क्या है PAFF जिसने सेना पर आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली है, अब तक 5 जवान शहीद
पीपल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (PAFF), लश्कर की शाखा है. भारत ने इसी साल आतंकवादी समूह घोषित किया है.
21 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर (jammu kashmir) के पुंछ जिले (poonch district) में भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने सेना की दो गाड़ियों पर घात लगाकर हमला किया था. (terrorist attack). इसमें शहीद हुए सैनिकों की संख्या अब बढ़कर पांच हो गई है, जबकि दो अन्य सैनिक गंभीर रूप से घायल हैं. न्यूज़ एजेंसी PTI के मुताबिक, जिले के 'बुफ्लियाज़' और 'ढेरा की गली' इलाके में धत्यार मोड़ पर ये हमला हुआ. हमले की जिम्मेदारी PAFF ने ली है.
घात लगाकर हमलासेना के अधिकारियों के मुताबिक, 20 दिसंबर बुधवार की शाम से सेना और पुलिस मिलकर आतंकियों को पकड़ने का एक अभियान चला रहे थे. पुंछ जिले के थानामंडी-सूरनकोट इलाके में 'धेरा की गली' के आसपास ये सर्च ऑपरेशन जारी था. ये आर्मी की 48 राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट का ऑपरेशनल इलाका है. इसी ऑपरेशन में शामिल होने 21 दिसंबर को सेना का एक ट्रक और एक जिप्सी इस रास्ते से जा रहे थे.
ये भी पढ़ें: क्या कश्मीर में आतंक का पैटर्न बदल रहा है?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आतंकियों ने हमले के लिए योजना के तहत धात्यार मोड़ की जगह चुनी. क्योंकि, यहां पर सड़क घुमावदार है. और रास्ता ऊबड़-खाबड़ है, जिसके चलते, सेना के वाहनों को अपनी स्पीड कम करनी होती है. आतंकियों ने, ढेरा की गली और बुफ्लियाज़ के बीच एक पहाड़ी पर अड्डा जमा लिया. और जब सेना की दोनों गाड़ियां गुजरीं, उन्होंने अंधाधुध गोलियां चलाना शुरू कर दिया. ये हमला दोपहर 3 बजकर 45 मिनट के करीब हुआ. सूत्रों के मुताबिक, आतंवादियों ने हमले वाली जगह की रेकी पहले ही कर ली होगी. अभी तक माना जा रहा है कि हमले में 3 से 4 आतंकी शामिल थे. जब सेना ने जवाबी कार्रवाई शुरू की तो आतंकी वहां से भागने में कामयाब रहे.
PAFF ने ली जिम्मेदारीसाल 2019 के बाद कश्मीर में छोटे-बड़े कई नए आतंकी गुट खड़े हुए हैं. जैसे- द रेसिस्टेंस फ्रंट, नाइटेड लिबरेशन फ्रंट, गजनवी फ़ोर्स वगैरह. गुरुवार को हुए हमले की जिम्मेदारी ऐसे ही एक नए गुट ने ली है. इसका नाम है- पीपल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट यानी PAFF. ये पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की एक शाखा है. ये भी माना जाता है कि PAFF, जैश का ही नया नाम है. साल 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI ने इस फ्रंट के फार्मेशन में मदद की. साल 2020 में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर के कुछ कमांडरों ने मिलाकर इसकी शुरुआत की थी. इस फ्रंट ने अब तक कई आम लोगों, सरकारी अधिकारियों और भारतीय सैनिकों को निशाना बनाया है. इसी साल जनवरी में भारत सरकार ने PAFF को आतंकी संगठन घोषित किया है.
भारत की सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि ISI ने आतंकियों को अच्छी ट्रेनिंग देने के बाद योजनाबद्ध तरीके से भारतीय सेना पर हमला करने के लिए राजौरी और पुंछ के दुर्गम इलाकों में भेजा है. PAFF ने सोशल मीडिया पर हमले से जुड़ी तस्वीरें भी जारी की हैं. जिनसे स्पष्ट होता है कि हमले में US की बनी M4 राइफल्स का इस्तेमाल किया गया है. ये पहली बार नहीं है जब जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया है. साल 2016 से अब तक सुरक्षा बलों के हाथों मारे गए आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों से US की बनी चार M4 राइफल्स बरामद की जा चुकी हैं.
बता दें कि बीते महीने भी पुंछ के नजदीकी जिले राजौरी में आतंकियों ने एक बड़ा हमला किया था. यहां के बाजीमल के जंगली इलाके में धर्मसाल बेल्ट नाम की जगह पर आतंकियों ने सेना पर गोलीबारी की थी, जिसमें सेना के दो कैप्टन सहित कुल पांच सैनिक शहीद हुए थे. हमले के बाद लश्कर-ए-तैयबा का एक शीर्ष कमांडर, क्वारी, सेना से मुठभेड़ में मारा गया था. उस पर जम्मू-कश्मीर के 10 नागरिकों और 5 सैनिकों की हत्या सहित कई गंभीर आरोप थे.
वीडियो: जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमले के पीछे आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हाथ!