केंद्र सरकार और ट्विटर के बीच नए IT नियमों को लेकर माहौल गरमाता ही जा रहा है. 5जून को केंद्र ने ट्विटर को ख़त लिखा. और ख़त में लिखा – “यूं तो नए IT नियमों कोमानने की डेडलाइन 26 मई ही थी. लेकिन भलमनसाहत के नाते हम आपको एक आख़िरी नोटिस भेजरहे हैं. अभी भी नए नियमों को न मानने की सूरत में ट्विटर को IT एक्ट के तहत मिलरही सुविधाओं से वंचित किया जा सकता है. इसके लिए ट्विटर ख़ुद ज़िम्मेदार होगा.”इसी नोटिस में आगे लिखा है - “ट्विटर एक दशक से भी अधिक समय से भारत में ऑपरेशनलहै. ऐसे में ये बात यकीन से परे है कि ट्विटर इंडिया अब तक ऐसा कोई मैकेनिज़्मतैयार नहीं कर पाया है कि जिससे भारत के लोगों की समस्याओं को समय से और पारदर्शीतरीके से सुलझाया जा सके. ट्विटर का नए IT नियमों को न मानना ये जताता है कि उनकाइस दिशा में कोई कमिटमेंट नहीं है.”ट्विटर और सरकार आमने-सामनेदरअसल ट्विटर और केंद्र सरकार के बीच तनातनी का दौर जारी है. ट्विटर ने 27 मई को नएआईटी नियमों को लेकर पहली बार प्रतिक्रिया दी थी. उसने सरकार के बनाए नियमों कोमानने पर हामी जरूर भरी, लेकिन साथ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सवाल भी उठादिया. पुलिस पर डराने-धमकाने की रणनीति अपनाने का आरोप लगाते हुए चिंता जताई.ट्विटर ने कहा कि वह मौजूदा कानून का पालन करने का प्रयास करेगा. हालांकि, नएनियमों के उन प्रावधानों में बदलाव के लिए कहा जो कथित तौर पर ‘मुक्त और खुलीबातचीत’ के आड़े आते हैं. ट्विटर का ये स्टेटमेंट दिल्ली पुलिस की उस कार्रवाई केबाद आया जिसमें पुलिस ट्विटर के गुरूग्राम, लाडो सराय स्थित ऑफ़िस पहुंच गई थी. 27मई की शाम को ही इस पर भारत सरकार ने प्रतिक्रिया दी. उसने ट्विटर से साफ कहा कि वहदेश के नियम-कायदे के हिसाब से ही चले. इधर-उधर की बातें न करे. देश के कानून कापालन करे. सरकार के मुताबिक, कानून और नीतियां बनाना सरकार का काम है. ट्विटर मात्रएक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है. उसे यह अधिकार नहीं कि वह बताए कि पॉलिसी कैसी होनीचाहिए. सरकार ने यह भी कहा कि ट्विटर के आरोप पूरी तरह से आधारहीन और सरकार कोबदनाम करने वाले हैं. ट्विटर के किसी भी कर्मचारी को डरने की जरूरत नहीं है.