इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के बीच क्यों वायरल हो रहे हैं ये 4 नक्शे? क्या है इनका असली सच?
Israel-Palestine Conflict: इजरायल की सेना और हमास के उग्रवादियों के बीच सैन्य संघर्ष जारी है. इस बीच चार नक्शे सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.
हमास के रॉकेट हमलों के बाद अब इज़रायल लगातार गाज़ा पर एयरस्ट्राइक (Israel Air Strike Gaza Strip) कर रहा है. इज़रायल के मुताबिक, ये कोई ऑपरेशन नहीं बल्कि युद्ध है. इस बीच एक नक्शा ऑनलाइन/सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर चर्चा में है. इसमें दिखाया गया है कि वक़्त के साथ इज़रायल का जमीन पर कब्ज़ा कितना बढ़ा है. हम आपको बताएंगे कि इस नक़्शे के पीछे की कहानी क्या है.
पहले अब तक की खबर-
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 7 अक्टूबर की सुबह हमास ने इज़रायल पर ताबड़तोड़ रॉकेट हमले किए थे. कुछ इज़रायली नागरिकों और सैनिकों के मारे जाने की खबर आई. इज़रायल का कहना था कि हमास ने उसके कई सैनिकों सहित दर्जनों आम इज़रायलियों को अगवा भी किया है. इसके बाद इज़रायल ने जवाबी कार्रवाई शुरू की. इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक वीडियो जारी कर कहा कि ये कोई ऑपरेशन नहीं, जंग है और हमास को इस हमले की भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी. अब तक दोनों तरफ से सैकड़ों लोगों की जानें जा चुकी हैं. भारत सहित दुनिया भर के कई देश इज़रायल के साथ हैं. हमास को भी समर्थन देने वाले देश हैं. लेबनान ने इज़रायल पर हवाई हमले भी किए हैं. इधर इज़रायल लगातार गाजा पर एयर स्ट्राइक कर रहा है. ये इज़रायल की जवाबी कार्रवाई का दूसरा दिन है. आगे जो अपडेट होगा हम आपको बताएंगे. वापस नक्शों की बात पर आते हैं-
पहले ये नक़्शे देखिए-
इज़रायल के खुद को एक देश घोषित करने के बाद 70 साल से ज्यादा का वक़्त हो गया है. लेकिन सीमा का संघर्ष, ख़ास तौर पर जेरुसलम में उस 35 एकड़ जगह पर लड़ाई अभी तक जारी है. इस लड़ाई में यहूदी और मुस्लिम समुदाय के लोग आमने-सामने आते रहते हैं. इन सत्तर सालों में कई संधियां, अंतरराष्ट्रीय दखल, प्रस्ताव और हिंसा से तयशुदा एक ही चीज हुई है- इज़रायल के इलाके का विस्तार. लेकिन इसकी जमीन के कुछ हिस्से अभी भी तय नहीं हैं, पूरा बॉर्डर अभी भी फिक्स नहीं हुआ. जो नक़्शे ऊपर हमने आपको दिखाए, वो भी मोटा-माटी बस इतना बताते हैं कि साल-दर-साल इज़रायल के इलाके बढ़े और फ़िलिस्तीन के कम हुए.
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इसे विस्तार से समझते हैं, नक्शों का मतलब भी समझ में आ जाएगा.
जो इलाका इज़रायल बना, वो सदियों से तुर्की शासित ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा रहा था. प्रथम विश्वयुद्ध और ऑटोमन साम्राज्य के पतन के बाद, जो इलाका, फ़िलिस्तीन के नाम से जाना जाता था, उसका एक हिस्सा (जॉर्डन नदी के पश्चिम में) ‘लैंड ऑफ़ इज़रायल’ कहा गया. इस दौर में फ़िलिस्तीन को चिह्नित कर इसका प्रशासन देखने के लिए ब्रिटेन को सौंप दिया गया. शर्तों में ये भी तय हुआ कि फ़िलिस्तीन में ही यहूदी भी रहेंगे. तब तक, जब तक वहां गैर-यहूदियों को कोई दिक्कत न आए. ख़ास तौर से उनके धार्मिक अधिकारों और मान्यताओं पर कोई असर न पड़े.
इसके बाद ‘फ़िलिस्तीनी अरब राष्ट्रवाद’ बढ़ा. ये एक टर्म है, मोटा-माटी इसे इलाके पर अरब देशों का प्रभाव समझिए. इधर फ़िलिस्तीन की यहूदी आबादी भी तेजी से बढ़ी. ये 1930-40 के दशक की बात है.
साल 1947अरब-यहूदी संघर्ष खड़ा हुआ तो 1946-47 में ब्रिटेन ने ये समस्या यूनाइटेड नेशंस के सामने रखी. साल 1947 में यूनाइटेड नेशंस ने एक प्रस्ताव रखा. कहा कि फ़िलिस्तीन को दो हिस्सों बांट दिया जाए. एक यहूदी और एक अरब. जेरुसलम-बेथलेहम के इलाके को अंतरराष्ट्रीय शहर बनाने की भी बात कही गई. यहूदी नेताओं को ये प्रस्ताव मंजूर था, लेकिन अरब नेताओं ने इससे इनकार किया. फिर आया साल 1948 का. 14 मई के रोज, ब्रिटिश शासन ख़त्म होने के साथ ही इज़राइल देश की स्थापना की घोषणा हुई. सीमाएं क्या होंगी, इसका अता-पता नहीं था. एक दिन नहीं बीता. अरब सेनाओं ने इज़रायल पर हमला कर दिया. इसे ‘इज़रायल की आजादी की लड़ाई’ भी कहा जाता है. साल 1949 में जंग ख़त्म हुई. युद्धविराम के लिए पड़ोसी देशों के साथ इज़रायल की सीमाएं बनाई गईं. जिस इलाके को आज गाज़ा पट्टी कहा जाता है उस पर इजिप्ट का कब्जा हो गया और पूर्वी जेरुसलम और वेस्ट बैंक पर जॉर्डन का. लेकिन पड़ोसी अरब देशों ने इज़रायल को मान्यता देने से मना कर दिया, माने इसकी सीमाएं तय नहीं हो पाईं.
साल 1967इसके बाद नक़्शे में आप 1967 का साल देख सकते हैं. इज़रायल की सीमाओं में सबसे बड़ा बदलाव इसी साल आया. इज़रायल के इतिहास में '6 दिन के युद्ध' का साल. इज़रायल ने इस लड़ाई में अपना इलाका करीब तीन गुना बढ़ाया. सिनाई प्रायद्वीप, गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक, पूर्वी जेरुसलम और ज्यादातर सीरियाई गोलन हाइट्स पर इज़रायल का कब्ज़ा हो गया. पूर्वी जेरुसलम को इज़रायल ने अपनी राजधानी बनाया. लेकिन दुनिया भर के ज्यादातर देशों ने इसे मान्यता नहीं दी.
1967 तक के नक़्शे के पीछे की कहानी आप समझ गए होंगे.
इसके बाद आया साल 1979. इज़रायल की सीमाओं में से एक को औपचारिक मान्यता मिल गई. कैसे? इजिप्ट ने इसे यहूदियों के देश के बतौर मान्यता दे दी. इजिप्ट ऐसा करने वाला पहला अरब देश था. एक संधि के तहत इजिप्ट के साथ इज़रायल की सीमा तय हुई और इज़रायल ने सिनाई से अपनी सेना और नागरिकों को वापस बुला लिया. ये प्रक्रिया साल 1982 तक चली. लेकिन गाजा पट्टी, पूर्वी यरुशलम और इजिप्ट के इलाके को छोड़कर बाकी गोलन हाइट्स पर इज़रायल का कब्ज़ा बरकरार रहा.
साल 1994 में, जॉर्डन इज़रायल को मान्यता देने वाला दूसरा अरब देश बन गया. जॉर्डन के साथ भी इज़रायल की सीमा तय हो गई. लेकिन लेबनान और इज़रायल के बीच अभी भी सीमाई तकरार बरक़रार है. कोई शांति की संधि नहीं हुई है. साल 1949 में युद्धविराम के लिए जो सीमाएं खींची गई थीं, वही, इज़रायल की उत्तरी सीमा बनी हुई है. इसी तरह सीरिया के साथ भी इज़रायल की स्थायी सीमा तय नहीं है.
सबसे ज्यादा विवाद कहां है? गाजा पट्टी के साथ. और यही सबसे बड़ा विवाद है. साल 2005 में इज़रायल ने अपने सैनिकों और आम लोगों को गाजा से निकाल लिया, एक डी-फैक्टो बॉर्डर भी तय है. लेकिन गाजा और वेस्ट बैंक को यूनाइटेड नेशंस सिंगल ऑक्यूपाइड एंटिटी मानता है, यानी एक पक्ष द्वारा कब्जा किया हुआ इलाका. और इसकी आधिकारिक सीमाएं अभी भी तय नहीं हैं. वेस्ट बैंक, गाजा और पूर्वी जेरुसलम की अंतिम स्थिति, सीमाएं अभी तक तय नहीं हैं. कैसे तय होंगी? इसका कोई ठोस जवाब नहीं दिया जा सकता है.
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