The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Kolkata Doctor Rape Murder Cas...

Kolkata Rape Murder Case: SC ने डॉक्टर्स के लिए बनाई टास्क फोर्स, कहा- "बर्बरता से पूरा देश हिल गया"

Supreme Court ने कहा है कि Kolkata Doctor Murder Case को हाई कोर्ट के भरोसे नहीं छोड़ सकते. कोर्ट ने राज्य सरकार से कई सख्त सवाल पूछे और पुलिस की आलोचना की है. कोर्ट ने ये भी कहा है कि अब ये मामला सिर्फ एक राज्य का नहीं है. CJI DY Chandrachud ने डॉक्टर्स से काम पर वापस लौटने का आग्रह किया है.

Advertisement
Kolkata Doctor Rape Murder Case Supreme Court CBI CJI DY Chandrachud
CJI DY Chandrachud ने डॉक्टर्स से काम पर वापस लौटने का आग्रह किया है. (तस्वीर: PTI/इंडिया टुडे)
pic
रवि सुमन
20 अगस्त 2024 (Updated: 21 अगस्त 2024, 17:42 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

कोलकाता के RG Kar Medical College में जूनियर डॉक्टर के रेप और मर्डर (Kolkata Doctor Rape Murder) के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस घटना का स्वत: संज्ञान लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने CBI से कहा है कि वो 22 अगस्त तक अपनी जांच रिपोर्ट पेश करे. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जैसी बर्बरता हुई, उससे पूरा देश हिल गया है. इस क्रूरता ने अंतरात्मा को झकझोर दिया है.

सुनवाई के दौरान CJI ने इस बात पर चिंता जताई है कि पीड़िता का नाम, उनकी तस्वीर और पोस्टमार्टम के बाद कई वीडियो मीडिया में शेयर किए गए. साथ ही उन्होंने ये भी पूछा कि क्या RG Kar Medical College के प्रिंसिपल ने इस मामले को सुसाइड का मामला बताने की कोशिश की? और FIR में देरी क्यों हुई? कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि आखिर वो हिंसा क्यों नहीं रोक पाई? सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल अस्पताल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की तैनाती का निर्देश दिया है.

डॉक्टर्स के लिए टास्कफोर्स

CJI ने कहा कि कोर्ट विभिन्न क्षेत्रों के डॉक्टर्स को लेकर एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स (NTF) का गठन कर रहा है. वो पूरे भारत में डॉक्टर्स की सुरक्षा के लिए उपायों के तौर-तरीके सुझाएंगे. कोर्ट ने कहा है कि चिकित्सा के पेशे में लैंगिक हिंसा गंभीर चिंता का विषय है. 

कोर्ट के कहा, राष्ट्रीय टास्क फोर्स इन पहलुओं पर काम करेगी-

  • चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए उपाय विकसित करना, अस्पताल परिसर के भीतर सुरक्षा सुनिश्चित करना
  • डॉक्टर्स/मेडिकल पेशेवरों के लिए अलग-अलग शौचालयों सहित बुनियादी ढांचे का विकास
  • अस्पतालों में महत्वपूर्ण क्षेत्रों तक पहुंच को सीमित करने के लिए तकनीकी हस्तक्षेप
  • CCTV कैमरे
  • रात में आने-जाने के लिए यातायात का प्रावधान
  • परामर्श सेवाएं
  • संकट कार्यशालाएं (Crisis Workshops)
  • हर तीन महीने पर सुरक्षा मानदंडों का ऑडिट
  • अस्पतालों में आने वाले लोगों की संख्या के अनुसार पुलिस की उपस्थिति सुनिश्चित करने की संभावना.

NTF के सदस्य कौन होंगे?

ये लोग राष्ट्रीय टास्क फोर्स (NTF) में के सदस्य होंगे- 

  • आरती सरियन, सर्जन वाइस एडमिरल (Surgeon Vice Admiral नेवी की एक हाई रैंक होती है, जो चिकित्सकीय सेवाओं से जुड़ी होती है)
  • डॉ. नागेश्वर रेड्डी, मैनेजिंग डायरेक्टर, एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल गैस्ट्रोलॉजी
  • डॉ. एम श्रीनिवास, डायरेक्टर, AIIMS दिल्ली
  • डॉ. प्रतिमा मूर्ति, निदेशक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज, बेंगलुरु
  • डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी, डायरेक्टर, AIIMS जोधपुर
  • डॉ. सौमित्र रावत, मैनेजिंग मेंबर, गंगाराम अस्पताल दिल्ली
  • प्रोफेसर अनीता सक्सेना, कार्डियोलॉजी हेड, AIIMS दिल्ली
  • प्रोफेसर पल्लवी सप्रे, डीन- ग्रांट मेडिकल कॉलेज, मुंबई
  • डॉ. पदमा श्रीवास्तव, न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट, AIIMS

भारत सरकार के कैबिनेट सचिव, भारत सरकार के गृह सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष और नेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड के अध्यक्ष NTF के पदेन सदस्य होंगे. 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने NTF में जगह की मांग की थी. इस पर CJI ने कहा कि NTF 'सभी स्टेकहोल्डर्स' पर विचार करेगा. दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने मेडिकल पेशेवरों के लिए परेशानी के समय शिकायत के लिए एक कॉलिंग सिस्टम की मांग की है, जिसमें पुलिस स्टेशनों से सीधा संपर्क हो. और दो घंटे के भीतर FIR हो. 

"डॉक्टर्स के लिए आराम करने की जगह नहीं…"

सीजेआई ने कहा कि केरल, तमिलनाडु जैसे कई राज्यों ने डॉक्टर्स को हिंसा से बचाने के लिए कानून बनाए हैं. उन्होंने आगे कहा,

“रात की ड्यूटी करने वाले मेडिकल डॉक्टर्स को पर्याप्त आराम करने की जगह नहीं दी जाती है. मेडिकल पेशेवरों को स्वच्छता, सफाई, आराम और पोषण जैसी बुनियादी जरूरतें भी नहीं दी जाती हैं. मेडिकल यूनिट में सुरक्षा की कमी अपवाद से ज्यादा आम बात है. मरीजों और उनके साथ आने वाले लोगों को अस्पताल के सभी हिस्सों में बिना किसी रोकटोक के जाने की अनुमति है. हथियारों और गोला-बारूद की कोई जांच नहीं की जाती. डॉक्टर्स और मेडिकल पेशेवरों के लिए कोई उचित परिवहन नहीं है”

वहीं कोर्ट ने हड़ताल कर रहे डॉक्टर्स से काम पर लौटने का आग्रह किया है. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यह भी कहा गया कि इस मामले को हाई कोर्ट के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है.  

केवल एक राज्य का मामला नहीं है?

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि डॉक्टर्स की सुरक्षा अदालत की सबसे बड़ी चिंता है. उन्होंने कहा, 

“हमने स्वतः संज्ञान लिया है, क्योंकि ये केवल एक राज्य तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश का मामला है.”  

उन्होंने आगे कहा कि ग्राउंड पर चीजों के बदलने के लिए, देश एक और रेप केस का इंताजर नहीं कर सकता. CJI ने ये भी कहा कि डॉक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मियों के सुरक्षित वर्कप्लेस के लिए एक नेशनल प्रोटोकॉल की जरूरत है.

काम पर वापस लौटें डॉक्टर्स- CJI

कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, इस दौरान भीड़ ने विरोध स्थल पर हमला कर दिया. अस्पताल के महत्वपूर्ण हिस्सों में घुस गए. इस दौरान पुलिस क्या कर रही थी? CJI ने कहा कि जिस जगह पर क्राइम हुआ, उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस की थी. कोर्ट ने इसके अलावा भी कई सवाल किए. कोर्ट के सख्त सवाल-

  • प्रिंसिपल को उनके इस्तीफे के तुरंत बाद दूसरी पोस्टिंग क्यों दी गई?
  • देर रात तक कोई FIR क्यों नहीं दर्ज हुई?
  • माता-पिता को शव को देर से (3 घंटे 30 मिनट की देरी) सौंपा गया?
  • उपद्रवियों को अस्पताल में क्यों घुसने दिया गया?
  • सरकार हिंसा क्यों नहीं रोक पाई?

CJI ने कहा कि जब हत्या हुई थी तो पीड़िता के माता-पिता वहां मौजूद नही थे. ये हॉस्पिटल प्रबंधन की जिम्मेदारी थी की वो FIR दर्ज कराता. सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने इस मामले में राज्य सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि वाइस प्रिंसिपल और पीड़िता के पिता, दोनों ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई है. पिता की शिकायत पर 11:45 पर FIR दर्ज हुई और शव को रात के 8:30 बजे माता-पिता को सौंप दिया गया. उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी कराई गई है और पोस्टमार्टम के तुरंत बाद अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज कर लिया गया था.

उन्होंने आगे कहा कि अस्पताल के प्रिंसिपल छुट्टी पर हैं और पश्चिम बंगाल सरकार ने भी घटना की जांच के लिए एक SIT गठित की है. इस पर CJI ने कहा कि राज्य को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि बर्बरता की घटनाएं ना हो. इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस पर सिब्बल ने कहा कि राज्य में 50 से ज्यादा FIR दर्ज की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट की भी मांग की है. इस घटना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर भी CJI ने अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार की शक्ति को शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर हावी न होने दें. कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी.

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: पॉलीग्राफ टेस्ट, डायरी के पन्ने, कोलकाता डॉक्टर रेप केस में अब क्या सामने आया?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement