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जम्मू-कश्मीर: पहले चरण में 60 फीसदी से ज्यादा मतदान, क्या हैं इस वोटिंग के मायने?

साल 2019 में अनुच्छेद-370 हटने के बाद पहली बार हो रहे चुनाव में बिजली-पानी के जरूरी मुद्दों के अलावा, कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का मुद्दा भी अहम है.

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जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में वोटिंग के बाद वोटिंग कार्ड दिखाते स्थानीय नागरिक. (तस्वीर:PTI)
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शुभम सिंह
18 सितंबर 2024 (Published: 23:17 IST)
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जम्मू-कश्मीर की सियासत के लिए 18 सितंबर का दिन महत्वपूर्ण है. यहां 10 साल बाद पहली बार विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले गए. पहले चरण में 60 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई. इंद्रवाल में सबसे अधिक, तो त्राल में सबसे कम मतदान हुआ. अभी दो और चरण में चुनाव होने बाकी हैं. 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को मतदान के बाद 8 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी.

किन जगहों पर कितनी वोटिंग हुई

चुनाव आयोग के अनुसार, राज्य में शाम 6 बजे वोटिंग खत्म हो गई. कुल 60.21 परसेंट वोटिंग हुई है. राज्य की 24 में से 5 विधानसभा सीटों पर 70 से अधिक परसेंट मतदान हुए. इंद्रवाल क्षेत्र में सबसे अधिक 80.06 परसेंट मतदान हुए. इसके अलावा पद्दर-नागसेनी में 76.80%, किश्तवाड़ में 79.39%, डोडा पश्चिम में 74.14% और डोडा में 71.34% वोट पड़े. पांच ऐसी सीटें रहीं, जहां 50 परसेंट से कम मतदान हुए. उनमें सबसे कम त्राल विधानसभा सीट है, जहां 40.18 परसेंट वोट डाले गए. जबकि अनंतनाग में 41.58, पम्पोर में 42.67, राजपोरा में 45.78 और पुलवामा में 46.22 परसेंट वोट डाले गए. 

पिछले चुनावों की स्थिति

अनुच्छेद-370 हटने और परिसीमन के बाद हो रहे विधानसभा चुनाव में राज्य की 90 सीटों पर मतदान होना है. पिछली बार 87 सीटों पर मतदान हुए थे. 2014 के विधानसभा चुनाव में पहले चरण में 22 सीटों पर वोट डाले गए थे, जिसमें वोटिंग प्रतिशत 71.28 था. इस दौरान कुल 5 चरणों में चुनाव हुए थे. कुल मतदान प्रतिशत 65.23 था. यह पिछले ढाई दशक का सबसे अधिक मत प्रतिशत है.

2014 विधानसभा चुनाव के पहले चरण में महबूबा मुफ्ती की पार्टी PDP ने सबसे ज्यादा 11 सीटें जीती थीं. जबकि BJP और कांग्रेस ने 4-4 सीटों पर जीत हासिल की थी. नेशनल कॉन्फ्रेंस को 2 और CPI(M) को एक सीट पर सफलता मिली थी.

पिछली बार की अपेक्षा इस बार पहले चरण में कम वोट क्यों डाले गए? इंडिया टुडे से जुड़े जम्मू-कश्मीर के संवाददाता अशरफ वानी बताते हैं कि 2014 के विधानसभा चुनाव में दक्षिण कश्मीर की सीटें शामिल नहीं थी. ज्यादातर सीटें जम्मू की ही थीं. जबकि इस बार घाटी की 16 सीटों पर वोट डाले गए हैं. उस हिसाब से देखा जाए तो पहले चरण का मतदान प्रतिशत कम नहीं है.

वे इसकी वजह बताते हैं, 

“लोग अनुच्छेद 370 हटने के बाद प्रशासन से काफी नाराज़ चल रहे हैं. इलाके की शिकायतें LG तक पहुंच नहीं रही हैं. ऐसे में आवाम को लग रहा है कि अगर वे अपने प्रतिनिधि चुनेंगे तो शायद उनकी मांगे सुनी जाए. इसके अलावा करीब तीन दशक बाद जमात-ए-इस्लामी के उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. इस कारण दक्षिण कश्मीर की खासकर कुलगाम सीट पर वोट परसेंटेज बढ़ा है.  जहां तक इंदरवाल और किश्तवाड़ की सीटों की बात है तो वहां वोटों का ध्रुवीकरण नज़र आ रहा है. इस कारण इन इलाकों में मत प्रतिशत बढ़ा है.”

चर्चा में कौन उम्मीदवार

राज्य के सात जिलों में हो रहे चुनाव में 219 कैंडिडेट मैदान में हैं. इनमें सबसे चर्चित अनंतनाग जिले में पड़ने वाली बिजबेहरा सीट है. यहां से महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती अपना पहला चुनाव लड़ रही हैं. यह सीट मुफ्ती परिवार का गढ़ मानी जाती रही है. इल्तिजा के सामने नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बशीर अहमद वीरी को अपना उम्मीदवार बनाया है.

इसके अलावा, दक्षिण कश्मीर की कुलगाम सीट से CPI(M) के मोहम्मद यूसुफ तारिगामी लगातार पांचवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं. यह क्षेत्र एक समय आतंकवाद के केंद्र में था. इस बार यहां से 10 उम्मीदवार मैदान में हैं. मुकाबला तारिगामी और पीपल्स कॉन्फ्रेंस के नज़ीर अहमद लावे के बीच माना जा रहा है. लावे इससे पहले पीडीपी में थे. 

पहले चरण की किश्तवाड़ सीट पर भी सबकी निगाहें हैं. यहां से बीजेपी ने एमटेक की पढ़ाई कर चुकीं शगुन परिहार को टिकट दिया है. शगुन का परिवार आतंकवादी हमलों का दंश झेल चुका है. नवंबर 2018 में आतंकियों ने उनके पिता अजीत परिहार और चाचा अनिल परिहार की गोली मारकर हत्या कर दी थी. अनिल परिहार उस वक्त बीजेपी के सचिव थे. किश्तवाड़ सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सज्जाद अहमद किचलू को, वहीं पीडीपी ने फिरदौस टाक को मैदान में उतारा है.

वोट डालने के बाद शगुन परिहार और इल्तिजा मुफ्ती
वोट डालने के बाद शगुन परिहार और इल्तिजा मुफ्ती. (तस्वीर:PTI)

साल 2019 में अनुच्छेद-370 हटने के बाद पहली बार हो रहे चुनाव में बिजली-पानी के जरूरी मुद्दों के अलावा, कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का मुद्दा भी अहम है. चुनाव आयोग ने कश्मीरी पंडितों के लिए विशेष मतदान केंद्र बनाए हैं. पहले चरण में 6 कश्मीरी पंडित उम्मीदवार मैदान में हैं.

वीडियो: Jammu and Kashmir Elections: J&K में आतंकवाद को लेकर क्या बोलीं Ilitja Mufti?

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