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हरियाणा की प्राइवेट नौकरियों में लोकल्स को 75 फीसदी कोटा, जानिए क्या है इसमें पेच?

इस आरक्षण का फायदा लेने के लिए कई शर्तें पूरी करनी पड़ेंगी.

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हरियाणा में बीजेपी-JJP सरकार ने प्राइवेट कोटा बिल पास करके दुष्यंत चौटाला की पार्टी का बड़ा चुनावी वादा पूरा किया है.
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6 नवंबर 2020 (Updated: 6 नवंबर 2020, 14:07 IST)
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हरियाणा विधानसभा ने प्राइवेट सेक्टर में स्थानीय युवाओं को 75 फीसदी आरक्षण देने वाला विधेयक पास कर दिया है. इसका लाभ प्रदेश के मूल निवासियों को ही मिलेगा. हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने इसे हरियाणा के युवाओं के लिए ऐतिहासिक दिन बताया है. इसके जरिए जननायक जनता पार्टी यानी JJP ने अपने चुनावी घोषणा पत्र का एक वादा पूरा कर दिया है. लेकिन इस आरक्षण का फायदा लेने की कुछ शर्तें भी हैं, आइए डालते हैं विधेयक की खास बातों पर एक नजर- विधेयक में किन-किन शर्तों का जिक्र है?# 'हरियाणा के स्थानीय उम्मीदवारों का रोजगार विधयेक-2020' में राज्य की 50 हजार रुपए मासिक से कम वेतन वाली नौकरियों में हरियाणा के मूल निवासियों को 75 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है. इसका लाभ लेने के लिए निवास प्रमाणपत्र यानी डोमिसाइल होना अनिवार्य है. # यह आरक्षण नई और राज्य में पहले से स्थापित ऐसी प्राइवेट कंपनी, सोसाइटी, फर्म और ट्रस्ट पर लागू होगा, जिनमें कर्मचारियों की संख्या 10 से ज्यादा है. ध्यान देने वाली बात ये है कि प्राइवेट सेक्टर में कार्यरत किसी भी कर्मचारी को इस कोटे की वजह से हटाया नहीं जाएगा. यह कानून सिर्फ नई नियुक्तियों पर लागू होगा. # विधेयक के मुताबिक, हरियाणा की सभी प्राइवेट कंपनियों को यह बताना होगा कि उनके यहां काम करने वाले कितने लोग हैं, जिनका मासिक वेतन 50 हजार रूपए से कम है. जब तक ये डाटा तैयार नहीं हो जाता, कंपनी नए लोगों को नौकरी पर नहीं रख सकेगी. # जिस पद पर भर्ती होनी है, आवेदक में उसके मुताबिक योग्यता होना जरूरी है. अगर राज्य में ऐसे योग्य लोगों की कमी होगी, तो स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण देने की बात भी इस विधेयक में कही गई है. फिर भी किसी पद के लिए कुशल कर्मचारी न मिलें तो आरक्षण में छूट दी जा सकती है. लेकिन इसका निर्णय करने का अधिकार डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर या उससे उच्च स्तर के अधिकारी के पास होगा. # विधेयक में यह प्रावधान भी है कि अगर कंपनी प्रबंधन चाहे तो एक जिले से 10 फीसदी से ज्यादा कर्मचारी रखने से इंकार कर सकती है. # प्रत्येक कंपनी को हर तीसरे महीने में इससे संबंधित रिपोर्ट सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर अपलोड करनी होगी. कंपनियां इस कानून के प्रावधानों का सही से पालन कर रही हैं या नहीं, यह देखने का जिम्मा SDM का होगा. # अगर कोई कंपनी इन नियमों का उल्लंघन करती है, तो सजा का भी प्रावधान है. दोषी पाए जाने पर कंपनी को जुर्माना भरने के साथ-साथ उसे दी जाने वाली सब्सिडी भी रद्द की जा सकती है. यह कानून अगले 10 साल के लिए लाया गया है. विधेयक पास होने के बाद हरियाणा सरकार ने क्या कहा? हरियाणा के मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से ट्वीट में लिखा गया, हरियाण के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने खुशी जाहिर करते हुए ट्वीट किया, क्या तुरंत लागू हो गए ये नियम? अभी इस बिल को राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. अगर राज्यपाल अपनी मुहर लगा देते हैं, तब इसे कानून की शक्ल में नोटिफाई किया जाएगा. वैसे, साल की शुरूआत में भाजपा-जजपा सरकार हरियाणा में स्थानीय लोगों को आरक्षण देने के लिए अध्यादेश लाई  थी, लेकिन राज्यपाल सत्यदेव आर्य ने मंजूरी नहीं दी थी. उस अध्यादेश को राज्यपाल ने विचार के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया था. उस समय हरियाणा सरकार ने कहा था कि आरक्षण को लेकर मॉनसून सत्र में विधेयक पेश किया जाएगा. लेकिन कोरोना के चलते अगस्त में सदन की केवल एक ही बार बैठक हो पाई थी. इसीलिए अब जाकर इस बिल को पास किया गया है. और किन राज्यों में लागू है प्राइवेट कोटा? हरियाणा से पहले, आंध्र प्रदेश में जुलाई 2019 में स्थानीय लोगों को प्राइवेट सेक्टर में 75 फीसदी आरक्षण का बिल पास किया गया था. यह कानून का रूप ले चुका है. इसके अलावा, कर्नाटक में बीजेपी सरकार ने भी नई इंडस्ट्रियल पॉलिसी में लोकल्स के लिए 70 फीसदी नौकरियां रिजर्व रखने की नीति तैयार की है.

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