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महिला IPS का बना दिया डीप फेक वीडियो, पॉर्न से मिलकर ख़तरनाक हुई ये तकनीक है क्या?

Deep Fake video को लेकर महिला IPS अधिकारी ने कानपुर के किदवई नगर थाने में केस दर्ज करवाया है. मामले में कानपुर के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर का भी बयान आया है. लेकिन ये डीप फेक होता क्या है? कहां से हुई इसकी शुरुआत?

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deep fake explained
अमेरिकी राष्ट्रपति भी हो चुके हैं डीप फेक का शिकार (सांकेतिक तस्वीर)
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राजविक्रम
14 अगस्त 2024 (Updated: 14 अगस्त 2024, 15:53 IST)
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स्कूलों में अक्सर एक निबंध लिखने को कहा जाता था. निबंध विज्ञान पर, ‘विज्ञान एक अभिशाप है और वरदान भी.’ बड़े होकर ये बात समझ आती है कि विज्ञान ने इंसानों की मदद तो की ही है. कई बार ये हमारी परेशानियों की वजह भी बना है. ऐसी ही एक वजह डीप फेक (Deep fake) भी है. डीप फेक; समझें तो AI वगैरह की मदद से किसी के चेहरे पर किसी दूसरे का चेहरा लगाकर, वीडियो जनरेट कर देना. इसमें क्या आम, क्या खास! सेलिब्रिटी से लेकर राजनेता सब इसके शिकार हुए हैं. अब ऐसा ही एक Deep Fake वीडियो कानपुर की महिला IPS अफसर का वायरल हो रहा है.

यूपी तक की खबर के मुताबिक, कानपुर की एडीसीपी साउथ IPS अंकिता शर्मा का डीप फेक वीडियो बनाया गया है. इस वीडियो में जालसाजों ने अफसर को पेंसिल पैक कर कमाई करने का ऑफर देते दिखाया है. बताया जा रहा है कि 32 सेकंड के इस वीडियो में महिला अधिकारी घर में पेंसिल का व्यापार करने की एडवाइस दे रही हैं. AI की मदद से ठगों ने उनकी आवाज और पहचान का इस्तेमाल किया है. वीडियो में घर आकर पेंसिल व्यापार का माल देने, मुनाफा कमाने वगैरह की बातें हैं, ऐसा भी बताया जा रहा है. 

IPS ने दर्ज करवाई रिपोर्ट 

बताया जा रहा है कि अपने डीप फेक वीडियो को लेकर पुलिस अधिकारी ने कानपुर के किदवई नगर थाने में केस दर्ज करवाया है. मामले में कानपुर के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर हरिश्चंद्र का भी बयान आया है. उन्होंने कहा कि

शुरुआती जांच में वीडियो AI की मदद से बना नजर आ रहा है. मामले में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है. जांच की जा रही है.

नेता-अभिनेता सब शिकार

कुछ दिनों पहले बॉलीवुड अभिनेता रणवीर सिंह का भी एक वीडियो वायरल हुआ था. जिसमें वो एक पॉलिटिकल पार्टी का प्रचार करते नजर आ रहे थे. दरअसल वीडियो वाराणसी का था, जहां रणवीर ने समाचार एजेंसी ANI को एक इंटरव्यू दिया था.

लेकिन किसी ने ओरिजिनल वीडियो में रणवीर की आवाज में फेरबदल कर दिये. और वीडियो में वो बुलवा दिया, जो उन्होंने कभी कहा ही नहीं था. इसमें वो महंगाई और बेरोजगारी को लेकर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते नजर आ रहे थे.

खैर डीप फेक वीडियो वायरल हुआ, तब तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में इसकी सच्चाई के बारे में भी पता चला. ओरिजनल वीडियो भी सामने आया.

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ऐसे ही एक और मामले में मुंबई पुलिस ने कुछ लोगों पर केस दर्ज किया था. आरोप था कि इन्होंने गृह मंत्री अमित शाह का जाली डीप फेक वीडियो फैलाया था. जिसमें वो रिजर्वेशन हटाने की बात कर रहे थे.

ऐसा ही एक डीप फेक वीडियो फिल्म अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का भी वायरल हुआ था. जिसमें उनके चेहरे को एक दूसरी महिला के चेहरे पर लगाया गया था. मामले पर अभिनेत्री ने भी X पर प्रतिक्रिया दी थी. कहा था इस सब से उन्हें काफी ठेस पहुंची है.

ऐसे कई मामलों में दूसरे अभिनेताओं, नेताओं और सेलिब्रिटीज के नाम आते रहे हैं. भारत ही नहीं दुनिया के तमाम देशों में, डीप फेक झूठी जानकारी फैलाने में मदद कर रहे हैं. कभी अमेरिका के पूर्व प्रधानमंत्री बराक ओबामा का डीप फेक वीडियो बना दिया जाता है. तो कभी रूस के राष्ट्रपति पुतिन का. डीप फेक की समस्या अब वास्तविकता बन गई है. ऐसे में हमें भी ये जानना चाहिए कि ये तकनीक है क्या?

डीप फेक क्या होता है?

फोटोशॉप करना यानी किसी तस्वीर वगैरह में फेरबदल करना, आपने देखा होगा कि कई बार लोग किसी दूसरे की तस्वीर में दूसरा चेहरा फिट कर देते हैं. या उसके पीछे की जगह बदल देते हैं. ये काम अब तक फोटो वगैरह में हुआ करता था. लेकिन जैसे-जैसे तकनीक ने तरक्की की, यह वीडियो में करना भी संभव हो गया. और AI वगैरह में हुई तरक्की के बाद यह करना पहले से ज्यादा आसान भी हो गया.

इसमें लोगों के चेहरे में किसी और का चेहरा लगाना, उसकी आवाज में दूसरे शब्द डालना वगैरह शामिल है. यानी आवाज उसी शख्स की रहेगी, लेकिन शब्द वीडियो बनाने वाला अपने मन मुताबिक बुलवा सकता है.

इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल पॉर्न बनाने के लिए भी किया जाता है. द गार्डियन की खबर के मुताबिक, सितंबर 2019 तक मिले 15 हजार डीप फेक वीडियोज में करीब 96 फीसद पॉर्न के थे. जिनमें लगभग सभी में किसी सेलिब्रिटी के चेहरे को पॉर्न स्टार के चेहरे पर लगाया गया था.

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हालांकि फोटोशॉप की तरह वीडियो में एडिटिंग और बदलाव करने की तकनीक पर रिसर्च सालों से चल रही है. फिल्मों, ऐड वगैरह जैसी तमाम जगहों पर ऐसी तकनीक से रियलिस्टिक इफेक्ट में मदद मिलती है. खर्च भी कम किया जा सकता है. कहें तो तकनीक में कुछ अच्छा या बुरा नहीं हो सकता. अच्छाई या बुराई इसके इस्तेमाल पर निर्भर करती है. ऐसी ही एक बुराई है डीप फेक.

डीप फेक की शुरुआत 2017 से मानी जाती है. द गार्डियन की खबर के मुताबिक, इस साल ‘डीप फेक’ नाम के ही एक रेडिट यूजर ने कुछ वीडियो पोस्ट किये. जिनमें गॉल गैडट, टेलर स्विफ्ट जैसी कई सेलिब्रिटीज के चेहरों को पॉर्न वीडियो में इस्तेमाल किया गया था. 

इस तकनीक में विकास के चलते अब डीप फेक पहले से ज्यादा असल भी लगने लगे हैं. ऐसे में इनकी पहचान करना भी एक बड़ी समस्या बन गई है.

वीडियो: सचिन तेंदुलकर भी डीपफेक स्कैम के शिकार वायरल वीडिया पर क्या कहा?

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