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कर्नाटक: मंदिर में पहली बार दलितों के प्रवेश के बाद गांव में तनाव, मूर्ति उठाकर ले गए लोग

Karnataka के एक गांव में स्थित ‘कालभैरवेश्वर’ मंदिर में दलितों के प्रवेश को लेकर बवाल मच गया. गांव के लोग मंदिर से भगवान की मूर्ति को उठाकर दूसरी जगह पर ले गए.

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मंदिर में दलितों के प्रवेश को लेकर तनाव (सांकेतिक फोटो: AI)
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रविराज भारद्वाज
11 नवंबर 2024 (Updated: 11 नवंबर 2024, 12:02 IST)
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कर्नाटक के एक मंदिर (Karnataka Temple) में दलितों के प्रवेश (Dalits entering temple) को लेकर बवाल मच गया. मामला मांड्या जिले के एक गांव स्थित ‘कालभैरवेश्वर’ मंदिर का है. जहां जिला प्रशासन से  दलित लोगों के मंदिर में जाने की अनुमति मिलने के बाद कई गांव वालों ने नाराजगी जाहिर की. वो लोग मंदिर से भगवान की मूर्ति को उठाकर दूसरी जगह पर ले गए.

'द हिंदू' की रिपोर्ट के मुताबिक मामला मांड्या शहर से 13 किमी दूर स्थित हनकेरे गांव का है. जहां 10 अक्टूबर को जिला प्रशासन ने दलितों को पहली बार ‘कालभैरवेश्वर’ मंदिर में दाखिल होने और पूजा-अर्चना करने की इजाज़त दी. हालांकि प्रशासन का ये फैसला गांव में रहने वाले कई 'अपर कास्ट' वाले लोगों को नागवार गुजरा. नाराज लोग मंदिर में स्थापित धातु वाली 'उत्सव मूर्ति' को दूसरे स्थान पर ले गए. तनाव की स्थिति को देखते हुए हनकेरे में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया. 

ये भी पढ़ें: 'राम मंदिर से 14 KM के दायरे में चप्पल पहन कर नहीं आ सकते दलित-पिछड़े' वाले दावे का सच

जिला प्रशासन ने दी थी इजाजत

रिपोर्ट के मुताबिक काल भैरवेश्वर स्वामी का ये मंदिर सैंकड़ों साल पुराना है और दलितों को कभी भी उसमें प्रवेश की अनुमति नहीं मिली थी. करीब दो साल पहले, पूर्व कांग्रेस विधायक एम श्रीनिवास के देख-रेख में मंदिर के रेनोवेशन का काम किया गया था. बाद में यह मंदिर राज्य सरकार के धार्मिक बंदोबस्ती विभाग के नियंत्रण में आ गया.  दलितों ने इस मंदिर में एंट्री नहीं मिलने की शिकायत जिला प्रशासन से की थी. ऐसे में प्रशासन की तरफ से दो शांति बैठकें आयोजित की गईं, लेकिन दोनों ही बैठक में कोई नतीजा निकला. ऐसे में दलितों को मंदिर में जाने की इजाजत मिल गई.

10 नवंबर को दलितों ने पुलिस सुरक्षा के बीच मंदिर में एंट्री की. दलितों को मंदिर में एंट्री मिल जाने से नाराज 'अपर कास्ट' के कुछ लोग 'उत्सव मूर्ति' को अपने साथ ले गये. इस पूरे मामले को लेकर स्थानीय दलित नेता गंगाराजू ने कहा कि रिनोवेशन के बाद से ही दलित समुदाय के लोग यहां आते रहे हैं और उन्होंने मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान होने वाले अनुष्ठानों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.  गंगाराजू के मुताबिक कुछ लोग तकरीबन पिछले तीन महीने से इस मामले को लेकर आपत्ति जताने लगे थे.

 इस पूरे मामले को लेकर स्थानीय तहसीलदार शिवकुमार बिरादर ने कहा है कि दलितों के मंदिर में प्रवेश का विरोध करने वालों को शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान और परामर्श चलाया जाएगा. अगर इसके बाद भी लोगों ने विरोध किया तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

वीडियो: Bihar: नवादा में हिंसा, दलित बस्ती में आगजनी और फायरिंग

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