केरल में निपाह वायरस के 5 केस, इन जगहों पर लॉकडाउन, 700 लोगों ने बढ़ाई टेंशन!
निपाह वायरस के मामलों में तेजी आने लगी है. केरल में अभी तक इस बीमारी के पांच मामले आ चुके हैं.
केरल में निपाह वायरस (Kerala Nipah Virus) के मामलों में तेजी आने लगी है. राज्य में अभी तक इस संक्रमण के पांच मामले आ चुके हैं. 13 सितंबर को एक और मामले की पुष्टि हुई है. जहां 24 साल का एक स्वास्थ्य कर्मचारी पॉजिटिव पाया गया है. चिंता की बात ये है कि संक्रमितों के संपर्क में 700 से ज्यादा लोग आ चुके हैं. इनमें से 77 लोग हाई रिस्क वाली कैटगरी में हैं. इन लोगों को अपने घर में रहने के लिए कहा गया है. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने ये जानकारी दी है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोझिकोड जिले में इस वायरस से संक्रमित दो लोगों की मौत हो गई थी. जबकि तीन और जिले कन्नूर, वायनाड और मलप्पुरम में अलर्ट जारी किया गया. हिंदुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, मामले की गंभीरता को देखते हुए जिले की 9 ग्राम पंचायत के 58 वार्ड्स को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया गया है. इन इलाकों में आवश्यक सामान बेचने वाली दुकानों को सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक खोलने की अनुमति दी गई है. न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, कोझिकोड के जिला अधिकारी ने इन इलाकों में सभी एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, आंगनबाड़ी केंद्र, बैंक और सरकारी संस्थानों को बंद रखने का आदेश दिया है.
क्या है निपाह?निपाह एक Zoonotic Disease है. इसके मायने हैं कि इसका संक्रमण, संक्रमित जानवरों या दूषित खाने की चीजों से मनुष्यों में फैलता है. WHO का कहना है कि निपाह का संक्रमण एक संक्रमित व्यक्ति के नजदीक रहने से दूसरे व्यक्ति में भी फ़ैल सकता है. इंसानों में निपाह वायरस का संक्रमण पहली बार साल 1998 में मलेशिया और साल 1999 में सिंगापुर में रिपोर्ट किया गया था. इस वायरस का नाम मलेशिया के उसी गांव के नाम पर रखा गया, जहां के एक व्यक्ति में इसका वायरस सबसे पहले आया था. उस व्यक्ति की मौत हो गई थी.
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निपाह का वायरस, इंसानों में जानवरों के जरिए दूषित खाने से आता है. अमेरिकी संस्थान CDC के मुताबिक, कच्चे खजूर का रस या फल जो संक्रमित चमगादड़ों की लार या पेशाब के कारण दूषित हो जाते हैं, उनके सेवन से निपाह हो सकता है. कोविड वायरस की तुलना में निपाह वायरस कहीं धीरे फैलता है. लेकिन ये कोरोना से कहीं ज्यादा जानलेवा है. RT-PCR टेस्ट के जरिए निपाह की पुष्टि की जा सकती है. उसके बाद इलाज किया जाता है. मृत्यु दर ज्यादा होना, निपाह को बेहद खतरनाक बनाता है.
कैसे करें बचाव?इस बीमारी से बचने के लिए कुछ सावधानियां रखनी बेहद जरूरी है. उन इलाकों में, जहां ये बीमारी पहले पाई जा चुकी है, वहां लोगों को अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन और पानी से धोना चाहिए. चमगादड़ों और सुअरों के संपर्क में आने से बचना चाहिए. उन क्षेत्रों में न बसें जहां चमगादड़ रहते हैं. कच्चे खजूर के रस का सेवन करने से बचना चाहिए. निपाह वायरस से इन्फेक्टेड इंसान के शरीर से निकले तरल पदार्थों के संपर्क में आने से बचना चाहिए
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