मणिपुर हिंसा पर UN ने रिपोर्ट में ऐसा क्या लिख दिया जो भारत ने कहा- "भड़काऊ है"
मणिपुर हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट आई. भारत ने इसपर रिएक्शन दिया.
संयुक्त राष्ट्र (UN) मानवाधिकार विशेषज्ञों ने मणिपुर हिंसा पर एक प्रेस रिलीज़ जारी की है. उन्होंने इस दौरान ‘बड़े स्तर पर हुए मानवाधिकार उल्लंघन’ पर चिंता व्यक्त की. महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा के विशेष दूत रीम अलसलेम और 8 विशेषज्ञों ने मणिपुर हिंसा पर चिंता जताई है. भारत ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है.
उन्होंने भारत सरकार से जातीय-सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ितों को जल्द से जल्द न्याय दिलाने की अपील की. UN की तरफ से जारी प्रेस रिलीज़ में कहा गया,
"ये विशेष रूप से चिंता का विषय है. ऐसा लगता है कि हिंसा पहले भड़की थी. यहां कुकी समुदाय, खासकर महिलाओं के खिलाफ नफरत से भरे और भड़काऊ भाषण दिए गए. ऐसा उनकी जातीयता और धार्मिक आस्था के आधार पर उनके खिलाफ हुई हिंसा को सही ठहराने के लिए हुआ."
विशेषज्ञों ने भारतीय अधिकारियों से पीड़ितों को राहत सुनिश्चित करने के लिए कहा. प्रेस रिलीज़ में आगे कहा गया,
भारत ने खारिज की UN की रिपोर्ट"हिंसा की जांच और अपराधियों को जिम्मेदार ठहराने के लिए मजबूत और समय पर कार्रवाई की जानी चाहिए. उन सरकारी अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो जिन्होंने नस्लीय, धार्मिक नफरत और हिंसा भड़काने में मदद की और इसे बढ़ावा भी दिया."
भारत ने 5 सितंबर को इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया. भारत की तरफ से कहा गया कि UN की ये रिपोर्ट 'गलत, अनुमानित और भ्रामक' है. जिनेवा में UN कार्यालय में भारतीय स्थायी मिशन (Indian Permanent Mission) ने एक बयान जारी किया. इसमें कहा गया,
'भारत के जवाब का इंतज़ार करना चाहिए था'"भारत का स्थायी मिशन इस प्रेस रिलीज़ को पूरी तरह खारिज करता है. ये न केवल गलत, अनुमानित और भ्रामक है. बल्कि इसमें मणिपुर के हालात और यहां भारत सरकार के उठाए कदमों को समझने में कमी दिखाई देती है."
भारतीय स्थायी मिशन ने कहा कि भारत मानवाधिकारों का सम्मान करता है. इन्हें सुनिश्चित करने के लिए मणिपुर के हालातों को अपने लोकतांत्रिक नियमों के अनुसार निपटा रहा है. आगे कहा,
"मणिपुर में शांति और स्थिरता है. भारत सरकार शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए ज़रूरी कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है."
भारतीय स्थायी मिशन ने देश में मानवाधिकारों के हालातों पर चिंता जताने के लिए UN विशेषज्ञों के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाए. मिशन ने कहा कि प्रेस रिलीज़ जारी करने से पहले UN को भारत सरकार के जवाब का इंतज़ार करना चाहिए था.
आगे कहा कि भारत का स्थायी मिशन उम्मीद करता है कि विशेषज्ञ आने वाले समय में अपना मूल्यांकन ज्यादा उद्देश्यपूर्ण तरीके से करेंगे. जो तथ्यों पर आधारित होगा. वे उन घटनाओं पर टिप्पणी करने से भी बचेंगे, जिनका उनसे कोई लेनादेना नहीं है. वे प्रेस रिलीज़ जारी करने की प्रक्रिया का भी पालन करें.
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