इज़रायल की तरफ से लड़ने वाले मुसलमानों की कहानी
बेडुइन मुसलमानों के लिए इज़रायली सेना में सेवा अनिवार्य नहीं है. वो अपनी मर्ज़ी से फौज में शामिल होते हैं.
इज़रायल और हमास की लड़ाई (Israel Hamas War) को कई बार यहूदियों और मुसलमानों की जंग बता दिया जाता है. क्योंकि इज़रायल घोषित रूप से एक यहूदी राष्ट्र है फिलिस्तीनी लोग अरब मुसलमान हैं. इस तर्क के पक्ष में ये बात भी रखी जाती है कि पूरी दुनिया के मुस्लिम जगत ने ऐतिहासिक रूप से फिलिस्तीन का पक्ष लिया है. लेकिन ऐसा नहीं कि सारे मुसलमान इज़रायल के खिलाफ हैं. इज़रायल की सेना में मुस्लिम न सिर्फ लड़ रहे हैं, बल्कि जान भी दे रहे हैं.
7 अक्टूबर से शुरू हुए संघर्ष में मारे गए इज़रायली सैनिकों में 4 बेडुइन अरब (Bedouin Arab) भी हैं. सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल है, जिसमें कुछ इज़रायली लोग खाकी वर्दी पहने हुए एक शख्स के लिए जिंदाबाद के नारे बुलंद कर रहे हैं. ये अशरफ हैं. इज़रायल की ट्रैकर यूनिट के कमांडर. अशरफ को इज़रायल का हीरो बताया जा रहा है. इज़रायल की तरफ से उन्होंने कई बार लड़ाई में हिस्सा लिया है. फिलहाल वो हमास के खिलाफ लड़ रहे हैं. अशरफ एक बेडुइन अरब मुसलमान हैं.
कौन हैं बेडुइन अरब?बेडुइन, खानाबदोश मुस्लिम अरब लोग होते हैं. इन्हें बदू मुसलमान भी कहा जाता है. पारंपरिक रूप से ये लोग चरवाहे हैं. माना जाता है कि ये लोग करीब डेढ़ सौ साल पहले, सउदी अरब और सिनाई के बीच के रेतीले इलाके में अपने जानवरों (ऊंट और बकरी) के साथ रहते थे. एक जगह से दूसरी जगह तक घूमते थे और जानवर चराते थे. आज बदू मुसलामानों की कोई एक नेशनल आइडेंटिटी नहीं है. माने वो किस देश के नागरिक होते हैं, इसका कोई सीधा जवाब नहीं है.
बेडुइन अरब मुसलमानों की बसाहट और विस्थापन की कहानी लंबी और संघर्ष भरी है. फिलवक्त ये लोग इज़रायल के दावे वाले इलाके में रहते हैं. खास तौर पर दक्षिणी इज़रायल के नेगेव रेगिस्तान में.
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बदू मुसलमान IDF में कैसे शामिल हुए?ओटोमन साम्राज्य के आखिर के कुछ दशकों में बदू मुस्लिम लोग, एक जगह ठहरने लगे थे. इनकी खानाबदोशी प्रवृत्ति कुछ कम हुई थी. इज़रायल के गठन के पहले के कुछ सालों में इज़रायलियों ने बदू मुस्लिमों को लड़ने को तैयार किया. 1948-49 के साल में अरब-इज़रायल युद्ध के दौरान, बदू मुसलमानों ने यहूदी लड़ाकों और नई नवेली इज़रायली सेना के लिए खुफिया जानकारी जुटाने का काम किया. कई बदू मुसलमान, यहूदियों के साथ मिलकर अरब सेनाओं के खिलाफ हथियारबंद लड़ाई में भी शामिल हुए.
1950 के दशक में, इज़रायल ने बड़ी तादाद में बेडुइन अरबों को देश की नागरिकता दी थी. नेगेव में उनके लिए बस्तियां बनाने में भी मदद की. बेडुइन लोगों ने IDF के लिए काम करना शुरू कर दिया. ख़ास तौर पर सेना की स्काउटिंग और ट्रैकिंग यूनिट्स में. 70 के दशक में सबसे पहले IDF की दक्षिणी कमान में एक अलग बेडुइन स्काउटिंग यूनिट बनाई गई. उसके बाद से इज़रायल के कई और इलाकों में इस तरह की यूनिट्स बनाई गईं. 1986 के साल में एक डेजर्ट स्काउटिंग यूनिट बनी. इसे गाज़ा पट्टी के पास के इलाके में तैनात किया गया. इसके बाद साल 2003 में इज़रायल ने सीमाई इलाकों में बेडुइन मुसलमानों की कई सर्च और रेस्क्यू यूनिट्स बनाईं. माने जासूसी, खोजबीन और अपने लोगों का बचाव करने वाला दस्ता.
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साल 1993 में इज़रायल ने बेडुइन लड़ाकों की याद में गलील इलाके की एक पहाड़ी पर एक स्मारक भी बनवाया. इस स्मारक में 154 बेडुइन लड़ाकों के नाम लिखे थे. बेडुइन को इज़रायली आर्मी की ट्रेनिंग लेना जरूरी नहीं होता. ये केवल यहूदी लोगों के लिए अनिवार्य है. हालांकि कई बेडुइन नौजवान अपनी मर्जी से आर्मी की ट्रेनिंग लेते हैं. इज़रायली सेना के लिए काम करने वाले कई बेडुइन सैनिक, ऐसे परिवारों से आते हैं जो पहले से इज़रायली सेना से जुड़े हुए हैं. इंडियन एक्सप्रेस अखबार की एक खबर के मुताबिक, साल 2021 में लगभग 600 बेडुइन अरब अपनी मर्जी से इज़रायली सेना में शामिल हुए थे. साल 2014 में IDF ने दावा किया था कि 'हर साल लगभग 450 बेडुइन जवान, IDF में अपनी मर्जी से सेवाएं देने आते हैं.'
बेडुइन, इज़रायलियों में कितना घुले-मिले हैं?रेगिस्तानी खोजी यूनिट्स में काम करने वाले बेडुइन अरब, उत्तरी इज़रायल के इलाकों से आते हैं. और 1950 के दशक से ही, यहूदी और अरब लोगों के संपर्क में रहते आए हैं. सेना में तैनाती के अलावा, सामाजिक स्तर पर भी बेडुइन, यहूदियों से घुले-मिले हैं.
बीते साल अख़बार से बात करते हुए, एक बेडुइन ने बताया कि वो इज़रायली आर्मी में रहा और अब सिविल सर्विसेज के लिए काम करता है. उसने कहा कि शुरुआत में उसे हिब्रू भाषा समझने में दिक्कत हुई लेकिन इज़रायली आर्मी के साथ ट्रेनिंग के चलते यहूदी संस्कृति को समझने में मदद मिली. इस वक़्त इज़रायल के अलग-अलग इलाकों में 2 लाख से ज्यादा बेडुइन मुसलमान रहते हैं. इनमें से ज्यादातर नेगेव रेगिस्तान में रहते हैं. साल 2020 में इज़रायल ने इस्माइल खाल्दी को राजदूत नियुक्त किया. वे अपने समुदाय से इज़रायल के पहले राजदूत हैं. इज़रायल में एक बड़ी कंपनी है- सैडेल टेक्नोलॉजीज नाम की. ये इब्राहिम सना नाम के एक बेडुइन और उनके दो साथियों की कंपनी है.
नवंबर 2022 में, इज़रायली सरकार ने ऑपरेशन नेगेव शील्ड लॉन्च किया. इसका लक्ष्य है, बेडुइन युवाओं को आपराधिक गतिविधियों से दूर रखना और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ना. इसके लिए ऑपरेशन के तहत इलाके में कई शैक्षिक कार्यक्रम चलाए जाते हैं. हर हफ्ते, IDF के लोग, बेडुइन समुदाय के स्कूलों में जाते हैं.
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