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'POCSO में नाबालिग मतलब 18 से कम', लॉ कमीशन ने सहमति की उम्र पर और क्या कहा?

भारत के 22वें विधि आयोग ने कानून मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि POCSO के तहत कंसेंट की उम्र 18 ही रहनी चाहिए. साथ ही 16 से 18 साल के नाबालिगों के प्रेम संबंधों पर एक प्रस्ताव दिया है.

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Law Commission of India said the age of consent under POCSO act should not be tinkered with.
22वें लॉ कमीशन की अध्यक्षता कर्नाटक हाई कोर्ट से रिटायर्ड जस्टिस रितु राज अवस्थी ने की. (फोटो क्रेडिट - X)
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प्रज्ञा
30 सितंबर 2023 (Published: 14:54 IST)
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भारत के 22वें विधि आयोग (Law Commission) ने केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट में प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसेज़ (POCSO) ऐक्ट के तहत सहमति की उम्र (age of consent) पर बात की गई है. विधि आयोग ने कहा कि सहमति की मौजूदा उम्र 18 साल है और इसके साथ छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए.

'नाबालिगों के हितों की रक्षा ज़रूरी'

आयोग ने अपनी रिपोर्ट 27 सितंबर को कानून मंत्रालय को सौंपी थी. इसे 29 सितंबर को मंत्रालय की वेबसाइट पर पोस्ट कर सार्वजनिक किया गया है. बार ऐंड बेंच की एरिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस ऋतु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाले आयोग ने रिपोर्ट में लिखा है:

"हमने मौजूदा बाल संरक्षण कानून, कई फैसलों, बच्चों के शोषण, तस्करी और उनसे कराए जाने वाले जबरन सेक्स-वर्क जैसी समस्याओं पर सावधानी से विचार और समीक्षा की है. और, इसके बाद आयोग का मानना है कि POCSO अधिनियम के तहत सहमति की मौजूदा उम्र के साथ छेड़छाड़ करना ठीक नहीं है."

हालांकि, आयोग ने POCSO अधिनियम में एक संशोधन का प्रस्ताव भी दिया है. क्या? कि कानून की नज़र में स्पष्ट सहमति न होने पर भी 16 से 18 साल के बच्चे - जो इंटिमेट रिलेशनशिप में हैं - उन्हें मंजूरी दे दी जानी चाहिए. आयोग ने कहा कि इन मामलों को उतनी गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए, जितना कि मूल रूप से POCSO अधिनियम के तहत आने वाले मामलों को लिया जाता है.

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आयोग का मानना है कि इन मामलों में नाबालिग के हितों की रक्षा करने के लिए संतुलित नज़रिए का होना बहुत ज़रूरी है. इसके लिए निर्देशित न्यायिक विवेक (Guided Judicial Discretion) की शुरुआत होनी चाहिए. न्यायिक विवेक का मतलब, एक जज कैसे व्यक्तिगत मूल्यांकन के आधार पर निर्णय लेता है.

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रिपोर्ट में साफ कहा गया कि सहमति की उम्र कम करने से बाल विवाह और बाल तस्करी के खिलाफ लड़ाई पर सीधा असर पड़ेगा. साथ ही रिपोर्ट में 16 से 18 साल के बच्चों के बीच होने वाले प्रेम संबंधों के मामलों में सावधानी बरतने की सलाह दी गई है. ये हाइलाइट किया गया है कि कई बार इन मामलों में आपराधिक इरादे शामिल नहीं होते.

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