रूस-अमेरिका G20 के घोषणा पत्र से खुश, यूक्रेन क्यों हुआ नाराज़?
दिल्ली में हुई G20 Summit के घोषणापत्र को लेकर रूस, यूक्रेन और अमेरिका सहित कई देशों के बयान आए हैं. किसने क्या कहा है?
G20 Summit समापन की तरफ है. 9 और 10 सितंबर को दुनियाभर के 20 देशों के हेड ऑफ़ दी स्टेट की मीटिंग नई दिल्ली में आयोजित की गई. इस समिट को लेकर रूस और अमेरिका दोनों ने भारत की तारीफ़ की है. तो आइए जानते हैं दोनों देशों के G20 पर क्या रिएक्शन आए हैं.
रूस की बातरूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन G20 समिट में शिरकत नहीं कर पाए थे. उनकी जगह विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ये मीटिंग अटेंड की थी. रूसी समाचार एजेंसी इंटरफैक्स ने रूस के G20 शेरपा स्वेतलाना लुकाश के हवाले से लिखा,
सब कुछ संतुलित रूप में हुआ.
G20 घोषणापत्र में यूक्रेन वॉर को लेकर सीधे तौर पर रूस की आलोचना नहीं की गई. हालांकि घोषणापत्र के सात पैराग्राफ़ यूक्रेन युद्ध पर हैं, पर इनमें एक जगह भी रूस का ज़िक्र नहीं है.
अमेरिका ने किस बात की तारीफ की?घोषणापत्र में इस बात का ज़िक्र है कि किसी राज्य की क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता या राजनीतिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने के लिए बल का प्रयोग नहीं किया जा सकता. व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने इस घोषणापत्र के इस पॉइंट की तारीफ़ की है.
फ्रांस भी बोलाफ्रांस ने घोषणापत्र को रूस की कूटनीतिक जीत नहीं बताई है. राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि G20 की स्थापना अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों को हल करने के लिए की गई थी. इससे ये उम्मीद नहीं लगाई जानी चाहिए कि यहां यूक्रेन युद्ध को रुकवाने के लिए कोई डिप्लोमेटिक प्रोग्रेस होगी. जर्मनी और ब्रिटेन ने भी भारत द्वारा लाए प्रस्ताव की तारीफ़ की है. लेकिन यूक्रेन इससे खुश नज़र नहीं आता है.
यूक्रेन ने क्या कहा?यूक्रेन ने भी प्रतिक्रिया दी है. उसने कहा है कि G20 समिट के दौरान रूस के युद्ध छेड़ने पर आए बयान पर गर्व करने लायक कुछ भी नहीं है. बता दें कि समिट से पहले इसमें यूक्रेन युद्ध पर चर्चा होने की संभावनाएं ज़ाहिर की गईं थीं. लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं.
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घोषणा पत्र को ऐतिहासिक कहा है और इसके सर्वसम्मति से पारित होने को एक बड़ी उपलब्धि बताया है.