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Maharashtra: चुनाव आयोग का बड़ा एक्शन, DGP रश्मि शुक्ला का ट्रांसफर

Maharashtra Assembly Elections: अवैध फोन टैपिंग के लिए IPS Rashmi Shukla पर कुल तीन मामले दर्ज किए गए थे. Congress समेत कई दलों ने Election Commission से डीजीपी शुक्ला को हटाने की मांग की थी.

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आईपीएस रश्मि शुक्ला का तबादला कर दिया गया है. (Photo-ANI)
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मानस राज
4 नवंबर 2024 (Published: 13:34 IST)
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महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनावों (Maharashtra Assembly Elections) की रणभेरी बज चुकी है. इस बीच चुनाव आयोग ने एक बड़ा फैसला लिया है. चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र की पुलिस मुखिया यानी डीजीपी रश्मि शुक्ला (DGP Rashmi Shukla) का तबादला कर दिया है. कांग्रेस पार्टी सहित कई अन्य दलों ने चुनाव आयोग (Election Commission of India) में शिकायत की थी कि डीजीपी शुक्ला महाविकास अघाड़ी के प्रति भेदभावपूर्ण नज़रिया रखती हैं. विपक्ष के आरोप के बाद चुनाव आयोग ने रश्मि शुक्ला का डीजीपी के पद से ट्रांसफर कर दिया है. साथ ही आयोग ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि महाराष्ट्र कैडर के सबसे सीनियर IPS अधिकारी को डीजीपी का प्रभार सौंपा जाए.  आयोग ने मुख्य सचिव को 5 नवंबर की दोपहर एक बजे तक तीन आईपीएस अधिकारियों का एक पैनल भेजने का भी निर्देश दिया है. 1988 बैच की IPS और महाराष्ट्र कैडर में सेवारत रश्मि शुक्ला महाराष्ट्र की पहली महिला डीजीपी बनी थीं. इसके अलावा रश्मि शुक्ला सशस्त्र सीमा बल की महानिदेशक भी रह चुकी हैं.

पहले भी विवादों में 

आईपीएस रश्मि शुक्ला पहले भी विवादों में रह चुकी हैं. जब महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार थी, उस दौरान आईपीएस रश्मि शुक्ला स्टेट इंटेलिजेंस की प्रमुख थीं. उस समय उन पर राज्य के कुछ बड़े नेताओं का फोन टैप करने का आरोप लगा था. इन नेताओं में शिवसेना(UBT) के नेता संजय राउत और NCP नेता एकनाथ खडसे का फोन टैप करने का आरोप था. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक अवैध फोन टैपिंग के लिए उनपर कुल तीन मामले दर्ज किए गए थे. 

रिपोर्ट लीक विवाद 

आईपीएस रश्मि शुक्ला फोन टैपिंग के अलावा भी विवादों में रही हैं. उन पर एक सीक्रेट दस्तावेज लीक करने का आरोप लग चुका है. आरोप था कि रश्मि शुक्ला ने 2020 में स्टेट इंटेलीजेंस चीफ रहते हुए एक रिपोर्ट तैयार की थी. इस रिपोर्ट में पुलिस और कुछ ऐसे बिचौलियों के नेक्सस का खुलासा हुआ था जो पैसे के लिए ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल खेलते थे.  2022 में शिंदे सरकार के आने के बाद ये मामला सीबीआई जांच के लिए भेज दिया गया. इस मामले में कोर्ट ने CBI को क्लोज़र रिपोर्ट की अनुमति दे दी थी. जिसके बाद उनके डीजीपी बनने की राह मे कोई अड़चन नहीं रही थी.

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