The Lallantop
X
Advertisement
  • Home
  • News
  • Goa, first state to implement ...

यूनिफॉर्म सिविल कोड 1962 से इस राज्य में लागू है, क्या हैं नियम जिन पर बवाल भी मच चुका?

सामान नागरिक संहिता पर देश में बहस चल रही है. लेकिन इस राज्य में आजादी के पहले से ये सिस्टम चल रहा है...

Advertisement
Uniform civil code
नरेन्द्र मोदी के बोलते ही सामान नागरिक संहिता पर फिर से बहस शुरू हो गई है.
pic
दीपक कौशिक
28 जून 2023 (Updated: 28 जून 2023, 16:16 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

Uniform Civil Code, UCC, सामान नागरिक संहिता. मतलब एक ऐसा प्रावधान जिससे पूरे देश में विवाह, तलाक, संपत्ति और गोद लेने के नियम सबके लिए सामान होंगे. देश में इसे लागू करने को लेकर गरमा-गरम बहस चल ही रही है. लेकिन एक राज्य में यह पहले से ही लागू है. राज्य है गोवा. ऐसे समझिए कि गोवा से पुर्तगाली तो चले गए, UCC छोड़ गए. यानि गोवा में UCC पुर्तगाल शासन के वक़्त से ही है. 

टाइमलाइन कुछ ऐसी है-

1867 में पहली बार पुर्तगाल में यह क़ानून बना. 
1869 में इसे पुर्तगाल उपनिवेशों में भी लागू कर दिया गया.
1962 में पोर्च्युगीस सिविल कोड को भारत ने भी गोवा, दमन और दिउ एडमिनिस्ट्रेशन एक्ट, 1962 के सेक्शन 5(1) में जगह दी. 
जबकि 1966 में पुर्तगाल अपने ही देश में इस क़ानून को नए सिविल कोड से बदल चुका है.

गोवा सिविल कोड है क्या?

गोवा सिविल कोड, गोवा का UCC है. यहां सभी धर्मों के लिए समान क़ानून लागू हैं. जैसे: 
1. गोवा में शादी के बाद (अगर शादी के वक़्त कोई ऐलान अलग से न किया गया हो), दोनों एक-दूसरे की संपत्ति के बराबर के हकदार होंगे. तलाक की स्थिति में पत्नी आधी संपत्ति की हकदार होती है. 
2. मां-बाप को कम से कम आधी संपत्ति अपने बच्चों के साथ साझा करनी होती है. जिसमें बेटियां भी बराबर की हिस्सेदार होती हैं.
3. शादी के रजिस्ट्रेशन के 2 चरण होते हैं. पहले चरण में औपचारिक तौर पर शादी की घोषणा की जाती है. इस दौरान लड़का-लड़की और उनके मां-बाप का होना ज़रूरी है (अगर लड़की की उम्र 21 साल से कम है). इसके अलावा बर्थ सर्टिफिकेट, डोमिसाइल और रजिस्ट्रेशन की भी ज़रुरत होती है. दूसरे चरण में शादी का पंजीकरण होता है. इसमें दूल्हा-दुल्हन के अलावा 2 गवाह का होना ज़रूरी है.
4. चाहे कोई किसी भी धर्म का हो, वो एक से ज्यादा शादी नहीं कर सकता.
5. गोवा में इनकम टैक्स पति-पत्नी दोनों की कमाई को जोड़कर लगाया जाता है. अगर पति और पत्नी दोनों कमाते हैं तो दोनों की कमाई को जोड़ा जाता है और कुल कमाई पर टैक्स लगाया जाता है. 

गोवा में विवाह, तलाक, संपत्ति को लेकर क़ानून सबके लिए बराबर हैं. इन सब बिन्दुओं पर नज़र डालने से तो ऐसा ही लगता है. लेकिन ऐसा नहीं है. कुछ नियम सभी धर्मों के लिए बराबर नहीं है. जैसे अभी आपने पढ़ा कि गोवा में कोई एक से ज्यादा शादी नहीं कर सकता. लेकिन अगर किसी हिंदू पुरुष की पत्नी बच्चे को जन्म नहीं दे पाती या 30 की उम्र तक बेटे को जन्म नहीं दे पाती. तो इस स्थिति में वह दूसरा विवाह कर सकता है. यह नियम सिर्फ हिन्दुओं के लिए है. 

AIMIM के प्रमुख ओवैसी इसपर विरोध दर्ज करा चुके हैं. जिसके जवाब में मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा था कि- 

‘यह प्रावधान सिर्फ कागजों में ही है. समय के साथ इसकी कोई अहमियत नहीं रह गई है. 1910 से इसका फायदा किसी को नहीं दिया गया है.’

ऐसे ही एक और नियम है जहां भेद-भाव दिखाई देता है. सबको विवाह का पंजीकरण पूरा करने के लिए सिविल रजिस्ट्रार के सामने पेश होना ज़रूरी है. यह नियम दोनों चरणों के लिए है. लेकिन कैथलिक धर्म के लोगों के लिए सिर्फ पहले चरण में रजिस्ट्रार के सामने पेश होना अनिवार्य है. ‘दूसरे चरण’ के लिए चर्च में की गई शादी को मान्यता दे दी जाती है. इसी तरह कैथलिक धर्म में चर्च के सामने दिए गए तलाक को मान्यता दे दी जाती है. जबकि बाकी धर्म के लोगों को सिविल कोर्ट में ही तलाक की औपचारिकता पूरी करनी होती है. 

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के UCC पर दिए बयान के बाद फिर से बहस छिड गई है. कुछ लोग इसके पक्ष में है, कुछ विपक्ष में. कुछ के लिए यह एक समुदाय को निशाना बनाने का हथियार है. कुछ के लिए समानता का अधिकार. आने वाले वक्त में देखने वाला होगा कि ये बहस किस दिशा में जाती है.

 

वीडियो: सबके सामने तो नहीं लेकिन मोदी सरकार ये 'रैंकिंग' सुधारने के लिए क्या कर रही है?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement