है कि देश में मदरसों को फॉर्मल एजुकेशन से जोड़ना सही है. इसमें किसी को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए.
UP में मदरसों को लेकर क्या मामला चल रहा है?इससे पहले, जनवरी 2024 तक उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने मदरसा शिक्षकों को मानदेय देना बंद कर दिया था. वहीं दूसरी तरफ, स्कीम फॉर प्रोवाइड एजुकेशन इन मदरसा एंड माइनॉरिटी (SPEMM), केंद्र सरकार की एक योजना है, जो मदरसा शिक्षकों को अतिरिक्त वेतन देती है. 2021-22 तक के लिए इस योजना को मंजूरी दी गई थी. लेकिन केंद्र ने साल 2017 में अपने हिस्से का फंड जारी करना बंद कर दिया.
ये जानकारी तब सामने आई है जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2004 के उत्तर प्रदेश मदरसा कानून को असंवैधानिक बताया था. हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी थी. इसके बाद शीर्ष अदालत ने केंद्र और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार को नोटिस भेजा था. ये अप्रैल 2024 की बात है.
वीडियो: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने UP के मदरसा एजुकेशन एक्ट को असंवैधानिक क्यों ठहराया?