The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • 'Judges are not on leave after...

‘4 बजे के बाद जज काम बंदकर...’, कानून मंत्री के सामने CJI चंद्रचूड़ का ये बयान वायरल हो गया

CJI DY Chandrachud ने कहा कि कई बार लोग क़ानूनी प्रकिया से इतने परेशान हो जाते है कि वो किसी भी तरह का सेटलमेंट करके बस कोर्ट से दूर जाना चाहते है. ये चिंता का विषय है.

Advertisement
CJI DY Chandrachud and Law Minister Arjun Ram Meghwal (ANI/File Photo)
CJI डीवाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (ANI/File Photo)
pic
निहारिका यादव
3 अगस्त 2024 (Updated: 3 अगस्त 2024, 18:37 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

सुप्रीम कोर्ट के स्थापना दिवस के 75वें साल के उपलक्ष्य में 29 जुलाई से 3 अगस्त तक लोक अदालत लगी. इस दौरान आयोजित कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट से जुड़े तमाम पहलुओं पर बात की. उन्होंने तमाम वकीलों, जजों को संबोधित करते हुए कहा कि एक टीम लीडर उतना ही बेहतर हो सकता है, जितनी उनकी टीम. पूरी टीम के सहयोग के बिना ये संभव नहीं है.

CJI ने आगे कहा, 

'सुप्रीम कोर्ट भले ही दिल्ली में हो, लेकिन ये दिल्ली का ही नहीं है, ये पूरे देश का सुप्रीम कोर्ट है. मेरी कोशिश रही है कि रजिस्ट्री में देश भर के अलग-अलग हिस्सों के अधिकारी शामिल रहें. लोक अदालत में मामलों के निपटारे के लिए हमने हर पैनल में दो जज, दो मेंबर बार के रखे. मकसद था कि वकीलों का भी उचित प्रतिनिधित्व रहे. इस दौरान जजों और वकीलों को एक दूसरे को समझने का मौका मिला. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण यानी NALSA ने पिछले साल 8.1 करोड़ मुकदमों का निपटारा किया है.'

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, संबोधन के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने लोक अदालतों की भूमिका पर आगे कहा, 

'कई बार मुझसे पूछा जाता है कि सुप्रीम कोर्ट इतने छोटे केस को इतनी अहमियत क्यों दे रहा है? इसका मकसद क्या है? तब मैं इस बात का जवाब देता हूं कि डॉक्टर अंबेडकर जैसे संविधान निर्माताओं ने संविधान में अनुच्छेद 136 का प्रावधान किया. सुप्रीम कोर्ट की स्थापना का मकसद था कि समाज में सबसे पीछे खड़ी जनता तक न्याय सुलभ हो सके. सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के पीछे आइडिया ये नहीं था कि कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की तर्ज पर हम 180 सांवैधानिक मामलों का ही निपटारा करें. बल्कि इसकी स्थापना का मकसद लोगों तक न्याय की पहुंच सुनिश्चित  करना यानी 'न्याय सबके द्वार' के सिद्धांत को साकार करना था.'

उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा, 

'कई बार लोग कानूनी प्रकिया से इतने परेशान हो जाते हैं कि किसी भी तरह का सेटलमेंट करके बस कोर्ट से दूर जाना चाहते हैं. ये चिंता का विषय है. लोक अदालतों का मकसद है कि लोगों को इस बात का आभास हो कि जज उनकी जिंदगी से जुड़े हैं. हम भले ही न्यायपालिका के शीर्ष पर हों पर हम लोगों की जिंदगी से जुड़े हैं. लोगों को लगता होगा कि जज शाम 4 बजे के बाद काम बंद कर देते हैं पर ऐसा नहीं है. वे अगले दिन के लिए सूचीबद्ध मामलों की फाइलें पढ़ते हैं. वीकेंड पर जज आराम न लेकर यात्रा कर रहे होते हैं, ताकि समाज तक पहुंच सकें.'

इस कार्यक्रम के दौरान समारोह मे कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी मौजूद थे. उन्होंने भी इस मौके पर संबोधन देते हुए कहा, 

‘चीफ जस्टिस साहब ने मुझे बताया कि इन लोक अदालतों में 1000 से ज्यादा मामले सेटल हुए हैं. यानी कुछ बात तो है  सुप्रीम कोर्ट में कि हस्ती मिटती नहीं हमारी. इस काम को करने के लिए अलग बिहेवियर होना चाहिए. दुनिया में सबसे सफल इंसान वही होता है जो टूटे को बनाना और रूठे को मनाना जानता है. बड़ा काम किया है CJI साहब ने. मैं सभी को बधाई देता हूं जिन्होंने लोक अदालत के जरिए लोगों को त्वरित न्याय दिलाने में भाग लिया.'

रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार 29 जुलाई को लोक अदालत के पहले दिन CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने इसकी अध्यक्षता की थी. सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील बार मेंबर कपिल सिब्बल ने CJI के साथ बेंच शेयर की. लोक अदालत में जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन नायर भी मौजूद रहे.
 

वीडियो: बेसमेंट में चल रही Bureaucrats Library के गेट में करंट, UPSC एस्पिरेंट झुलसी, आगे क्या हुआ?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement