डॉनल्ड ट्रंप को 'हिटलर, धोखेबाज, आपदा' कहने वाले जेडी वेंस कैसे बने उनके डेप्युटी?
JD Vance एक समय Donald Trump के कट्टर आलोचक थे. हिटलर से तक उनकी तुलना कर दी थी. हालांकि इसके बाद वेंस रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर बने, लेकिन ट्रंप उन्हें चुनावी रण में अपना साथी चुन लेंगे, ये बहुत कम लोगों ने ही सोचा होगा. आखिर कैसे ट्रंप को 'तबाही' जैसा बताने वाले जेडी वेंस उनके वफादार बन गए?
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों से यह साफ हो गया है कि वहां एक बार फिर डॉनल्ड ट्रंप की सरकार बनने जा रही है. वोटों की गिनती में ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी ने बहुमत का आंकड़ा छू लिया है. डॉनल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बनने के साथ ही जेडी वेंस का उपराष्ट्रपति बनना भी तय हो गया है. ट्रंप ने इस बार वेंस को रिपब्लिकन पार्टी की ओर से उपराष्ट्रपति पद का कैंडिडेट चुना था. जब ट्रंप ने ये फैसला लिया था तो इस फैसले ने कई लोगों को चौंका दिया था, क्योंकि जेडी वेंस एक समय ट्रंप के कट्टर आलोचक थे. हिटलर से तक उनकी तुलना कर दी थी. हालांकि इसके बाद वेंस रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर बने थे, लेकिन ट्रंप उन्हें चुनावी रण में अपना साथी चुन लेंगे, ये बहुत कम लोगों ने ही सोचा होगा. आखिर कैसे ट्रंप को 'तबाही' जैसा बताने वाले जेडी वेंस उनके वफादार बन गए. और ट्रंप ने उन्हें क्यों उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना दिया. ये सब जानेंगे, लेकिन इससे पहले जेडी वेंस के बारे में भी थोड़ा जान लेते हैं.
जेडी वेंस, 2 अगस्त 1984 को ओहियो के मिडलटाउन में पैदा हुए थे. उन्होंने येल लॉ स्कूल से ग्रेजुएशन किया. वेंस का भारत से भी एक कनेक्शन है. उनकी पत्नी उषा वेंस भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक हैं. अमेरिका वेंस को एक लेखक और उद्योगपति के तौर पर भी जाना जाता है. साल 2016 में वेंस ने एक संस्मरण लिखा जिसका शीर्षक था - ‘हिलबिली एलीगी’. ये बुक उस समय बेस्टसेलर बनी. इस पर एक मूवी भी बनी थी.
Donald Trump के आलोचक से कैसे बने समर्थक?राजनीति में सक्रिय होने से पहले जेडी वेंस ट्रंप के कट्टर आलोचक थे. 2016 में जब डॉनल्ड ट्रंप अपने पहले राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी कर रहे थे. तब वेंस ने एक इंटरव्यू में उन्हें निंदा के योग्य व्यक्ति कहा था. डॉनल्ड ट्रंप के स्वभाव और लीडरशिप स्टाइल पर भी सवाल उठाए थे. एक बार तो उन्होंने ट्रंप की तुलना हिटलर से कर दी थी. साथ ही उन्हें धोखेबाज और एक 'नैतिक आपदा' करार दिया था.
लेकिन ट्रंप को लेकर जेडी वेंस का रुख 2020 से नाटकीय रूप से बदलने लगा. वो फॉक्स न्यूज पर डिबेट के दौरान ट्रंप का समर्थन करते नजर आने लगे. 2021 आते-आते वो ट्रंप के कट्टर समर्थक बन गए. फिर उन्होंने ट्रंप से अपने बयानों के लिए माफ़ी भी मांग ली. इसके बाद अमेरिका के मार-ए-लागो में उनकी और ट्रंप की व्यक्तिगत बैठकें होने लगीं. इसका उन्हें फायदा भी मिला. वो ट्रंप के करीबी बन गए और 2022 में रिपब्लिकन पार्टी ने ओहियो की सीनेट सीट का टिकट उन्हें दे दिया. इस चुनाव में उन्होंने डेमोक्रेटिक उम्मीदवार टिम रयान को हराया था.
Donald Trump को उनसे क्या फायदा हुआ?ओहायो से पहली बार सीनेटर चुने गए वेंस के पास कंजर्वेटिव वोटर्स का अच्छा सपोर्ट माना जाता है. डॉनल्ड ट्रंप के उन्हें उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने के पीछे की एक वजह ये भी मानी जाती है.
वेंस को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाए जाने से पहले मशहूर राजनीतिक विश्लेषक टकर कार्लसन सहित कई रिपब्लिकन समर्थकों का मानना था कि वेंस सभी संभावित उपराष्ट्रपति उम्मीदवारों में ट्रंप को लेकर सबसे वफादार हैं. डॉनल्ड ट्रंप के बेटे डॉनल्ड ट्रम्प जूनियर का मानना था कि जेडी वेंस आम लोगों के बीच पले-बढे हैं और ऐसे लोग उनके बड़े समर्थक भी हैं, अगर वेंस उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बनते हैं तो आम लोग रिपब्लिकन पार्टी से जुड़ेंगे. ये भी कहा गया कि वेंस की पत्नी उषा वेंस भारतीय मूल की हैं, इससे रिपब्लिकन पार्टी के अल्पसंख्यक वोटर्स की संख्या में भी इजाफा ही होगा.
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