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J&K: कांग्रेस के बिना भी 'बहुमत' में आई नेशनल कॉन्फ्रेंस, 4 निर्दलीय MLA का मिला समर्थन

10 अक्टूबर को पार्टी की नेशनल कॉन्फ्रेंस की बैठक में सर्वसम्मति से उमर अब्दुल्ला को विधायक दल का नेता चुना गया.

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नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला. (फाइल फोटो- पीटीआई)
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साकेत आनंद
10 अक्तूबर 2024 (Updated: 10 अक्तूबर 2024, 19:59 IST)
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नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. 10 अक्टूबर को पार्टी की बैठक में सर्वसम्मति से उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया. पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने मीडिया को बताया कि 11 अक्टूबर को गठबंधन सहयोगियों के साथ एक बैठक होगी, जिसमें सरकार गठन की प्रक्रिया बढ़ाई जाएगी. इस बीच, चुनाव में जीतकर आए चार निर्दलीय विधायकों ने भी नेशनल कॉन्फ्रेंस को समर्थन दे दिया है. इससे पार्टी अपने दम पर बहुमत में आ गई है. हालांकि पार्टी, कांग्रेस और माकपा के साथ जीत दर्ज कर पहले से बहुमत में है.

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में सात निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली है. जिन निर्दलीय विधायकों ने नेशनल कॉन्फ्रेंस को समर्थन दिया है, उनमें इंदरवाल से प्यारे लाल शर्मा, छंब से सतीश शर्मा, सुरनकोट से चौधरी मोहम्मद अकरम और बनी से डॉ रामेश्वर सिंह शामिल हैं.

इससे, नेशनल कॉन्फ्रेंस को अब 46 विधायकों का समर्थन मिल गया है. जो 90 सीट वाली जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा है. यानी पार्टी को बहुमत के लिए कांग्रेस और माकपा के सहयोग की जरूरत नहीं होगी. हालांकि, उपराज्यपाल की तरफ से मनोनीत होने वाले 5 विधायकों के बाद सदन में सदस्यों की कुल संख्या 95 होगी. इसके बाद बहुमत के लिए 48 सदस्यों की जरूरत होगी.

इधर, विधायक दल का नेता चुने जाने पर उमर अब्दुल्ला ने मीडिया से कहा, 

"नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक दल की बैठक हुई. मैं विधायकों का दिल की गहराइयों से शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मेरे ऊपर भरोसा किया और मुझे एक मौका दिया. हम कांग्रेस के साथ बात कर रहे हैं. ताकि उनकी चिट्ठी आ जाए."

जम्मू-कश्मीर में पिछले 6 सालों से कोई चुनी हुई सरकार नहीं है. 10 साल बाद यहां विधानसभा के चुनाव हुए. नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और माकपा गठबंधन ने 49 सीटों पर जीत दर्ज किया है. भारतीय जनता पार्टी को 29 सीटें मिली हैं. वहीं महबूबा मुफ्ती की पीडीपी 3 सीटों पर सिमट गई. नेशनल कॉन्फ्रेंस 42 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर निकली. वहीं, उसकी सहयोगी कांग्रेस के हिस्से सिर्फ 6 सीट आई, जिनमें से पांच कश्मीर घाटी में हैं. जम्मू-कश्मीर चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा, क्योंकि उसे जम्मू क्षेत्र में सिर्फ एक सीट ही मिली.

अनुच्छेद-370 खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर में ये पहला विधानसभा चुनाव था. 9 अक्टूबर को उमर अब्दुल्ला ने ये भी कहा था कि उनकी सरकार कैबिनेट की पहली बैठक में जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए प्रस्ताव पारित करेगी. इसके बाद, इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा.

वहीं, पांच विधायकों को मनोनीत किए जाने पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उपराज्यपाल को ये नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके बावजूद बीजेपी सरकार नहीं बना पाएगी. उन्होंने तंज कसते हुए कहा, 

"आप पांच विधायकों को विपक्ष में बैठाने के लिए ही नॉमिनेट करेंगे. फिर विवाद होगा. क्योंकि फिर हमें सुप्रीम कोर्ट जाना होगा. हम केंद्र के साथ अच्छा संबंध रखना चाहते हैं, लेकिन यह कदम पहले दिन से ही तनाव पैदा करेगा."

ये भी पढ़ें- बीजेपी संग गठबंधन, विरासत संभाल पाने में महबूबा मुफ्ती की नाकामी... इन 5 वजहों ने PDP को औंधे मुंह गिराया

इससे पहले, जम्मू-कश्मीर में आखिरी विधानसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर 2014 में हुए थे. किसी दल को बहुमत नहीं मिला था. पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) को 28 सीटें आई थीं. बीजेपी को 25 सीटें, सारी जम्मू संभाग में. नेशनल कॉन्फ्रेंस 15 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी. जबकि कांग्रेस 12 सीटों के साथ चौथे स्थान पर थी. चुनाव के बाद पीडीपी और बीजेपी ने गठबंधन के तहत सरकार बनाई, जो 2018 में गिर गई.

वीडियो: जम्मू कश्मीर और हरियाणा चुनाव परिणाम पर देश के प्रमुख अखबारों ने क्या-क्या लिखा?

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