The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • G20 summit joe biden says Indi...

भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर से क्या बदलेगा? चीन के बिदकने के बाद बाइडन ने खुद सब बताया

G20 Summit के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने India-Middle East-Europe Economics Corridor को लेकर जो कुछ बताया है, उससे पक्का चीन की टेंशन और बढ़ेगी

Advertisement
G20 summit joe biden says India-Middle East-Europe economic corridor will be Game-changing investment china anger
जैसे ये घोषणा हुई चीन वाले न जाने क्या बोलने लगे | फोटो: इंडिया टुडे
pic
अभय शर्मा
10 सितंबर 2023 (Updated: 10 सितंबर 2023, 10:15 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

दिल्ली में चल रहे G20 Summit के दौरान भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर (India-Middle East-Europe) के लॉन्च की घोषणा हुई है. इस प्रोजेक्ट में भारत के साथ यूएस, जर्मनी, यूएई, सऊदी अरब, यूरोपियन यूनियन (EU), इटली और फ्रांस शामिल होंगे. ये भारत से जुड़ा पहला ऐसा शिपिंग और रेलवे कॉरिडोर होगा. इस प्रोजेक्ट में सहयोग के लिए सभी पक्षों ने एक समझौता ज्ञापन पर शनिवार ( 9 सितंबर) को हस्ताक्षर किए. इसे लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने ट्विट कर खुशी जाहिर की है.

बाइडन ने बताया ये प्रोजेक्ट क्या बदलाव लाएगा?

जो बाइडेन ने ट्वीट में लिखा,

‘मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ ने एक नए भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे के लिए एक ऐतिहासिक समझौते को अंतिम रूप दिया है. ये परियोजना सिर्फ ट्रैक बिछाने से कहीं ज्यादा है. ये एक गेम-चेंजिंग क्षेत्रीय निवेश है.’

इस ट्वीट में बाइडन ने मोटा-माटी ये भी बताया है कि प्रोजेक्ट के तहत क्या-क्या काम होगा? बताया है कि दो महाद्वीपों के बीच कई पोर्ट्स बनेंगे. इससे व्यापार करना आसान हो जाएगा और स्वच्छ ऊर्जा का निर्यात होगा. इससे केबल बिछाना आसान हो जाएगा जिससे अलग-अलग समुदाय के लोग बेहतर इंटरनेट के जरिए जुड़े रहेंगे. बाइडन के मुताबिक कुल मिलाकर ये कॉरिडोर सतत और समावेशी आर्थिक विकास को सुनिश्चित करेगा.

क्या है India-Middle East-Europe Economics Corridor?

न्यूज़ एजेंसी एएफपी के मुताबिक इस कॉरिडोर से रेलवे और पोर्ट्स के माध्यम से भारत को मिडिल ईस्ट से जोड़ा जाएगा. इसमें यूएई, सऊदी अरब, जॉर्डन और इजराइल जैसे देश शामिल होंगे. साथ ही यूरोप से भी कनेक्टिविटी जोड़ी जाएगी. इस प्रोजेक्ट के पूरे होने से भारत और यूरोप के बीच लगभग 40 प्रतिशत तक ट्रेड तेज हो सकता है.

ये भी पढ़ें:- क्या है नई दिल्ली डेक्लेरेशन, यूक्रेन मुद्दे पर अमेरिका के सामने रूस को क्लीन चिट? 

हमने इस मुद्दे पर एक्सपर्ट्स से भी बात की. मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान की एसोसिएट फेलो डॉ. स्वस्ति राव ने हमें बताया कि इस प्रोजेक्ट से जियोपॉलिटिक्स पर क्या असर पड़ेगा.

'पिछले 2-3 साल से हम सुनते आ रहे हैं कि हमें अपने सप्लाई चेन्स को मजबूत करना है. उसको ध्यान में रखते हुए ही ये प्रोजेक्ट प्लान किया गया है. चीन का 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' सिर्फ एक इकोनॉमिक प्रोग्राम नहीं है. इसके द्वारा चीन ने एक पॉलिटिकल पकड़ भी बनाई है. अलग-अलग देशों की जमीन को लीज़ पर ले लिया गया है. जब दुनिया को ये समझ में आया, तब सोचा गया कि इसके विकल्प के रूप में हम क्या दे सकते हैं. ये India-Middle East-Europe Economics Corridor इसका ही एक विकल्प है. G7 देश ऐसे कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं.'

चीन डर में बिदक गया!

मिडिल ईस्ट में अमेरिका की रेलवे योजना पर चीन का कहना है कि ये फिर से 'बातें ज्यादा काम कम' का मामला बनेगा. ऐसे वादे तो अमेरिका पहले भी कर चुका है. लेकिन नतीजे पर कभी नहीं पहुंचता. चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में आगे लिखा है  कि ये पहल जानबूझकर चीन को अलग-थलग करने की कोशिश में की जा रही है. बाइडन सरकार की मिडिल ईस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान, चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को काउंटर करने की साफ कोशिश है.

ये भी पढ़ें:- भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर क्या है? चीन क्यों हड़बड़ा गया है?

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: G20 सम्मेलन में चीन को लगेगा धक्का? बाइडन और पीएम मोदी का प्लान क्या?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement