सूसू, पॉटी, संडास, टॉयलेट. ये वो चीजें हैं, जिसका खयाल आने से ही मन भिन्ना जाताहै. और कोई खाते वक्त इनका नाम ले लो, तो पारा चढ़ जाता है. बताओ हम घिन्ना जातेहैं, पर इंडोनेशिया वाले ऐसा नहीं करते. वो लोग तो संडास की सीट में खाना खाते हैं.वो भी पइसा दे के. झट से सवाल वाला कीड़ा एक्टिवेट हो गया होगा. कि ऐसा कैसे होसकता है. अगर सुबह हल्का होने न जाना हो तो कोई संडास का मुंह न देखे. और लोग उसमेंखाना खा रहे हैं! तसल्ली रखो, बता रहे हैं. इंडोनेशिया के जावा आइलैंड में एकरेस्टोरेंट है. जो टॉयलेट की थीम पर बना है. इसी चलते खबर में भी है. नाम है जंबनकैफे. इंडोनेशिया में जंबन का मतलब संडास होता है. यहां कुर्सी-टेबल, बेंच-बर्तन सबसंडास की सीट जैसा है. मतलब संडास की सीट ही है. यहां लोगों को खाना इंडियन संडाससीट में सर्व किया जाता है. और बैठने के लिए अंग्रेजी वाली सीट लगी है. टेक लेने केलिए बढ़िया गद्दे लगे हैं और बैठने के लिए चारपाई के जैसे बुनाई की हुई है. फिलहालतो छोटे ग्रुप की बुकिंग कर रहा है ये रेस्टोरेंट. यहां का सिग्नेचर डिश मीटबॉल सूपहै. जो कि यहां का ट्रेडिशनल है. दारू भी ऐसे ही सर्व की जाती है. जंबन में सारीतरह की सुविधाएं है. कहने का मतलब ज्यादा खाने के बाद पेट अगर अपसेट हो जाए तो उसकाभी इलाज है. रेस्टोरेंट के मालिक है बुदी लकसोनो. सरकारी नौकरी थी. बतौर हेल्थएक्सपर्ट काम करते थे. संडास वाला रेस्टोरेंट बनाने के पीछे इनका मेन मोटिव किसी कोशॉक देना या खबरों में आना नहीं है. दरअसल इंडोनेशिया की हालत भी अपने देश के माफिकहै. वहां भी कई घरों में संडास नहीं है. जिसके चलते वहां के हालात खराब होते जा रहेहैं. लकसोनो अपने रेस्टोरेंट जंबन के जरिए लोगों का ध्यान इस प्रॉब्लम की ओर लानाचाहते हैं. लकसोनो की इस कोशिश को बहुत लोगों ने बुरा-भला कहा. पर वहां के लोकललोगों को ये बहुत अट्रैक्ट कर रहा है.