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'मांस खाने वाला बैक्टीरिया, 48 घंटे में मौत', जापान में फैल रही जानलेवा बीमारी के बारे में सबकुछ जान लीजिए

अधेड़ और 65 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों को इस बीमारी का सबसे अधिक खतरा है. जापान में 2 जून तक STSS के 977 केस सामने आ चुके हैं. चिंताजनक बात ये है कि ये आंकड़ा पिछले पूरे साल दर्ज हुए 941 मामलों से ज्यादा है.

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Flesh eating Bacteria in Japan
इस बीमारी के कारण इस साल जापान में मृत्यु दर 30 प्रतिशत तक पहुंच सकती है. सांकेतिक फोटो-PTI
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श्वेता सिंह
16 जून 2024 (Updated: 16 जून 2024, 20:37 IST)
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जापान में एक जानलेवा बीमारी ने दहशत का माहौल पैदा कर दिया है. कुछ वक्त पहले ही जापान में कोविड-काल के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों में ढील दी गई. अब खबर है कि वहां 'मांस खाने वाले एक दुर्लभ बैक्टीरिया' से बीमारी फैल रही है, जिसकी चपेट में आनेवाले व्यक्ति की 48 घंटे में ही मौत सकती है.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, बीमारी का नाम है स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (STSS). ये एक आक्रामक बीमारी है जो संक्रमण के 48 घंटों के भीतर जानलेवा हो सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक, जापान में 2 जून तक STSS के 977 केस सामने आ चुके हैं. चिंताजनक बात ये है कि ये आंकड़ा पिछले पूरे साल दर्ज हुए 941 मामलों से ज्यादा है. ये आंकड़ें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फेक्शियस डिजीज ने जारी किए हैं, जो 1999 से ही STSS के मामलों पर नजर रखे हुए है.

रिपोर्ट के मुताबिक इस बीमारी का कारक 'ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस (GAS)' है. इसके चलते बच्चों के गले में सूजन और खराश होती है. जिसे 'स्ट्रेप थ्रोट' कहा जाता है. लेकिन, इस ग्रुप के कुछ बैक्टीरिया की वजह से इंफेक्शन काफी तेजी से फैलता है. ऐसे में गले की खराश के अलावा कई अन्य लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं. इनमें शरीर में दर्द और सूजन, बुखार, लो ब्लड प्रेशर शामिल हैं. इंफेक्शन बढ़ने पर नेक्रोसिस, सांस लेने में समस्या, ऑर्गन फेल्योर और मौत तक हो सकती है.

किसे सबसे अधिक खतरा?

अमेरिकी हेल्थ वेबसाइट US CDC के मुताबिक, वैसे तो बीमारी किसी को भी हो सकती है लेकिन अधेड़ और 65 साल या उससे ज्यादा की उम्र के लोगों को इस बीमारी का सबसे अधिक खतरा है. वेबसाइट पर ये भी कहा गया है कि डायबिटीज और एल्कोहल यूज डिसऑर्डर (अधिक शराब पीनेवाले)  के मरीजों में भी इस संक्रमण का खतरा काफी है.

इस बारे में टोक्यो वीमेंस मेडिकल यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोगों के प्रोफेसर Ken Kikuchi ने ब्लूमबर्ग को बताया कि ज्यादातर केस में संक्रमितों की मौत 48 घंटों में हुई है. उन्होंने बताया,

मरीजों को सुबह पैरों में सूजन दिखाई देती है, दोपहर तक ये घुटनों तक फैल जाती है और 48 घंटों के अंदर संक्रमित की मौत हो सकती है.

उन्होंने बताया कि जिस दर से ये बीमारी फिलहाल फैल रही है, उस हिसाब से इस साल जापान में इसके 2500 मामले सामने आ सकते हैं. इसके साथ ही मृत्यु दर भी 30 प्रतिशत तक पहुंच सकती है.

बचाव के लिए क्या करें?

Kikuchi ने लोगों से साफ-सफाई बनाए रखने की अपील की है. साथ ही किसी भी खुली चोट/जख्म का सही उपचार करने का आग्रह किया है. प्रोफेसर का मानना है कि संक्रमितों की आंतों में ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस हो सकता है, जो मल के जरिए हाथों को दूषित कर सकता है.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि जापान के अलावा, कई अन्य देशों में भी हाल ही में STSS के मामले सामने आए हैं. साल 2022 के अंत में, कम से कम पांच यूरोपीय देशों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को इनवेसिव ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस (iGAS) बीमारी के मामलों में हो रही बढ़ोतरी की सूचना दी थी.

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