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UP: हिस्ट्रीशीटर को पकड़ने पहुंची पुलिस पर फायरिंग, सिपाही शहीद, 2 महीने बाद थी शादी

मामला कन्नौज के थाना विष्णुगढ़ क्षेत्र के ग्राम धीरपुर नगरिया का है. रविवार 25 दिसंबर की शाम पांच बजे थानाध्यक्ष पारुल चौधरी पुलिस बल के साथ हिस्ट्रीशीटर अशोक यादव उर्फ मुन्ना यादव को गिरफ्तार करने उसके घर पहुंची थीं.

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kannauj Sipahi Sachin Rathi and Ashok yadav
शहीद सिपाही सचिन राठी (बाएं) और हिस्ट्रीशीटर अशोक(फोटो: आजतक)
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आर्यन मिश्रा
26 दिसंबर 2023 (Updated: 26 दिसंबर 2023, 16:17 IST)
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उत्तर प्रदेश के कन्नौज में एक हिस्ट्रीशीटर ने कथित तौर पर पुलिस पर हमला कर दिया. हमले में एक सिपाही की मौत हो गई. पुलिस टीम हिस्ट्रीशीटर अशोक यादव उर्फ मुन्ना को गिरफ्तार करने पहु्ंची थी. हालांकि पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. रिपोर्ट के मुताबिक शहीद पुलिस सिपाही सचिन राठी की मंगेतर भी कन्नौज के सौरिख थाने में तैनात थीं. फरवरी 2024 में दोनों की शादी होनी थी. शहीद के परिवार में एक छोटी बहन और एक बड़ा भाई है. उसके पिता किसान हैं.

जब हिस्ट्रीशीटर के दरवाजे पर पहुंची पुलिस

आजतक से जुड़े नीरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट के मुताबिक मामला कन्नौज के थाना विष्णुगढ़ क्षेत्र के ग्राम धीरपुर नगरिया का है. रविवार 25 दिसंबर की शाम पांच बजे थानाध्यक्ष पारुल चौधरी अपनी पुलिस टीम के साथ हिस्ट्रीशीटर अशोक यादव उर्फ मुन्ना को गिरफ्तार करने उसके घर पहुंची थीं. पुलिस को आते देख मुन्ना ने टीम पर फायरिंग शुरू कर दी. अचानक शुरू हुई फायरिंग में सिपाही सचिन राठी की जांघ में गोली लग गई. जिसके बाद वो घायल होकर वहीं गिर गए. साथी पुलिसकर्मियों ने घायल सिपाही को तुरंत अस्पताल पहुंचाया. जहां डॉक्टरों ने उसे कानपुर हायर सेंटर रेफर कर दिया. यहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.  

गोलीबारी की सूचना मिलते ही पुलिस अधीक्षक अमित कुमार आनंद, अपर पुलिस अधीक्षक संसार सिंह, CO सिटी डॉ. प्रियंका बाजपेयी,  छिबरामऊ कोतवाल जितेंद्र प्रताप सिंह, गुरसहायगंज कोतवाल जयप्रकाश शर्मा, सौरिख थानाध्यक्ष सचिन कुमार सिंह, सकरावा थानाध्यक्ष शशिकांत कनौजिया, इंदरगढ़ थानाध्यक्ष किशनपाल सिंह भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे. और मुन्ना यादव के घर की घेराबंदी कर दी. लेकिन अंधेरे का फायदा उठाते हुए मुन्ना और उसके बेटे टिंकू ने भागने की कोशिश की. जिसके बाद पुलिस ने उन्हें रोका तो फिर से उसने पुलिस टीम पर फायरिंग की. जवाब में पुलिस टीम ने भी फायरिंग की जिसमें बाप-बेटे के पैरों पर गोली लग गई. जिसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया.

पुलिस ने क्या बताया?

इस मामले को लेकर पुलिस अधीक्षक अमित कुमार आनंद ने बताया कि अशोक यादव उर्फ मुन्ना के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ था. उस पर हत्या, लूट, डकैती और गैंगस्टर एक्ट के 20 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं. उन्होंने बताया शनिवार, 23 दिसंबर की शाम को पुलिस टीम उसकी गिरफ्तारी के लिए उसके घर पहुंची थी. तभी उसने टीम पर फायरिंग कर दी. इस दौरान सिपाही सचिन राठी के पैर में गोली लग गई. जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए कानपुर हायर सेंटर रेफर कर दिया गया. जहां उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई.

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अमित कुमार आनंद के मुताबिक अंधेरा देखकर अशोक और उसका बेटा टिंकू मौके से भागने लगे. जिसके बाद पुलिस ने उसे दौड़कर पकड़ने की कोशिश की लेकिन उसने पुलिस पर फायरिंग कर दी. पुलिस की जवाबी फायरिंग में दोनों आरोपियों के पैर में गोली लगी. जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. दोनों आरोपियों के पास से दो तमंचे और एक डबल बैरल राइफल भी बरामद की गई है.

ऐसा ही था विकास दुबे वाला बिकरू कांड!

कन्नौज की इस घटना ने कानपुर के गैंगस्टर विकास दुबे वाली वारदात याद दिला दी. विकास कानपुर देहात के चौबेपुर क्षेत्र के बिकरू गांव में रहता था. 2 जुलाई 2020 की रात को सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा ने सर्किल फोर्स के साथ उसे अरेस्ट करने के लिए दबिश दी. इस दबिश की सूचना विकास दुबे को पहले ही मिल गई. उसके शूटर जाल बिछाकर पुलिस का इंतजार करने लगे. पुलिस के गांव में एंट्री करते ही छतों पर मौजूद विकास दुबे और उसके शूटर्स ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. उन्होंने सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी. इस दौरान पुलिस टीम के कुछ सदस्यों ने मौके से भागकर अपनी जान बचाई.

इस हत्याकांड ने न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश को हिला दिया था. राज्य के DGP से लेकर कानपुर में तैनात रहे एसएसपी दिनेश कुमार और IG मोहित अग्रवाल एक्शन में आए. कुछ रोज बाद 10 जुलाई को विकास दुबे को कथित मुठभेड़ में मार गिराया गया. उसे मध्य प्रदेश के उज्जैन से पकड़ा गया था. पुलिस ने कहा था कि दुबे ने भागने की कोशिश की और पुलिस पर गोली चलाई. ऐसे में आत्मरक्षा में पुलिस ने भी गोली चलाई, जिसमें विकास दुबे मारा गया था.

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