"अगर मैं चला गया तो..."- मारे जाने से पहले फिलिस्तीनी डॉक्टर का इंटरव्यू वायरल क्यों हो रहा है?
गाजा पट्टी पर इजरायल के लगातार हमलों के बीच वहां के 'अल-शिफा' हॉस्पिटल के एक डॉक्टर का एक इंटरव्यू सामने आया है. मारे जाने से पहले अपने आखिरी इंटरव्यू में डॉक्टर अपने मरीजों के लिए अल-शिफा अस्पताल छोड़कर न जाने की बात कर रहे हैं.
इजरायल-हमास (Israel-Hamas War) युद्ध लगातार जारी है. इजरायली डिफेंस फोर्स ने गाजा पर जमीनी कब्जा शुरू कर दिया है. इस बीच गाजा के अल-शिफा अस्पताल (Gaza Al-Shifa Hospital) के एक नेफ्रोलॉजिस्ट (किडनी-गुर्दा रोग विशेषज्ञ) हम्माम अल्लोह का एक इंटरव्यू चर्चा में है. न्यूज एजेंसी 'डेमोक्रेसी नाउ' (Democracy Now) की पत्रकार एमी गुडमैन ने 31 अक्टूबर 2023 को अल-शिफा हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजिस्ट का इंटरव्यू लिया था. इस इंटरव्यू के कुछ ही दिन बाद डॉक्टर हम्माम अल्लोह की मौत हो गई.
इजरायली आर्टिलरी (तोप खाना) हमले के समय डॉक्टर अपनी पत्नी के घर पर थे. आर्टिलरी का एक गोला गिरने से डॉक्टर हम्माम, उनके पिता, बहनोई और ससुर की मौत हो गई.
डेमोक्रेसी नाउ से बातचीत में हम्माम ने कई विषयों पर बात की थी. इस उन्होंने अमेरिका सहित बाकी देशों से इजरायल के खिलाफ एक्शन लेने के लिए कहा. इंटरव्यू के दौरान जब डॉक्टर हम्माम से पूछा गया कि वो अपने मरीजों को छोड़कर क्यों नहीं गए? इसके जवाब में डॉक्टर हम्माम ने जो कहा,
"आपको क्या लगता है मैं डॉक्टर किसलिए बना? मैं मेडिकल स्कूल गया, फिर पोस्टग्रेजुएट डिग्री के लिए गया. 14 साल मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद मैं बस अपने बारे में सोचूं, अपने मरीजों के बारे में नहीं?"
इंटरव्यू में पत्रकार एमी गुडमैन ने उनसे सवाल किया कि इस पूरी जंग में वो अपने परिवार को किस तरह समझाते हैं? जवाब में डॉक्टर ने कहा,
"मैं उनसे कहता हूं कि कम से कम हमारे पास एक घर तो है जिसका दरवाजा बंद किया जा सकता है. लेकिन हजारों शरणार्थी, हमारे ही जैसे लोग जो सम्मान के साथ अपने घरों में रहा करते थे. अब न उनके पास घर है, न बंद करने के लिए दरवाजे."
एक सवाल जिसमें उनसे पूछा जाता है कि इजरायली मिलिट्री ने नार्थ गाजा में लोगों को चेतावनी देने के लिए आसमान से हजारों पम्प्लेट्स गिराए थे. आप अपने परिवार के साथ साउथ में क्यों नहीं गए? इसके जवाब में हम्माम कहते हैं,
"अगर मैं यहां से चला गया तो मेरे मरीजों का इलाज कौन करेगा? हम इंसान हैं, जानवर नहीं. इंसानों को उचित स्वास्थ्य और मेडिकल सुविधाओं का अधिकार है. इसलिए हम नहीं जा सकते."
एक सवाल जिसके जवाब की काफी चर्चा हुई. एमी गुडमैन हम्माम से पूछती हैं,
“विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) ने कहा है कि डॉक्टरों को अपने मरीजों को छोड़ देना चाहिए. बजाए अपने मरीजों के, उन्हें अपने जीवन को चुनना चाहिए. आप इस बारे में क्या सोचते हैं? क्योंकी बहुत सारे मरीज हैं जो बाहर नहीं जा सकते, जैसे इनक्यूबेटर में बच्चे.”
डेमोक्रेसी नाउ को दिए अपने आखिरी जवाब में हम्माम कहते हैं,
“दरअसल, जंग की शुरुआत से ही हमारा संदेश वही है. सबसे पहले हमें इस जंग को खत्म करने की जरूरत है क्योंकि हम इंसान हैं, कोई जानवर नहीं. हमें भी आजादी से जीने का अधिकार है.”
इस इंटरव्यू के कुछ ही दिन बाद, 4 नवंबर 2023 को हम्माम मारे गए. हमले के समय वो अपनी पत्नी के घर पर थे जहां उनके साथ उनके साथ उनके पिता, ससुर और बहनोई थे. डेमोक्रेसी नाउ के अनुसार उसी समय एक आर्टिलरी शेल उनके घर पर गिरा. हम्माम अपने पीछे अपनी पत्नी और 2 बच्चों का परिवार छोड़ गए हैं. दोनों बच्चे अभी 4 और 5 साल के हैं.
इस हमले के बाद डेमोक्रेसी नाउ ने हम्माम के साथ काम करने वाले 'अल-शिफा' हॉस्पिटल के अन्य डॉक्टर्स से बात की. उनके साथी डॉक्टर उन्हें एक 'समर्पित फिजिशियन (डॉक्टर), आदर्श पिता' के रूप में याद करते हैं. जंग के दौरान उन्होंने जिस तरह से अपने डॉक्टर होने का फर्ज निभाया, उसे उनके साथी 'उम्मीद की किरण' (Beacon Of Light) के रूप में याद करते हैं.डेमोक्रेसी नाउ की पत्रकार एमी गुडमैन ने हम्माम के साथी रहे डॉक्टर बेन थॉमसन से बात की. डॉक्टर हम्माम के बारे में पूछने पर बेन बताते हैं,
"वो एक शानदार व्यक्ति थे. एक समर्पित फिजिशियन, एक आदर्श पिता. सितंबर में जब मैं उनके गाजा वाले घर पर था, तब मजाक में मैंने उनसे कहा था- 'आप बहुत ज्यादा आशावादी हैं'. आपको पता है , वो पूरी तरह इस बात से आश्वस्त थे और कहते थे कि अगर दुनिया को पता चले कि गाजा में असल में क्या हो रहा है, तो दुनिया इसमें हस्तक्षेप करेगी. और इससे गाजा में लोगों की तकलीफें दूर हो जाएंगी."
इस मामले पर हम्माम की एक और कलीग से डेमोक्रेसी नाउ ने बात की. हम्माम की साथी डॉक्टर तान्या हज हसन से एमी गुडमैन ने पूछा,
"इजरायल का कहना है कि उन्होंने अस्पतालों पर इसलिए हमला किया क्योंकि हमास इन अस्पतालों का इस्तेमाल उनके नीचे या कम से कम उसके आसपास छिपे हमास के कमांड और कंट्रोल सेंटर्स को तबाह करने के लिए कर रहा है. हालांकि ये अभी स्पष्ट नहीं है, पर इजरायल यही दावा करता है."
इस पर डॉक्टर तान्या हज हसन जवाब देती हैं
"आप जानती हैं, यही सवाल मुझसे हमेशा पूछा जाता है. 2014 में भी मुझसे ये सवाल पूछा गया था. ये आरोप 2008, 2009, 2014 और 2021 में भी लगाए गए थे. ये कोई नई बात नहीं है और उन आरोपों की कोई पुष्टि नहीं हुई है."
तान्या आगे कहती हैं
“मैंने इन अस्पतालों में काम किया है. मैं आपको बताती हूं कि वो क्या हैं. वो सीमित संसाधनों वाले हेल्थ सेंटर हैं जो 16 साल की घेराबंदी (इजरायली) का परिणाम हैं. मैंने अभी तक अपने पूरे जीवन में जिन लोगों से मिली हूं, उनमें से वहां सबसे अच्छे हेल्थ प्रोफेशनल्स के साथ सबसे अच्छे और समर्पित डॉक्टर्स, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और फार्मासिस्ट (दवा विशेषज्ञ) हैं. डॉक्टर हम्माम अल्लोह इसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं. अबतक गाजा में 200 से अधिक स्वास्थ्यकर्मी मारे जा चुके हैं. वो अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिल्ला-चिल्लाकर गुहार लगा रहे हैं. वो बस मरीजों की देखभाल के लिए वहां स्वास्थ्य सुविधाएं चला रहे हैं.”
इजरायल-हमास के बीच चल रही जंग में अबतक फिलिस्तीन के 11,200 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि इजरायल के 1200 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. यूनीसेफ (UNICEF- United Nations International Children Emergency Fund) के मुताबिक, करीब 7 लाख बच्चों को अपना घर और सबकुछ छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है. यूनीसेफ ने इसी बुनियाद पर सीजफायर की मांग की है.
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