The Lallantop
X
Advertisement
  • Home
  • News
  • jhansi fire incident death of ...

Jhansi Hospital Fire: 18 बेड की क्षमता वाले वार्ड में रखे गए थे 49 बच्चे, झांसी अग्निकांड के बारे में अब ये सब पता चला है

Jhansi Medical College Fire Incident: झांसी के अस्पताल अग्निकांड से जुड़ी एक बड़ी जानकारी सामने आई है. 18 बच्चों की क्षमता वाले NICU वार्ड में आग लगने के वक्त 49 नवजात शिशु मौजूद थे.

Advertisement
jhansi fire incident death of newborns died operating in nicu beyond capacity new update
कम क्षमता वाले वार्ड में ज्यादा नवजातों को रखा गया (Photo Credit : Aaj Tak)
pic
अर्पित कटियार
17 नवंबर 2024 (Published: 10:13 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

झांसी के अस्पताल अग्निकांड (Jhansi Hospital Fire) से जुड़ी एक बड़ी जानकारी सामने आई है. पता चला है कि महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के जिस वार्ड में 15 नवंबर को आग लगी थी, वहां क्षमता से अधिक नवजात शिशुओं को रखा गया था. इस हादसे में 10 नवजात शिशुओं की दर्दनाक मौत हो गई. नवजात शिशुओं को अस्पताल के NICU यानी ‘नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष’ में रखा गया था. इसकी अधिकतम क्षमता 18 नवजात शिशुओं की थी, लेकिन आग लगने के वक्त इसमें 49 शिशु मौजूद थे. इस मामले में मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एनएस सेंगर का कहना है कि दूसरी जगहों पर इलाज का खर्च ज्यादा होने की वजह से लोग अलग-अलग इलाकों से हमारे पास आते हैं और हम आने वाले सभी बच्चों को इलाज मुहैया कराते हैं.

बगल में ही बन रहा था नया NICU वार्ड

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एनएस सेंगर ने बताया कि एक नया 51 बेड वाला NICU वार्ड बनाया गया था, जिसे अधिकारी एक महीने के अंदर ही उपयोग में लाने की योजना बना रहे थे. आगे उन्होंने बताया,

“नया वार्ड इलाज के लिए नवजात शिशुओं के लिए बेड की क्षमता बढ़ाने के लिए बनाया गया था.”

अस्पताल के CMS (मुख्य चिकित्सा अधीक्षक) डॉ. सचिन माहौर ने बताया कि नए NICU वार्ड का निर्माण कार्य दो साल पहले शुरू हुआ था.

ये भी पढ़ें: झांसी अस्पताल में 5 बच्चे बचाए इस पिता ने, हाथ भी जल गए, पर अपना बेटा अभी तक ना मिला

नर्स का पैर जला

डॉ. एनएस सेंगर ने बताया कि जिस NICU वार्ड में आग लगी. उसके सारे अग्निशामक यंत्र चालू थे और आग बुझाने के लिए इनका इस्तेमाल भी किया गया था. जून में एक मॉक ड्रिल का आयोजन भी किया गया था. डॉ. सेंगर ने आगे बताया,

“हमने आग पर काबू पाने के लिए एक बड़ी योजना बनाई थी. मेडिकल कॉलेज को तीन खंडों में बांटा गया था. हर एक खंड की देखरेख एक प्रोफेसर द्वारा की जाती थी. सभी स्टाफ सदस्यों को आग पर काबू पाने के लिए प्रोटोकॉल के तहत ट्रेन्ड किया गया था, जो इस घटना के दौरान मददगार साबित हुआ था.”

उन्होंने बताया कि नवजात शिशुओं को बचाने और आग बुझाने की कोशिश में मेघना नाम की नर्स का पैर जल गया.

खिड़कियां तोड़ बचाए गए बच्चे

जानकारी के मुताबिक, आग 15 नवंबर की रात करीब 10.20 बजे लगी और नवजात शिशुओं को NICU से बाहर निकालने के लिए खिड़कियों के शीशे तोड़ने पड़े. इनमें से 39 शिशुओं को बचा लिया गया. लेकिन 10 बच्चे, जो NICU के अंदरूनी हिस्से में थे, उन्हें बचाया नहीं जा सका. जो नवजात बच गए हैं, उन्हें मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल और निजी अस्पतालों के दूसरे वार्ड में भेज दिया गया है. बताया जा रहा है कि उनकी हालत अभी स्थिर है. 


झांसी पहुंचे उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि सरकार पूरी जांच सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रही है. 

वीडियो: झांसी अग्निकांड के बीच चश्मदीद का दावा, माचिस की तीली जलने से लगी आग?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement