हाथरस कांड में तीन आरोपी बरी, कोर्ट ने एक को गैर इरादतन हत्या का दोषी माना, उम्रकैद की सजा
एससी-एसटी कोर्ट ने सुनाया फैसला
उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड में एससी-एसटी कोर्ट ने गुरुवार, 2 मार्च को फैसला सुनाया. कोर्ट ने चार में से तीन आरोपियों को बरी कर दिया. जबकि एक आरोपी को दोषी करार दिया है. 4 आरोपियों में से किसी पर भी गैंगरेप का आरोप सिद्ध नहीं हुआ है.
आजतक से जुड़े राजेश की रिपोर्ट के मुताबिक एससी-एसटी कोर्ट ने तीन आरोपियों लवकुश, रामू और रवि को बरी कर दिया है. संदीप को कोर्ट ने गैर इरादतन हत्या (धारा-304) और SC/ST एक्ट के तहत दोषी माना है. कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई है. हालांकि, पीड़ित पक्ष फैसले से असंतुष्ट नजर आया. पीड़ित परिवार की वकील सीमा कुशवाहा ने कहा कि फैसले से परिवार निराश है. पीड़ित पक्ष इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख कर सकता है.
हाथरस में 14 सितंबर, 2020 को एक दलित लड़की से कथिततौर पर रेप हुआ था, इसका आरोप गांव के ही चार युवकों पर लगा. लड़की को गंभीर हालत में अलीगढ़ रेफर किया गया. अलीगढ से उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया. 29 सितंबर को लड़की की इलाज के दौरान मौत हो गई. पीड़िता ने इलाज के दौरान ही बयान दे दिया था. इसमें उसने चार युवकों संदीप, रामू, लवकुश और रवि पर गैंगरेप का आरोप लगाया था. इसके आधार पर पुलिस ने चारों युवकों को गिरफ्तार कर लिया था.
इस मामले में यूपी पुलिस पर तमाम तरह के सवाल भी खड़े हुए थे. आरोप था कि पुलिस ने परिवार को बिना बताए आधी रात में युवती का अंतिम संस्कार कर दिया था. यूपी पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ये दावा भी किया था कि पीड़िता के साथ गैंगरेप हुआ ही नहीं. इसके लिए कोर्ट ने यूपी पुलिस को फटकार भी लगाई थी.
SIT के बाद CBI को सौंपा केसयूपी की योगी सरकार ने पहले इस मामले की जांच एसआईटी से करवाई. लेकिन, जब देशभर में हल्ला मचा तो सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी. सीबीआई ने कई बार पीड़िता के परिवार और अलीगढ़ जेल में बंद चारों आरोपियों से पूछताछ की. आरोपियों का पॉलीग्राफी टेस्ट और ब्रेन मैपिंग भी किया गया.
पिछले दिनों सीबीआई ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल की. सीबीआई ने इस चार्जशीट में पीड़िता के आखिरी बयान को आधार बनाया. सीबीआई ने चारों आरोपियों के खिलाफ हत्या, गैंगरेप और एससी-एसटी एक्ट की धाराओं में चार्जशीट दाखिल की.
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