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मसूद पेजेश्कियान होंगे ईरान के नए राष्ट्रपति, रिफॉर्मिस्ट लीडर की छवि ने कट्टरपंथी सईद जलीली को हराया

Iran में हुए राष्ट्रपति चुनाव में मसूद पेजेश्कियान को जीत मिली है. पेजेश्कियान ने चुनाव के दौरान दुनिया से ईरान के अलगाव को खत्म करने का वादा किया है.

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Masoud Pezeshkian Saeed Jalili  Ayatollah Ali Khamenei
मसूद पेजेश्कियान (दाहिने) और सईद जलीली (बाएं). (क्रेडिट- इंडिया टुडे)
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आनंद कुमार
6 जुलाई 2024 (Updated: 6 जुलाई 2024, 16:06 IST)
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ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए हुए दूसरे फेज के चुनाव में मसूद पेजेश्कियान को जीत मिली है. ईरान में इनकी सुधारवादी नेता की छवि है. इन्होंने कट्टरपंथी नेता सईद जलीली को हरा दिया है. चुनाव आयोग के प्रवक्ता मोहसेन एस्लामी के मुताबिक अब तक गिने गए तीन करोड़ वोटों में से डॉ. मसूद पेजेश्कियान को 53.3 फीसदी और सईद जलीली को 44.3 फीसदी वोट मिले हैं. इससे पहले 28 जून को पहले दौर की वोटिंग में किसी भी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिला था. उस दौरान ईरान में सबसे कम 40 फीसदी वोटिंग हुई थी.

कौन हैं मसूद पेजेश्कियान 

68 वर्षीय पेजेश्कियान पेशे से हार्ट सर्जन रहे हैं. उन्होंने ईरान में एकता और सद्भाव लाने का दावा किया है. साथ ही उन्होंने दुनिया से ईरान के अलगाव को खत्म करने का चुनावी वादा भी किया है. उन्होंने पश्चिमी देशों के साथ साल 2015 के असफल परमाणु समझौते पर फिर से सकारात्मक बातचीत शुरू करने का आह्वान किया है. इस समझौते के मुताबिक ईरान पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों में छूट के बदले अपने परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने के लिए सहमत हो गया था. इस चुनाव में ईरान के प्रमुख रिफॉर्मिस्ट अलायंस ने मसूद पेजेशकियन का समर्थन किया था. जिसमें पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद खातमी और उदारवादी नेता हसन रूहानी भी शामिल हैं.

 
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क्रेडिट- एक्स
कौन हैं सईद जलीली?

पेजेश्कियान के प्रतिद्वंदी कट्टरपंथी सईद जलीली ईरान के पूर्व परमाणु वार्ताकार रहे हैं. जलीली अपने पश्चिम विरोधी रुख के लिए जाने जाते हैं. वो परमाणु समझौते को बहाल करने के भी खिलाफ रहे हैं. उन्हें ईरान के कट्टरपंथी समूहों का मजबूत समर्थन मिलता रहा है.

 

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क्रेडिट-ए

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान में इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि जलीली जीते तो पश्चिमी दुनिया से ईरान का टकराव बढ़ जाएगा.  और उनकी नीतियां ईरान के लिए और प्रतिबंध और अलगाव ले आएंगी.

ये भी पढ़ें - गाजा पर बम बरसा रहे इजरायल की वॉर कैबिनेट भंग, नेतन्याहू ने इस एक तीर से कितने निशाने साध लिए?

5 जुलाई को दूसरे चरण के मतदान से पहले पेजेश्कियान और जलीली ने दो टीवी डिबेट्स में भाग लिया था. जिस दौरान उन्होंने कम वोटिंग के साथ-साथ ईरान के आर्थिक संकट, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और इंटरनेट बैन पर चर्चा की.

पेजेश्कियान ने इस डिबेट में इंटरनेट प्रतिबंधों में छूट देने और महिलाओं के लिए अनिवार्य हिजाब लागू कराने वाले मोरलिटी पुलिस का पूरी तरह से विरोध करने का वादा किया था. 2022 में पुलिस हिरासत में महिसा अमिनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद से हिजाब एक हाई- प्रोफाइल मुद्दा बन गया था. 22 वर्षीय ईरानी कुर्द महिला को ड्रेस कोड के कथित उल्लंघन के लिए हिरासत में लिया गया था. उनकी मौत के चलते कई महीनों तक देश भर में अशांति फैली रही.

ईब्राहिम रईसी की मौत के बाद हुए चुनाव

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की इसी साल मई में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई थी. जिसके बाद ईरान में समय से पहले राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कराए गए. इस चुनाव के पहले चरण में ईरान के देश के चुनावी इतिहास में अब तक की सबसे कम वोटिंग हुई. जिसके बाद ईरान के सर्वोच्च लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने चुनाव के महत्व पर जोर देते हुए लोगों से दूसरे चरण में अधिक मतदान करने की अपील की था. उन्होंने कहा कि पहले चरण में मतदान प्रतिशत अपेक्षा से कम रहा. लेकिन कम वोटिंग की मतलब ये नहीं है कि लोग उनकी सत्ता को खारिज कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा, 

 कम वोटिंग की वजहें हैं. राजनीतिक नेता और समाजशास्त्री इसकी पड़ताल करेंगे लेकिन जो लोग ये सोचते हैं कि वोट न देने वाले लोग उनकी सत्ता के खिलाफ हैं, वो साफ तौर पर गलत हैं.

ईरान का यह चुनाव गाजा युद्ध को लेकर बढ़ते क्षेत्रीय तनाव, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर पश्चिम के साथ विवाद और प्रतिबंधों से प्रभावित अर्थव्यवस्था के बीच घरेलू असंतोष की पृष्ठभूमि में हुए हैं.

बता दें कि 28 जून को हुए पहले चरण के मतदान में पेजेश्कियान  को लगभग 42 प्रतिशत और जलीली को लगभग 39 प्रतिशत वोट मिले थे. ईरान के 6.1 करोड़ एलिजिबल वोटर्स में से केवल 40 फीसदी लोगों ने ही पहले चरण की वोटिंग में हिस्सा लिया था. जो 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से किसी भी राष्ट्रपति चुनाव में सबसे कम था. 

वीडियो: दुनियादारी: क्या ईरान Helicopter Crash के पीछे Mossad, थ्योरी में कितना दम?

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