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सेना के अफसरों के लिए नए साल से नई प्रोमोशन पॉलिसी, क्या बदलाव होने वाले हैं?

नए नियमों के तहत हर सर्विस के अफसरों को बड़ी रैंक्स पर प्रोमोट होने का मौका दिया जाएगा. कहा जा रहा है कि ऑपरेशन्स से जुड़ी चुनौतियों से निपटने में भी मदद मिलेगी.

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indian army to implement new promotion policy officers selection for higher ranks
आर्मी अफसरों के लिए नई प्रोमोशन पॉलिसी (फोटो- X/@adgpi)
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ज्योति जोशी
7 दिसंबर 2023 (Updated: 7 दिसंबर 2023, 14:50 IST)
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नए साल की पहली तारीख से भारतीय सेना (Indian Army) में नई प्रोमोशन पॉलिसी (New Promotion Policy) लागू होने वाली है. ये नीति कर्नल, ब्रिगेडियर, मेजर जनरल और लेफ्टिनेंट-जनरल के रैंक वाले अफसरों के लिए है. मकसद है अलग-अलग सविर्सेज़ के बीच असमानता को कम करना. नई पॉलिसी के तहत उच्च पदों पर प्रोमोशन के लिए योग्यता और फिजिकल फिटनेस पर ज्यादा जोर दिया जाएगा. नई पॉलिसी को कॉम्प्रेहेन्सिव प्रोमोशन पॉलिसी का नाम दिया गया है.

पहले समझ लें कि सेना के कई अलग-अलग अंग होते हैं. जैसे- इंफेंट्री, मैकेनाइज्ड इंफेंट्री, आर्मर्ड, आर्टिलरी, एविएशन, इंजीनियर्स. TOI ने सेना सूत्रों के हवाले से लिखा कि लंबे समय से सिर्फ इंफेंट्री अफसरों के सीनियर रैंक में प्रोमोशन से जुड़ी शिकायतें मिल रही थी. अब नई पॉलिसी के तहत हर शाखा और हर सर्विस के अफसरों को प्रोमोशन का अवसर मिलेगा. अधिकारियों खासकर मेजर जनरल रैंक के अधिकारियों के लिए प्रोमोशन की संभावनाएं बढ़ेंगी.

इस वक्त हमारी फोर्स में लगभग 43 हजार अफसर हैं. इनमें 80 लेफ्टिनेंट जनरल, 300 मेजर जनरल, 1,200 ब्रिगेडियर और 5,600 कर्नल हैं. ये सीनियर से जूनियर का क्रम भी है. आंकड़ें से पता चलता है कि हायर रैंक पर जाते-जाते अफसरों की संख्या कम हो जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि चुनिंदा अफसर ही उच्च रैंक के लिए सेलेक्ट किए जाते हैं. ये काम सेलेक्शन बोर्ड करता है. 

सेना के अधिकारियों का मानना है कि नई नीति के तहत आंतरिक और बाहरी दोनों डायमेंशन में ऑपरेशन से जुड़ी चुनौतियों का सामना करने में आसानी होगी. कहा गया है कि मौजूदा नीति में अलग-अलग सेलेक्शन बोर्ड में स्थिरता की कमी है. नई पॉलिसी में सभी सेलेक्शन बोर्डों के लिए मानदंडों और प्रक्रियाओं को मानकीकृत (Standardise) किया जाएगा.

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कुछ समय पहले ही सेना के वरिष्ठ अफसरों के लिए एक जैसी यूनिफॉर्म लागू करने का नियम भी आया था. उद्देश्य था कि एक यूनिफॉर्म से एक मकसद और एक सोच वाली स्पिरिट को बढ़ावा मिले. 

अफसर, कर्नल रैंक तक अपनी रेजिमेंट/कोर की यूनिट्स को ही कमांड करते हैं. लेकिन ब्रिगेडियर रैंक से अफसर अलग-अलग कोर से आने वाले फौजियों को कमांड करना शुरू करते हैं. इसलिए हालिया आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में ये फैसला लिया गया कि उच्च अधिकारियों की यूनिफॉर्म एक जैसी हो. 

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